#JaunpurNews : जन्मभूमि से बढ़कर नहीं होता है कोई तीर्थ: रामजी किंकर | #NayaSaberaNetwork
गोबरा गांव में 5 दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का हुआ शुभारम्भ
नया सबेरा नेटवर्क
जौनपुर। केराकत क्षेत्र के गोबरा गांव में बुधवार की सुबह पूर्व ग्राम प्रधान इंद्रावती देवी की अध्यक्षता में 5 दिवसीय श्रीमदभागवत कथा व भव्य कलश यात्रा के साथ शुभारंभ किया गया। इस दौरान सैकड़ों ग्रामीणों ने कलश यात्रा में भाग लेकर पूरे गांव का भ्रमण किया। कलश यात्रा को जहां जगह-जगह लोगों ने फुल बरसा कर स्वागत किया।
कलश यात्रा में पूर्व ग्राम प्रधान इंद्रावती देवी व केराकत सपा विधानसभा अध्यक्ष नीरज पहलवान आगे चल रहे थे। कलश यात्रा जब ज्ञान यज्ञस्थल पर पहुंची तो कथा वाचक स्वामी रामजी किंकर महाराज वेद मंत्रों के साथ भागवत स्थल पर कलश स्थापित कराते ही पूरा पंडाल श्रीकृष्ण एवं श्रीराम के जयकारों से गूंज उठा।
भागवत कथा के महत्व को बताते हुए स्वामी रामजी किंकर महाराज ने बताया कि राजा परीक्षित ने राजपाठ छोड़कर श्रीमद् भागवत कथा सुनी थी। जीवन में कुछ पाने के लिए वैराग्य एवं त्याग की जरूरत पड़ती है। उन्होंने यह भी कहा कि जन्मभूमि से बढ़कर कोई तीर्थ नहीं है। भागवत कथा का आयोजन लोग अपनी जन्मभूमि पर ही कराते हैं जिससे उन्हें दोहरा पुण्य प्राप्त होता है। मानव के शरीर में बचपन, युवा एवं बुढ़ापा आता है, इसलिए गृह कार्य के साथ हमें भगवान की कथा भी सुननी चाहिए। कार्यक्रम में आये सभी आगन्तुकों का नीरज पहलवान ने स्वागत किया।
नया सबेरा नेटवर्क
जौनपुर। केराकत क्षेत्र के गोबरा गांव में बुधवार की सुबह पूर्व ग्राम प्रधान इंद्रावती देवी की अध्यक्षता में 5 दिवसीय श्रीमदभागवत कथा व भव्य कलश यात्रा के साथ शुभारंभ किया गया। इस दौरान सैकड़ों ग्रामीणों ने कलश यात्रा में भाग लेकर पूरे गांव का भ्रमण किया। कलश यात्रा को जहां जगह-जगह लोगों ने फुल बरसा कर स्वागत किया।
कलश यात्रा में पूर्व ग्राम प्रधान इंद्रावती देवी व केराकत सपा विधानसभा अध्यक्ष नीरज पहलवान आगे चल रहे थे। कलश यात्रा जब ज्ञान यज्ञस्थल पर पहुंची तो कथा वाचक स्वामी रामजी किंकर महाराज वेद मंत्रों के साथ भागवत स्थल पर कलश स्थापित कराते ही पूरा पंडाल श्रीकृष्ण एवं श्रीराम के जयकारों से गूंज उठा।
भागवत कथा के महत्व को बताते हुए स्वामी रामजी किंकर महाराज ने बताया कि राजा परीक्षित ने राजपाठ छोड़कर श्रीमद् भागवत कथा सुनी थी। जीवन में कुछ पाने के लिए वैराग्य एवं त्याग की जरूरत पड़ती है। उन्होंने यह भी कहा कि जन्मभूमि से बढ़कर कोई तीर्थ नहीं है। भागवत कथा का आयोजन लोग अपनी जन्मभूमि पर ही कराते हैं जिससे उन्हें दोहरा पुण्य प्राप्त होता है। मानव के शरीर में बचपन, युवा एवं बुढ़ापा आता है, इसलिए गृह कार्य के साथ हमें भगवान की कथा भी सुननी चाहिए। कार्यक्रम में आये सभी आगन्तुकों का नीरज पहलवान ने स्वागत किया।
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