Article : आओ दयालुता का भाव अपनाने का संकल्प करें | Naya Savera Network



  • भारत माता की मिट्टी में ही दयालुता के बीजों का भंडार है,बस से खोजकर अपनानें की ज़रूरत 
  • दयालुता हमको यथार्थवादी और अधिक सकारात्मक भी रखता हैं,जो मानवीय जीवन को सफ़ल बनाने का सटीक मंत्र है - एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र 

नया सवेरा नेटवर्क

गोंदिया - वैश्विक स्तरपर भारत आदि अनादि काल से ही भारत एक दयालुता मेहर मेहरबानी परोपकारी पारदर्शिता हितकारी इत्यादि अनेक अद्वितीय मानवीय सिद्धांतों के भावों वाला देश रहा है, जहां आध्यात्मिकता हर भारतीय के डीएनए में समाया हुआ है। इसलिए हम कह सकते हैं कि न केवल हर भारतीय के दिल में दयालुता का भाव गहराइयों तक समाया हुआ है, बल्कि भारत माता की मिट्टी में ही दयालुता के बीजों का भंडार है, जो इस धरती पर जन्म लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में दयालुता रूपी बीज के रूप में बो जाता है जो मानवीय आयु के बढ़ने के साथ-साथ यह दयालुता रूपी वृक्ष भी बड़ा होते जाते अपनी जड़ें मजबूत करते जाता है। हालांकि इसके कुछ अपवाद भी हैं हो सकते हैं। आज हम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से हम चर्चा करेंगे आओ दयालुता का भाव अपनाने का संकल्प करें।
साथियों बात अगर हम दयालुता की करें तो आदि अनादि का से भारत में यह मानता है कि प्रत्येक व्यक्ति को सबसे महत्वपूर्ण और अद्वितीय मानव सिद्धांतों में से एक दयालुता को प्रतिबिंबित करने और उसके अनुसरण का अवसर प्रदान करना है। दयालुता का भाव छोटे कार्यों को बढ़ावा देने और फिर लोगों को एक साथ लाने में भी मदद करता है दयालुता के भाव से अपने स्थानीय समुदाय को किताबें, भोजन या कपड़े दान करना दुखी व्यक्ति को मदद करना अपने सुखों को दूसरों के साथ मिलकर जश्न मनाने का एक शानदार तरीका है। बता दे विश्व में दयालुता का आंदोलन आधिकारिक तौर पर किसी राजनीतिक या धार्मिक आंदोलन से संबद्ध नहीं है, लेकिन अब 28 से अधिक राष्ट्र दयालुता के जन जागरण अभियान में में भाग लेते हैं। आंदोलन उम्मीद कर रहा है कि निकट भविष्य में किसी समय संयुक्त राष्ट्र द्वारा आधिकारिक अवकाश बनने के लिए एक दिन चुना जाएगा। 
साथियों दयालुता का एकमात्र उद्देश्य सकारात्मक शक्ति और दयालुता के सामान्य धागे पर ध्यान केंद्रित करने वाले समुदाय में अच्छे कार्यों को उजागर करना है जो हमें बांधता है। यह सीखने, सिखाने और दूसरों के साथ अपनी दया साझा करता है। दयालुता को मोटे तौर पर एक परोपकारी और मददगार कार्रवाई के रूप में वर्णित किया जा सकता है, जो स्पष्ट इनाम की उम्मीद के बिना किसी या स्पष्ट दंड से बचने के लिए दूसरे की मदद करने की इच्छा से प्रेरित है बिल्कुल निस्वार्थ है। आज सभी एक कठिन युद्ध लड़ रहे है, सबके प्रति दयावान बनें यह सन्देश याद रखे।प्लैटो द्वारा दिया ये सन्देश हमें याद दिलाता है कि सभी अपने जीवन में किसी चुनौती का सामना कर रहे हैं और यह कि अपने गुस्से और झगड़ों में उलझ कर इस बात को भुला देना बहुत आसान है। ऐसा कोई काम करने से पहले जिसका किसी व्यक्ति पर नकारात्मक प्रभाव होगा, खुद से एक आसान सवाल करे:क्या यह दयापूर्ण है? यदि हम इसका सकारात्मक उत्तर नहीं दे पा रहे, तो यह हमको हमारे  कृत्य और दृष्टिकोण को तुरंत बदलने की चेतावनी है। 
साथियों बात अगर हम दयालु बनने के कुछ तरीकों की करें तो, विनम्र बने: यद्यपि विनम्र होना स्वयं में दयालुता का संकेत नहीं है, पर सच्ची विनम्रता हमारा उन लोगों के प्रति सम्मान दिखाती है जिनसे हम बात कर रहे है। विनम्रता लोगों का ध्यान आकर्षित करने और अपनी बात रखने का एक दयापूर्ण तरीका है। आभारी बनें: वे लोग जो सच में दयालु हैं वे आसानी से आभार व्यक्त कर पाते हैं। वे किसी भी चीज़ को हलके में नहीं लेते और हमेशा मदद करने की लिए लोगों को धन्यवाद देते हैं। वे जानते हैं कि धन्यवाद कैसे कहें और हमारा मतलब भी वो ही हो, वे धन्यवाद पत्र लिखते है, और वे यह मानने में सहज होते हैं कि उनकी मदद की गयी है। वे लोग जो आभारी रहते हैं, वे लोगों को सिर्फ अपना दिन खुशनुमा बनाने के लिए भी धन्यवाद कहतें है, बजाय किसी विशेष काम को पूरा करने के लिए धन्यवाद करना। यदि हम अपने आसपास के लोगों के प्रति अधिक आभार मानने की आदत बना लेते है, तो हम देखेंगे कि हमारी दयालु होने की क्षमता बढ़ गई है। ज्यादा मुस्कुराइए: मुस्कुराना दयालुता का एक साधारण कृत्य है जिसका स्वयं में बड़ा महत्व है। अजनबियों, या अपने दोस्तों या परिचितों की तरफ देख कर मुस्कुराने की आदत बनाइये। यद्यपि हमको अपने चेहरे पे मुस्कुराहट चिपका कर नहीं घूमना है, किसी की ओर देखकर मुस्कुराने से वह भी हमारी तरफ देखकर मुस्कुराएगा, और उनके दिल में थोड़ी ख़ुशी भी भर देगा। इस प्रकिया में हमारी दयालुता का विकास होगा। 
साथियों बात अगर हम मूक जानवरों पर दयालुता की करें तो, जानवरों और जीवंत संसार से प्रेम करें: जानवरों से प्रेम और पालतू जानवरों की देखभाल दयालुता का क्रियान्वयन है। अन्य प्रजातियों की देख वाल करने के लिए कोई हमको मजबूर नहीं करता, विशेषकर आज के दिनों और युग में जब मानव प्रभुत्व के इतने शक्तिशाली साधन उपलब्ध है। और फिर, भी जानवरों को उनके ही रूप में प्यार करना और उनके प्रति आदरभाव रखना स्वयं में गहन दया का प्रदर्शन है। ये भी, कि उस संसार के प्रति दयावान होना जो हमारा पालन करके हमें बनाये रखता है, समझदारी है। हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि हम उन्ही तत्वों में जहर न फैलाएं जो हमारे स्वस्थ जीवन को सुनिश्चित करते हैं। 
साथियों बात अगर हम दयालुता प्रकट करने की अनेक राहों की करें तो, किसी अंधे व्यक्ति को रास्ता पार करने में सहायता करें। किसी बुरे वक़्त से गुजर रहे मित्र के लिए खाना बनाए। किसी वृद्धाश्रम जाएं और किसी ऐसे वृद्ध के साथ पत्ते खेल कर एक घंटे के आसपास का समय बिताये जिससे मिलने बहुत लोग न आते हो। अपनी चीजों का दान करें: अपनी कुछ चीजों का दान करना दयालु बनने का एक और तरीका है। अपनी पुरानी चीजों को फेंकने या उन्हें किसी कबाड़ी को सस्ते में बेचने के बजाय, गैर जरूरती चीजों को किसी अच्छे कारण के लिए दान करें। अगर हमारे पास कपडे, किताबें, या अन्य घरेलु सामान अच्छी अवस्था में है, तो उन्हें जमा करके रखने या फेंक देने की बजाय दान करने की आदत बनाना, अपनी दया को दूसरों तक पहुचने का एक बहुत अच्छा तरीका है। अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखे; अगर हम बहुत गुस्से में है तो ऐसे सब्द मत बोले जिससे किसी को ठेस पहुंचे और बाद में हमको भी बुरा लगे। शांत और शीतल बने रहे। अगर किसी का कुछ गिर जाता है, तो उनके लिए उसे उठा दें। या हम साथ में उठा देने का प्रस्ताव भी रख सकते है, चाहे कितनी छोटी या बड़ी चीज़ हो! कुछ चॉकलेट्स और बादाम आदि के पैकेट्स सुपरमार्केट से खरीद कर किसी बेघर व्यक्ति को हम दें सकते हैं। हम गरीब या बेघर व्यक्ति के प्रति दयालु बने, और उन्हें खाना या पैसे दें।अगर कोई वरिष्ठ नागरिक हमारे रास्ते में चल रहा है, तो जल्दी में उन्हें धक्का न दें। या तो माफ़ कीजिये कहे और हम उन्हें उनके गंतव्य तक पहुँचने में सहायता भी कर सकते है। यदि कोई अजनबी हमारी ओर देख कर मुस्कुराता है, हिचकिचाएं नहीं और मुस्कुरा कर जवाब दें; यह दया की एक मुद्रा है। हम जिसके साथ है उससे पूछे, आप कैसे हैं?,प्रतिक्रिया को ध्यान से सुनें और उसके बारे में पूछें। दयालुता में परवाह और सहानुभूति सम्मिलित होते है, और हर कोई सुना जाना चाहता है। दया का कृत्य एक से दूसरे व्यक्ति के साथ बढ़ता जाता है। इसलिए बिना किसी बदले की चाह इसे आगे बढ़ा दें। वैसे भी ये हम तक वापस आएगा। दयालु होना हमको यथार्थवादी और अधिक सकारात्मक भी रखेगा। ऐसे किसी व्यक्ति का भारी सूटकेस उठाने में मदद करे जो उसे उठा न पा रहा हो। हम सभी को पसंद नहीं कर सकते और ये सामान्य बात है; दुनिया के सबसे अच्छे लोग भी नाराज होतें हैं! इसके बाद भी विनम्र बने रहे।
साथियों दयालुता मुफ्त है, इसलिए रोज सबके साथ इसे बाटें।जब हमको पता लगे कि हमारा मित्र छुट्टियों पर जा रहा है, तो उसके पालतू जानवार की देखभाल करने का प्रस्ताव रखें। अगर हम जानते है कि हमारा पड़ोसी बीमार है, तो किराने बाजार जाते समय उनसे पूछ ले अगर उन्हें कुछ किराने की जरूरत हो। 
अतःअगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि आओ दयालुता का भाव अपनाने का संकल्प करें।भारत माता की मिट्टी में ही दयालुता के बीजों का भंडार है,बस से खोजकर अपनानें की ज़रूरत।दयालुता हमको यथार्थवादी और अधिक सकारात्मक भी रखता हैं,जो मानवीय जीवन को सफ़ल बनाने का सटीक मंत्र है

-संकलनकर्ता लेखक - क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र


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