शिव शक्ति को समर्पित श्रावण मास | #NayaSaveraNetwork

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नया सवेरा नेटवर्क

वेदों में सावन को नभस कहा जाता है, श्रावण मास भगवान् श्री विष्णु के जन्म नक्षत्र (श्रवण नक्षत्र) से मेल खाता है इससे इस महीने को श्रावण कहा जाता है, श्रावण मास अति महत्त्वपूर्ण एवम् शुभ माना जाता है। हमारे सनातन धर्म में हिन्दी माह के क्रमानुसार पांचवां माह श्रावण का होता है, इसे सावन माह के नाम से भी जानते है। श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा श्रवण नक्षत्र में विराजित रहता है जिसके कारण इसका नाम श्रावण पड़ा।

श्रावण मास शिव जी की आराधना, साधना एवम् पूजा के लिए बहुत ही मंगलकारी, शुभकारी एवम् कल्याणकारी माना जाता है। श्रावण मास पूरी तरह से शिवमय रहता है, भक्तगण पूर्ण रुपेण शिव की भक्ति में डूबे रहते है, हर तरफ शिवालयों में मनमोहक हर हर महादेव के नारों की गूंज सुनायी देती है। श्रावण मास औघड़दानी भगवान् आशुतोष को बहुत ही प्रिय है। श्रावण मास में ऐसा प्रतीत होता है कि प्रकृति अपने हर रुप, रंग एवं रस से परिपूर्ण मानों अठखेलियां कर रही हो। श्रावण एक संदेश देता है कि हम प्रकृति की शक्तियों को जाने। श्रावण मास जप, तप, ध्यान और चिंतन के लिए बहुत ही उपयुक्त है। हमारे धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि शिव जी ने स्‍वयं श्रावण मास के बारे कहा है:-
द्वादशस्वपि मासेषु श्रावणो मेऽतिवल्लभ:। 
श्रवणार्हं यन्माहात्म्यं तेनासौ श्रवणो मत:।।
श्रवणर्क्षं पौर्णमास्यां ततोऽपि श्रावण: स्मृत:। 
यस्य श्रवणमात्रेण सिद्धिद: श्रावणोऽप्यत:।।
माहों में श्रावण माह मुझे अत्यंत प्रिय है। इसका माहात्म्य सुनने योग्य है, अतः इसे श्रावण कहा जाता है। इस मास में श्रवण नक्षत्र युक्त पूर्णिमा होती है इस कारण भी इसे श्रावण कहा जाता है। इसके माहात्म्य को सुनने मात्र से यह सिद्धि प्रदान करने वाला है, इसलिए भी यह श्रावण संज्ञा वाला है।
श्रावण मास में भगवान् आशुतोष की पूजा करने, जलाभिषेक करने एवम् रुद्राभिषेक करने से हर प्रकार के शुभ फलों की प्राप्ति होती है। श्रावण मास में दीर्घायु की प्राप्ति के लिए तथा सभी व्याधियों को दूर करने के लिए विशेष पूजा की जाती है। इस माह में यदि सोमवार को प्रदोष तिथि पड़ जायें तो सोने पे सुहागा वाली बात होती है अर्थात् इस दिन शिव पूजा का विशेष महत्व होता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान् भोलेनाथ की पूजा अराधना करने से इहलोक और परलोक में कोई भी वस्तु दुर्लभ नहीं होती, अर्थात् मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
श्रावण मास में भगवान आशुतोष की पूजा उनके परिवार के सदस्यों के साथ ही करनी चाहिए। श्रावण मास में भगवान शिव के "रुद्राभिषेक" का विशेष महत्त्व माना जाता है। श्रावण मास का प्रत्येक दिवस ही शुभ माना जाता है, अत: इस माह में हम कभी भी किसी भी दिन बिना मुहूर्त देखे "रुद्राभिषेक" कर सकते है, जबकि दूसरे माह में रुद्राभिषेक के लिए शिववास का मुहूर्त देखना अनिवार्य होता है। भगवान भोलेनाथ के रुद्राभिषेक में जल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, गंगाजल, फलों का रस तथा गन्ने के रस आदि से स्नान कराया जाता है। बेलपत्र, शमीपत्र, कुशा तथा दूर्वा आदि से शिव जी को प्रसन्न किया जाता हैं। इसके अतिरिक्त भांग, धतूरा तथा श्रीफल भगवान् आशुतोष को भोग के रुप में अर्पण किया जाता है। 
हमारी पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्रावण मास में भगवान् शिव जी और माता पार्वती जी भूलोक पर निवास करते हैं। इसलिए भी श्रावण मास की महत्ता बढ़ जाती हैं। अतः इस माह में शिव जी के साथ ही साथ हमें शक्ति स्वरुपा मां पार्वती की भी पूरी श्रद्धा, भक्ति एवम् विश्वास के साथ पूजा करनी चाहिए और आशीर्वाद लेना चाहिए। शिव के साथ शक्ति की पूजा से ही हमें शिवत्व की प्राप्ति होगी। चूंकि शक्ति से ही शिवत्व है और शिवत्व से ही शक्ति। इसी कारण सावन के हर सोमवार को शिव पूजा होती है तो मंगलवार को माता गौरी की पूजा का विधान है, जिसे मंगला गौरी व्रत के नाम से जाना जाता है। शक्ति के साथ शिव शुभकारी हो, कल्याणकारी हो, मंगलकारी हो ऐसी कामना हमारी रहती है, चूंकि सावन मास को सृजन का महीना कहा जाता है। और सृजन के लिए प्रेम और पवित्रता का भाव होना बहुत जरुरी होता है। देखा जाये तो सावन का प्रत्येक दिन व्रत और त्योहार को समर्पित है। इस प्रकार देखा जाये तो श्रावण मास पूर्ण रुपेण भगवान् आशुतोष और माता पार्वती अर्थात् शिव शक्ति को समर्पित होता है। अतः शिव शक्ति का कृपा पात्र बनने के लिए हमें पूरी श्रद्धा भक्ति के साथ पूजन करना चाहिए। तभी यह श्रावण मास हमारे लिए शुभकारी, मंगलकारी, लाभकारी एवम् पुण्यदायी होगा। उत्तम और शुभ फल प्राप्ति के लिए हमें श्रावण मास में शिव जी के इन मन्त्रों से पूजा और आराधना करनी चाहिए।
ॐ नम: शिवाय।
ॐ शिवाय नमः।
ॐ शंकराय नमः।
ॐ महादेवाय नमः।
ॐ महेश्वराय नमः।
ॐ श्री रुद्राय नमः
शिवमयी श्रावण मास की हार्दिक बधाई एवम् शुभकामनाएं।



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