#Poetry: अरे ई पढ़िए कमाल बा | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
अरे ई पढ़िए कमाल बा
बिल्लू के साथ बिल्लो भी निहाल बा
कल बिल्लो खेला देखबै किये सब लोग
हिन्दी दिवस की शुभकामनाएँ !
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बिल्लू ने बहुत ज़ोरदार पर्चा लिखा पी.एच.डी. प्रवेश का
“कबिर बरे आलूचक हे
रेनू लीखे है सताइस गो कहनी
नामौर जी कहे है कबीता की नई परतीमान मे
अगेए जी अमिर आदमि थें
सुक्ल जी परसंसा करते ह दूबेदी जी आलूचना”
अंतिम प्रश्न परेमचंद की सामाजिक चेतना
जिसका बिल्लू ने गर्दा छोड़ाया :
“परेमचंद्र उत्तर परदेस मे जनम लीए थें, उनके बाबूजी का नाम नवाब राय था, उ भुक सें मर गएँ थे”
बिल्लू ने बंटा पीते हुए लल्लन को ललकारा
क़लम तोर के लीखे हैं भायजी, अबरी फस किलास टौप रिज़ल्ट
लेकिन हरामज़ादा मास्टर अंधरा कोढ़िया
फैल नंबर दे दिया बेटीचो
(दो)
बिल्लू हार नहीं माना, रार नई ठाना
दूबे जी के पास रोया
चौबे जी के पास गाया
पांडे जी की तरकारी लाया
सहाय जी का घर बदलवाया
सहाय जी ने शर्मा जी को फ़ोन किया
शर्मा जी ने वर्मा जी को
वर्मा जी ने महेसर जी को कहलवाया
महेसर जी ने रामेसर जी को
बिल्लू इंटरव्यू देने आया
बेटा बैठो, आज नाश्ते में क्या खाया
दूद-रोटी-चिन्नी-केला
आहा अद्भुत!
इस प्रकार बिल्लू ने विश्वविद्यालय में प्रवेश पाया।
—— शुभम श्री



