Article: क्रूरता की मिसाल है औरंगज़ेब | Naya Savera Network



  • इतिहास के पन्नों में दर्ज सबसे क्रूर मुगल बादशाह औरंगजेब

नया सवेरा नेटवर्क

जिसने मराठों का लोहा भी माना और छत्रपति शिवाजी महाराज व छत्रपति संभाजी महाराज   के स्वराज्य के सपने न तोड सका । जिसका पाश्चात्य उसे था । आज भारतबर्ष का इतिहास कुछ और होता जब छत्रपति शिवाजी महाराज व संभाजी जी महाराज क्रूर बादशाह के सामने घुटने टेक देते।लेकिन मराठों की शौर्यता ने भारतबर्ष की नाक रखी और हिंदवी स्वराज्य का सपना  पूर्ण
हुआ ।अच्छा होता कि भारतवर्ष का गौरवशाली इतिहास  प्रायमरी शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों को  शुरू में ही वृहद रूप से पढाया जाता ।
जब छत्रपति शिवाजी महाराज स्वर्ग सिधारे, तब औरंगज़ेब ने सोचा कि अब मराठा साम्राज्य को मिटाना आसान होगा। वह दक्षिण पर चढ़ाई करने के इरादे से खुद दक्कन आया, लेकिन वहाँ छत्रपति संभाजी महाराज खड़े थे—अपने पूर्वजों की धरोहर की रक्षा के लिए। दस वर्षों तक उन्होंने औरंगज़ेब की ताकत को बेबस कर दिया और मराठा साम्राज्य को टूटने नहीं दिया।

लेकिन जब मुगलों ने छल से उन्हें बंदी बना लिया, तब जो हुआ, वह इतिहास में क्रूरता की पराकाष्ठा है।

 • उनके नाखून और चमड़ी नोंच दी गई, और ज़ख्मों पर नमक डाला गया।
 • उनकी जीभ को उखाड़ दिया गया ताकि वह दोबारा ‘हर हर महादेव’ न बोल सकें।
 • दहकती लोहे की छड़ से उनकी आंखें फोड़ दी गईं।
 • हर बार उनसे कहा गया कि इस्लाम कबूल कर लो, पर छत्रपति संभाजी महाराज ने साफ़ इंकार कर दिया।

यह प्रताड़ना 40 दिनों तक चली, लेकिन छत्रपति संभाजी महाराज झुके नहीं, डरे नहीं, गिरे नहीं!

उनकी अमानवीय हत्या के बाद महाराष्ट्र का हर घर प्रतिशोध की आग में जल उठा। एक भी मराठा ऐसा नहीं था, जिसने संभाजी महाराज की शहादत का बदला लेने की शपथ न ली हो।

और मराठों ने यह बदला लिया भी—100 गुना ज्यादा ताकत से!

संभाजी महाराज की शहादत ने मराठाओं में ऐसी ज्वाला भर दी कि जिस मुगल साम्राज्य की नींव बाबर ने रखी थी, उसे मराठों ने ध्वस्त कर दिया।

अगर संभाजी महाराज झुक जाते तो हिंदुस्तान का इतिहास कुछ और होता!

औरंगज़ेब की मंशा थी कि हिंदुस्तान से हिंदू धर्म को मिटा दिया जाए, और मराठों को इस्लाम में शामिल कर लिया जाए। लेकिन छत्रपति संभाजी महाराज ने मृत्यु को चुना, पर अपना धर्म नहीं छोड़ा।

अब ज़रा इंडोनेशिया का उदाहरण देखिए—वहाँ के राजा ने इस्लाम स्वीकार कर लिया और आज संपूर्ण इंडोनेशिया मुस्लिम देश है।

अगर संभाजी महाराज भी झुक जाते, तो आज भारत की नियति कुछ और होती .

संभाजी महाराज को बर्बरता से मारकर मुगलों को लगा कि मराठा खत्म हो जाएंगे, लेकिन हुआ इसके उलट—

 मराठों ने पूरे हिंदुस्तान में मुगलों की कब्र खोद दी।
 औरंगज़ेब को अपनी आखिरी सांस तक मराठों से ही लड़ते रहना पड़ा।
 अंततः मुगल साम्राज्य का सूर्य सदा के लिए अस्त हो गया।

इतिहासकारों की साज़िश और संभाजी महाराज का अपमान की पोल अब खुल चुकी है । फिल्म निर्माता ने वास्तविकता का दर्शन कराकरके हर भारतीय के हृदय में मराठों की शौर्यता की अमिट छाप छोड़ी है जिसे हर भारतीय को अवश्य देखना चाहिए । विभीषण ( भेदी) स्थिति से बचकर देश को महत्व मिलना चाहिए । छत्रपति संभाजी के अपने निकट के संबंधी के औरंगज़ेब की ओर  जाने से सब बाजी ही पलट गई ।

आज भी वामपंथी इतिहासकारों और कथित बुद्धिजीवियों को यह सच स्वीकार नहीं होता। यही कारण है कि इतिहास की किताबों में छत्रपति संभाजी महाराज का नाम नहीं मिलता, उनकी वीरता को दबा दिया गया।

लेकिन इतिहास मिटाया नहीं जा सकता।
संभाजी महाराज का बलिदान हर उस हिंदू के दिल में जीवित रहेगा, जो अपने धर्म, अपनी संस्कृति और अपनी मातृभूमि से प्रेम करता है। 
तारकेश्वर  राय  बोनकोडे सेक्टर 12 डी कोपरखैरणे ,नवी मुम्बई


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