#Poetry: चोर ने चोरी का सामान लौटाया | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
चोर ने चोरी का सामान लौटाया
एक रात , घात-प्रतिघात,
उबल पड़े दिल के जज्बात।
देखकर घर सूना,
चोर लगा गये चूना।
गजब था चोरी करने का सीन,
ले गए, टीवी,फ्रिज,वाशिंग मशीन।
नहीं छोड़ा कोई भी सामान,
खाली कर गए सारा मकान।
दूसरे दिन लौटे घरवाले,
टूटे पड़े थे सब के सब ताले।
भूल हुई थी अनजाने में,
रिपोर्ट लिखी गई थाने में।
बेटे-दामाद गए थे विरार में,
यह घटना छप गई अखबार में।
चोर ने खूब सुर्खियां बटोरी ,
एक कवि के घर में हो गई चोरी।
गरीबों के कवी, श्रमिकों की आवाज,
नारायण सुर्वे के घर पर गिरी गाज।
जिसने गरीब-गुरबों की आवाज उठाई,
चोरों ने कर डाला उनके घर की सफाई।
आत्मा को सच्चाई से मिला गई,
चोरों को अंदर तक हिला गई।
उनमें भी जाग गया स्वाभिमान,
चुपके से लौटा गए सब सामान।
पर्ची लिख गए पछताते-पछताते,
कवि का घर जानते,तो हम न चुराते।
कवि समाज का दर्पण होता है,
उसमें त्याग, तप, समर्पण होता है।
आज अपने हर गुनाह तोपता हूं,
तुम्हें तुम्हारे सामान सौंपता हूं।
वह चोर है, उसमें भी जमीर बाकी है,
देश, कवि, कविता की पीर बाकी है।
जो देश में कर रहे हैं भ्रष्टाचार,
काश उनमें भी जगता ये संस्कार।
कभी उनकी भी आत्मा जाग जाती,
दिल से करप्शन की भावना भाग जाती।
लूटे जो ठेके में,घोटाले में,थाने में,
वापस कर देते देश के खजाने में।
मगर किसी कवि ने ,
एकदम सटीक बात कही है,
नेता की आत्मा कैसे जागे,
इनमें तो आत्मा ही नहीं है।
सुरेश मिश्र