#JaunpurNews : दो मुट्ठी चावल के बदले कृष्ण ने सुदामा को दी दो लोक संपत्ति, मित्रता बनी मिसाल: कथा व्यास | #NayaSaveraNetwork



नया सवेरा नेटवर्क

जौनपुर। शाहगंज तहसील अन्तर्गत खलीलपुर गाँव में चल रही  ज्येष्ठ समाजसेवक रामविलास सिंह के आवास पर श्रीमदभागवत कथा के विश्राम दिवस पर कथावाचक पं. प्रवीण पाण्डेय जी महाराज (काशी) ने बताया कि कृष्ण और सुदामा की मित्रता  की मिसाल आज भी दी जाती है जो दो मुठ्ठी चावल के बदले में दो लोक की संपदा का स्वामी बना देते हैं। माता पिता और गुरू के बाद मित्रता को स्थान दिया जाता है।

कथा में आगे बताया कि कृष्ण और सुदामा बचपन के मित्र थे। दोनो की शिक्षा  मध्यप्रदेश के उज्जैन में संदीपनी  ऋषि के आश्रम में हुई ।उस समय गुरूकुल शिक्षा प्रणाली थी ।गुरू के पास रहकर कृष्ण और सुदामा दोनो शिक्षा ग्रहण कर रहे थे।   सुदामा गरीब ब्राह्मण थे उनका जीवन पाँच परिवारो  से भिक्षा में मिली अनाज से ही भरण पोषण होता था। जिस दिन कुछ न मिलता  परिवार व बच्चे भूखे ही रह जाते। सुदामा के घर महीने भर में दस से बारह एकादशी जैसा व्रत  से गुजरना पडता था। 


उनकी पत्नी सुशीला के कहने पर एक दिन वे दो मुठ्ठी चावल लेकर कृष्ण से मिलने गये जिसके बदले में उन्हें दो लोक की संपदा मिल गई उनकी गरीबी दूर हो गई। यह सब किसी चमत्कार से कम नही था। सब कुछ भगवान श्रीकृष्ण की इच्छा से हुआ ।इस कहानी से हमें सीख ग्रहण करनी चाहिए कि विषम परिस्थित में भी धैर्य नही खोना चाहिए। ईश्वर की कृपा से सब सम्भव है।लेकिन भरोसा हमारे गोविंद पर होना चाहिए।उन्हें अपने भक्तो का हमेशा ख्याल रहता है।



महाभारत युद्ध में पांडव निश्चिंत रहते थे उन्हें गोविंद पर भरोसा था। भगवान भरोसे को कभी नही तोडते। वे सदैव उन भक्तो को विपत्ति के समय भी मददगार बन जाते हैं जो उन पर भरोसा करते हैं। ऐसा मार्मिक दृश्य देखकर कथा के सभी श्रोताओ के ऑसु बह निकले। आज कथा का सातवां दिन होने के कारण सैकड़ो भक्त उपस्थित रहे। लोगो ने कथा के लिए दुबारा आने का आग्रह किया है। महराज जी की आगे की कथा अन्यत्र होने जा रही है। कथा के बीच बीच में पं0 शिवम व सुशांत ने अपने सुमधुर वाद्ययंत्र पर भजनोमृत का पान करा कर भक्तो को आकर्षित किया। अरे द्वारपालो कन्हैया से कह दो कि दर पे सुदामा गरीब आ गया है, ये जिन्दगी है तेरे हवाले, तू जाने तेरा काम जाने।

भजन लोगो को भा गये। पितृपक्ष का समय चल रहा है। सभी लोग पितृऋण से मुक्त होने के लिए पितरो की सद्गति के लिए उनके नाम से पिण्ड और पानी जरूर दे।श्राद्ध और तर्पण करना चाहिए ताकि हम पितरो के प्रति सम्मान और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए उनका आशिर्वाद ग्रहण कर जीवन में आगे बढ सके। कथा विश्राम पर दिव्य प्रसाद पाकर भक्त तृप्त हुए। इसी दिन महराज जी खलीलपुर गाँव के ही धर्मप्रेमी राकेश सिंह (सेवानिवृत्त शिक्षक मुम्बई) के आग्रह पर उनके आवास पर जाकर परिवार व उपस्थित लोगो को अपना स्नेह आशिर्वाद प्रदान किया। महराज जी काशी के भागवत के उच्च कथावाचक एवं ज्योतिषाचार्य भी हैं।

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