Poetry: आधा-अधूरा | Naya Sabera Network
नया सवेरा नेटवर्क
" आधा-अधूरा "
अधूरा था,अधूरा है
अधूरा ही,रह जाएगा
तेरा-मेरा सपना
वो,तेरा-मेरा सपना
पूरा हो नहीं पाएगा
अधूरा था,अधूरा है
अधूरा ही रह जाएगा।
तूँ अपने पिया घर जाएगी
कैसे यार तेरा रह पाएगा
कैसे यार तेरा रह पाएगा
नई दुनिया अपनी बसाएगी
उजड़ यार की तेरे जाएगी
जब याद तेरी तड़पाएगी
बोलो,कैसे रह पाएगा
छुप-छुपके आंसू बहाएगा
वो किससे भला कह पाएगा
तूँ अपने पिया घर जाएगी
कैसे यार तेरा रह पाएगा
लंबे लम्हे तेरे साथ के वो
बोलो भूल कैसे वो पायेगा
हाँ,बोलो भूल कैसे वो पायेगा
जीवन साथ किसी के बिताएगी
वो अधूरा ही रह जाएगा
अधूरा था,अधूरा है
अधूरा ही रह जाएगा।
गीतकार
विजय मेहंदी
जौनपुर
(उ0प्र0)
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