#Poetry: पेंशन गीत | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
पेंशन गीत
दिखाकर बोझ पेंशन का,
हटाया जा नहीं सकता।
मिले तुमको पुरानी तो,
हमें भरमाया जा नहीं सकता।।
एन पी एस को मेरे यारों,
लाया जा नहीं सकता।
यू पी एस को मेरे यारों,
अपनाया जा नहीं सकता।।
एक-एक दिन शपथ ले तुम,
जूनी तीन-तीन भुनाते हो।
जीवनभर मेरी सेवा को,
तुम ठेंगा दिखाते हो।
जीवनभर मेरी सेवा को,
तुम ठेंगा दिखाते हो।।
सहारा ये बुढ़ापे का,
हटाया जा नहीं सकता।
बहाने यू पी एस के ये,
हटाया जा नहीं सकता।
पुरानी पेंशन को यारों,
गंवाया जा नहीं सकता।
पुरानी पेंशन को यारों,
गंवाया जा नहीं सकता।।
दिखाकर बोझ पेंशन का,
हटाया जा नहीं सकता।
विजय बंधु के विजयरथ को,
रुकवाया जा नहीं सकता।
पुरानी पेंशन को यारों,
गंवाया जा नहीं सकता।।
(जय हिंद-जय विजय बंधु)
(पुरानी पेंशन जिन्दाबाद-
यही होगी मेरी फ़रियाद)
शब्द-हुंकार
गीतकार
विजय मेहंदी
बरसठी,जौनपुर(उ0प्र0)
9198852298