13 जनवरी 2025 का पंचांग, पौष पूर्णिमा आज, जानें सभी शुभ, अशुभ मुहूर्त | Naya Savera Network
नया सवेरा नेटवर्क
वैदिक पंचांग ~ 🌞
🌤️ दिनांक - 13 जनवरी 2025
🌤️ दिन - सोमवार
🌤️ विक्रम संवत - 2081
🌤️ शक संवत -1946
🌤️ अयन - दक्षिणायन
🌤️ ऋतु - शिशिर ॠतु
🌤️ मास - पौष
🌤️ पक्ष - शुक्ल
🌤️ तिथि - पूर्णिमा 14 जनवरी रात्रि 03:56 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
🌤️ नक्षत्र - आर्द्रा सुबह 10:38 तक तत्पश्चात पुनर्वसु
🌤️ योग - वैधृति 14 जनवरी प्रातः 04:39 तक तत्पश्चात विष्कंभ
🌤️ राहुकाल - सुबह 08:41 से सुबह 10:03 तक
🌤️ सूर्योदय 07:19
🌤️ सूर्यास्त - 06:15
👉 दिशाशूल - पूर्व दिशा मे
🚩 व्रत पर्व विवरण - व्रत पूर्णिमा,पौषी पूर्णिमा,माघ स्नान आरम्भ,महाकुंभ पर्व प्रारंभ (प्रयागराज),लोहड़ी पर्व (पंजाब,हिमाचल प्रदेश,जम्मू-कश्मीर)
💥 विशेष- पूर्णिमा एवं व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
🌞 ~ वैदिक पंचांग ~ 🌞
👉🏻 मकर संक्रांति के दिन यहा दीपक जरूर जलाए होगी धन धान्य की वृद्धि और सभी ग्रह रहेगे अनुकूल⤵️
🌷 उत्तरायण / सूर्य मंत्र 🌷
🙏🏻 इसका जप करें । वो ब्रह्मवेत्ता महाव्याधि और भय, दरिद्रता और पाप से मुक्त हो जाता है ।
🌞 सूर्य देव का मूल मंत्र है --
🌷 ॐ ह्रां ह्रीं सः सूर्याय नमः ।
🙏🏻 ये पद्म पुराण में आता है ....
🌞 सूर्य नमस्कार करने से ओज, तेज और बुद्धि की बढोत्तरी होती है |
🌷 ॐ सूर्याय नमः ।
🌷 ॐ रवये नमः ।
🌷 ॐ भानवे नमः ।
🌷 ॐ खगाय नमः ।
🌷 ॐ अर्काय नमः ।
🙏🏻 सूर्य नमस्कार करने से आदमी ओजस्वी, तेजस्वी और बलवान बनता है इसमें प्राणायाम भी हो जाते हैं ।
💥 विशेष -14 जनवरी 2025 मंगलवार को मकर संक्रांति (पुण्यकाल : सुबह 09:03 से सूर्यास्त तक ) है ।
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🌞 ~ वैदिक - पंचांग ~ 🌞
👉🏻 माघ मास मे इतना जरूर करले⤵️
🌷 स्वास्थ्य सुरक्षा की सुव्यवस्था 🌷
➡ 14 जनवरी 2025 मंगलवार को (पुण्यकाल सुबह 09:03 से सूर्यास्त तक) मकर संक्रान्ति (उत्तरायण) है।
🙏🏻 मकर संक्रान्ति के दिन तिल गुड़ के व्यंजन और चावल में मूंग की दाल मिलाकर बनाई गई खिचड़ी का सेवन ऋतु-परिवर्तनजन्य रोगों से रक्षा करता है । इनका दान करने का भी विधान है ।
🙏🏻 मकर संक्रान्ति पर्व पर तिल के उपयोग की महिमा पर शास्त्रीय दृष्टि से प्रकाश डालते हुए पूज्य बापूजी कहते हैं : ‘’जो मकर संक्रांति में इन छह प्रकारों से तिलों का उपयोग करता है वह इहलोक और परलोक में वांछित फल पाता है – तिल का उबटन, तिलमिश्रित जल से स्नान, तिल-जल से अर्घ, तिल का होम, तिल का दान और तिलयुक्त भोजन । किंतु ध्यान रखें – रात्रि को तिल व उसके तेल से बनी वस्तुएं खाना वर्जित है ।‘’