ट्रंप के एक्शन से दुनियाँ में तहलका-भारत अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ कटौती करें, वरना 2 अप्रैल से रेसिप्रोकल टैरिफ की धमकी! | Naya Sabera Network

ट्रंप के एक्शन से दुनियाँ में तहलका-भारत अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ कटौती करें, वरना 2 अप्रैल से रेसिप्रोकल टैरिफ की धमकी!  | Naya Sabera Network
  • भारत अमेरिका के बहुत अच्छे संबंध है,परंतु टैरिफ़ एक बाधा- ट्रंप का भारत को टैरिफ कम करने का अल्टीमेटम 
  • भारत को अमेरिका से राजनयिक संबंधों की मज़बूती करने,अच्छे व्यापारिक संबंध बनाए रखनें,विवादों से बचने, विज़न 2047 को रेखांकित कर सटीक निर्णय की आवश्यकता- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र 

नया सवेरा नेटवर्क

गोंदिया - वैश्विक स्तरपर दुनियाँ के हर देश को ट्रंप के राष्ट्रपति चुने जाने से किसी न किसी रूप में चाहे वह आर्थिक, अवैध नागरिकता समस्या, टैरिफ, अमेरिकी फर्स्ट इत्यादि अनेकों एक्शन से दुनियाँ में तहलका मचा हुआ है। दुनियाँ भर की इकोनॉमीज में बवाल मचा हुआ है। ट्रंप ने मैक्सिको से लेकर चीन और कनाडा तक टैरिफ वॉर छेड़ा है, वहीं 2 अप्रैल में वह भारत के खिलाफ भी टैरिफ लगाने की बात कह चुके हैं।इस बीच अमेरिका में आने वाले महीनों में मंदी की आशंका गहराती जा रही है। अगर इन दोनों का पेच ज्यादा गहराता है तो भारत के सबसे ज्यादा बढ़ने वाला बिजनेस पर गंभीर नकारात्मक असर पढ़ सकता है। परंतु मेरा मानना है कि इन सब एक्शन से हालांकि अनेकों देशों पर नेगेटिव असर होगा,तो अमेरिका भी इसे अछूता नहीं रहेगा क्योंकि वहां भी मंदी के बादल छाए हुए हैं। अमेरिका द्वारा टैरिफ़ बढ़ाने से एक बड़ा वर्ग बाधित होगा।अन्य देशों से आने वाली वस्तुओं पर टैक्स बोझबढ़ने से महंगी हो जाएगी, जबकि घरेलू वस्तुएं ऑलरेडी ही महंगी है, तो सबसे पहले उसका उपयोग या उपभोग होगा, जिसका असर अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर जरुर पड़ेगा जो रेखांकित करने वाली बात है। आज यह मुद्दा हम इसलिए उठा रहे हैं, क्योंकि दिनांक 20 मार्च 2025 को भारतीय समय अनुसार देररात्रि अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप का बयान आया कि उनके भारत के साथ बहुत अच्छे संबंध तो है,परंतु अड़चन यह है कि भारत टैरिफ किंग है, दुनियाँ में उच्च टैरिफ वाले देशों की सूची में भारत मुख्य स्थान पर है, इसीलिए ट्रंप ने भारत को अल्टीमेटम दिया है कि,यदि टैरिफ कम नहीं किया गया तो 2 अप्रैल 2025 से अमेरिका भारत पर भी रेंसिप्रोकल टैक्स लगा देगा,जिसके दूरगामी नकारात्मक असर का दोनों देशों को भुगतना पड़ेगा। भारत में खासकर आईटी क्षेत्र में इसका अधिक असर पड़ेगा, हालांकि अन्य क्षेत्रों में भी असर पड़ने की पूरी संभावना है, इसलिए भारत को चाहिए कि एक रणनीतिक व्यवस्था के तहत सभी पहलुओंको ध्यान मेंरखकर निर्णय लेने की आवश्यकता है। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, भारत को अमेरिका से राजनीतिक संबंधों को मजबूत करने, अच्छे व्यापारिक संबंध बनाए रखनें, विवादों से बचने विज़न 2047 को रेखांकित कर सटीक निर्णय लेने की आवश्यकता है। 

साथियों बात अगर हम अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की अमेरिकी वेबसाइट से दिनांक 20 मार्च 2024 को देर रात्रि हुई बातचीत की करें तो, ट्रंप ने कहा है कि भारत से साथ बहुत अच्छे संबंध होने के बावजूद एकमात्र समस्या यह है कि भारत दुनियाँ में सबसे अधिक सीमा शुल्क लगाने वाले देशों में से एक है, इसके साथ ही ट्रंप ने दो अप्रैल से भारत से होने वाले आयात पर जवाबी सीमा शुल्क लगाने की अपनी धमकी भी दोहराई। ट्रंप ने अमेरिकी समाचार वेबसाइट के साथ साक्षात्कार में भारत के साथ अमेरिका के संबंधों पर चर्चा के दौरान यह बात कही।अमरीकी राष्ट्रपति ने कहा है कि भारत की ओर से जल्दी ही उनके देश के सामानों पर टैरिफ कम करने का फैसला हो सकता है। ट्रंप ने एक इंटरव्यू में यह बात कही है। ट्रंप ने एक तरफ भारत के टैरिफ कम करने का भरोसा जताते हुए धमकी भी दी है। ट्रंप ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि भारत, अमरीकी सामान पर लगने वाले टैरिफ को कम करेगा। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अगर भारत ऐसा नहीं करता है, तो दो अप्रैल से उनकी सरकार भी भारत पर उतना ही टैरिफ लगाएगी, जितना भारत द्वारा लगाया जाता है। ट्रंप ने भारत की तरफ से अमेरिकी उत्पादों पर लगाए गए उच्च शुल्क की बार-बार आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि भारत बहुत अधिक शुल्क लगाने वाला देश है,वह अतीत में भी भारत को टैरिफ किंग करार दे चुके हैं।पिछले महीने व्हाइट हाउस में पीएम के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान भी ट्रंप ने कहा था कि भारत सीमा शुल्क के मामले में बहुत सख्त रहा है। ट्रंप ने मार्च की शुरुआत में कहा था कि भारत अपने शुल्क में काफी कटौती करने पर सहमत हो गया है। हालांकि, वाणिज्य सचिव  ने 10 मार्च को एक संसदीय समिति को बताया था कि इस बारे में बातचीत अभी जारी है और भारत एवं अमेरिका के बीच व्यापार शुल्क पर अभी तक कोई समझौता नहीं हुआ है ऐसी जानकारीआई।

साथियों बात अगर हम ट्रंप द्वारा भारत-पश्चिम एशिया -यूरोप आर्थिक गलियारे पर टिप्पणी करने की करें तो उन्होंने कहा, भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर को लेकर कहा कि इससे विरोधी देशों का मुकाबला करने में मदद मिलेगी।पीएम के साथ पिछले महीने हुई वार्ता के बारे में पूछे जाने पर डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि भारत के साथ उनके बेहद अच्छे संबंध हैं। भारत के साथ मेरी एकमात्र समस्या यह है कि वह दुनिया में सबसे अधिक शुल्क लगाने वाले देशों में से एक हैं। हालांकि मेरा मानना है कि भारत उन शुल्कों को काफी हद तक कम करने जा रहा है ,क्योंकि हम भी दो अप्रैल से हम उनसे वही शुल्क वसूलेंगे जो वे हमसे वसूलते हैं। ट्रंप ने भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप- आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) के बारे में कहा कि यह अद्भुत देशों का समूह है जो व्यापार में हमें नुकसान पहुंचाने वाले दूसरे देशों का मुकाबला करने के लिए एक साथ आ रहे हैं.ट्रंप ने कहा, हमारे पास व्यापार में साझेदारों का एक शक्तिशाली समूह है। हालांकि, हम उन साझेदारों को बुरा व्यवहार करने की अनुमति नहीं दे सकते लेकिन हम अपने दुश्मनों के साथ कई मायनों में अपने दोस्तों की तुलना में कहीं बेहतर बर्ताव करते हैं।उन्होंने कहा,यह अद्भुत देशों का एक समूह है जो उन देशों का मुकाबला कर रहा है जो व्यापार में हमें नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते हैं।भारत का आईटी उद्योग और एक्सपोर्ट भारत की आईटी इंडस्ट्री हर साल 280 अरब डॉलर से अधिक काएक्सपोर्ट करती है. वहीं ये देश में करोड़ों लोगों के लिए रोजगार भी जेनरेट करती है। भारत के आईटी उद्योग के एक्सपोर्ट ऑर्डर का एक बड़ा हिस्सा अमेरिका से ही आता है। वहीं अमेरिकी कंपनियों के लिए आउटसोर्स करने में भी भारत के इंजीनियर्स आगे हैं। भारत के कुल आईटी एक्सपोर्ट रेवेन्यू का करीब 50 प्रतिशत अमेरिका से ही आता है।ऐसे में अगरअमेरिका में मंदी की आशंका गहराती है, तो इसका असर आईटी उद्योग की ग्रोथ पर पड़ेगा। वहीं अगर ट्रंप की टैरिफ नीति भारत पर भी लागू होती है, तो ये भारत की सॉफ्टवेयर कंपनियों की लागत को बढ़ाने का काम करेगा, इससे फिर से इस सेक्टर का एक्सपोर्ट प्रभावित होगा।भारत के आईटी उद्योग की ग्रोथ बहुत जरूरी है। वित्त वर्ष 2024-25 में इस सेक्टर की ओवरऑल ग्रोथ 6 पेर्सेंट तक रह सकती है, ये देश की जीडीपी ग्रोथ के अनुमान से थोड़ी ही कम है। वहीं ये दुनिया में आईटी सेक्टर के बदलाव का समय है, जहां मशीन लर्निंग, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और डेटा एनालिसिस का काम बढ़ रहा है, यहां भारत की प्रतिस्पर्धा सबसे ज्यादा चीन से है,इसलिए अगर इस सेक्टर में भूचाल आता है तो ये देश के आईटी सेक्टर को लंबे समय के लिए प्रभावित करेगा।ईटी की खबर केमुताबिक आईटी आउटसोर्सिंग एक्सपर्ट  का कहना है कि अमेरिका में मंदी की आशंका और ट्रंप की टैरिफ नीति को लेकर इस सेक्टर की कंपनियों में एक संशय बना हुआ है। ये उनके लॉन्ग टर्म और मीडियम टर्म प्लान्स को चुनौतीपूर्ण बना रहा है।वहीं एलएंडटी टेक्नोलॉजी सर्विसेस के चीफ अमित चड्ढा कह कहना है कि बहुत सी आईटी कंपनियां अभी टैरिफ वॉर को लेकर वेट एंड वॉच की स्थिति में है। 

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि ट्रंप के एक्शन से दुनियाँ में तहलका-भारत अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ कटौती करें,वरना 2 अप्रैल से रेसिप्रोकल टैरिफ की धमकी!भारत अमेरिका के बहुत अच्छे संबंध है,परंतु टैरिफ़ एक बाधा-ट्रंप का भारत को टैरिफ कम करने का अल्टीमेटम,भारत को अमेरिका से राजनयिक संबंधों की मज़बूती करने,अच्छे व्यापारिक संबंध बनाए रखनें, विवादों से बचने,विज़न 2047 को रेखांकित कर सटीक निर्णय की आवश्यकता है।

-संकलनकर्ता लेखक - क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र 9284141425


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