Poetry: विडंबना 'एम डी एम' की | Naya Savera Network
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🧒🏻🍛 MDM 🍲👧🏻
विडंबना 'एम डी एम' की,
बाल-स्वास्थ्य जीवन की।
मालदेही ग्राम प्रधान की,
जवाबदेही गुरुप्रधान की।।
गरीब-बाल का पोषण छीन,
अपने स्वहित में लवलीन।
धन उगाही ग्राम-प्रधान की,
कार्रवाई गुरु-प्रधान की।।
उन्हीं के बच्चे उन्हीं की वोट,
उन्हीं के बच्चे उन्हीं पे चोट।
सब देन है वोट के दुकान की,
थे जिससे बने प्रधान जी।।
विभागीय सिस्टम में भी लपेट,
अनायास प्रधान की भेंट।
दरिंदई विधि विधान की,
गुंडई ग्राम प्रधान की।।
आहत काव्य
विजय मेहंदी(कविहृदय शिक्षक)
जौनपुर