Poetry: नारी-महत्व | Naya Savera Network
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" नारी-महत्व "
नारी तो है धरा जगत की,
नारी से संसार।
नारी से है जन्म सभी का,
नारी से अवतार।।
नारी से अस्तित्व हमारा,
नारी से परिवार।
नारी से पोषण शैशव में,
नारी गर्भ आधार।।
नारी असली सेवक सबकी,
नारी से आहार।
नारी घर की गृहणी होती,
नारी खेवनहार।।
नारी पहली शिक्षक होती,
नारी विद्यालय-परिवार।
मुश्किल है नारी का वर्णन,
नारी-महिमा अपरम्पार।।
कवि- " विजय मेहंदी " (स0अ0) जौनपुर