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डॉ. मीनाक्षी दुबे, भोपाल |
नया सवेरा नेटवर्क
ग़ज़ल
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हो व्यथित यूं न जीवन गवाया करो।
ज़िन्दगी है मिली मुस्कराया करो।।
मन व्यथित हो अगर, प्रार्थना तुम करो,
रह सहज, साध्य की साधना तुम करो,
योग से शक्ति मन की बढ़ाया करो।
जिंदगी है मिली मुस्कराया करो।।
ठान लो तो हिमालय पिघल जाएगा,
भाग्य का भाग पल में बदल जाएगा ,
सूर्य को तेज अपना दिखाया करो।
जिंदगी है मिली मुस्कराया करो।।
याचना मत करो कर्म पथ पर बढ़ो,
मूल्य मन में धरो धर्म में रत रहो,
जो मिले उसका उत्सव मनाया करो।
जिन्दगी है मिली मुस्कराया करो।।
काट दे हर तरफ घोर अँधियार जो,
हर चुनौती करे हँस के स्वीकार जो,
मन की वीणा को ऐसे बजाया करो।
ज़िन्दगी है मिली मुस्कराया करो।।
डॉ. मीनाक्षी दुबे, भोपाल