Poetry: प्यासे कौवे की हैरानी | Naya Savera Network
नया सवेरा नेटवर्क
बाल-कविता
" प्यासे कौवे की हैरानी "
आओ बच्चों सुनें कहानी
एक प्यासे कौवे की हैरानी
दर-दर भटक रहा था कौआ
कहीं न दिखता उसको पानी
एक घड़े में थोड़ा पानी
देख हुई उसको हैरानी
खुद की थी उसे प्यास बुझानी
उसे सूझा एक उपाय नूरानी
लाया चुन-चुन कंकड मैदानी
गया डालते घड़े के पानी
ज्यों-ज्यों कंकड गिरता पानी
त्यों-त्यों ऊपर उठता पानी
घड़े के कंठ तक पानी आया
कौवे ने तब चोंच डुबाया
जब प्यास बुझाया पीकर पानी
तब उड़ गया कौआ चाल मस्तानी
कलमकार
विजय मेहंदी(कवि-हृदय शिक्षक)
प्रा0वि0 मंगरी, बरसठी, जौनपुर