#Article: मेडिकल में दाखिले से जुड़ी नीट 2024 परीक्षा में गड़बड़ी मामला-चार सदस्यीय कमेटी गठित-एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट देगी | #NayaSaveraNetwork
- सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) कानून 2024,10 साल की जेल अपनी ताक़त दिखाएगा
- पेपर लीक,चीटिंग में लिफ्त संदिग्धों की बिना वारंट गिरफ्तारी व जमानत नहीं मिलने की सख़्ती से माफियायों के हौसले पस्त होंगे-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया
नया सवेरा नेटवर्क
गोंदिया - वैश्विक स्तरपर शिक्षा हर देश की उन्नति अर्थव्यवस्था व विकसित राष्ट्र बनाने के लिए अनमोल आवश्यक व जरूरी आवश्यकताओं में से एक महत्वपूर्ण पहिया है शिक्षा, जिनके बल पर हम कल को बेहतर बना सकते हैं ।वह विकसित राष्ट्र बनाने में एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में प्रयुक्त कर सकते हैं। परंतु पिछले दशकों से हम देख रहे हैं की डिग्रियां हासिल करने के बाद सरकारी भर्ती परीक्षाओं में नकल, चीटिंग, पेपर लीक इत्यादि के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं कुछ राज्यों में तो इसका प्रभाव आती है बड़े-बड़े पदों की परीक्षाओं के पर्चे लीक हो जाते हैं जो लाखों में बिक जाते हैं और मेहनतकश बुद्धिजीवी छात्रों की पहुंच कटऑफ तक नहीं पहुंच पाती, जबकि पैसे के बल पर पेपर लीक करवा कर डब्बू छात्रों की कटऑफ हाई हो जाती है और आसानी से नौकरी मिल जाती है परंतु इसका अक्सर हमें प्रशासकीय कार्यकलापों में देखने को मिल जाता है, जो अति कमजोर सिद्ध होते हैं निर्णय क्षमता जीरो रहती है और प्रशासन के कार्य कीसेवा की क्वालिटी में गिरावट हो जाती है जिससे मूल जिसका मूल कारण अयोग्य व्यक्ति के उसे पद पर विराजमान होने से होता है इसको रेखांकित करते हुए बजट सत्र 2024 के दोनों सदनों में पारित होकर उसपर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हो चुके हैं जो अब कानून बन चुका है, वह है सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक 2024 और पेपर लीक व गड़बड़ी माफिया के लिए काल बनकर बरसेगा, क्योंकि इसमें एक करोड़ का दंड और तीन से 10 वर्ष की जेल की सजा का प्रावधान है। परन्तु यह केवल सरकारी नौकरियों वह प्रोफेशनल परीक्षाओं जैसे नीट की परीक्षाओं पर ही लागू होगा। यानि 10वीं 12वीं व अन्य एकेडमिक परीक्षाओं पर लागू नहीं होगा। विधेयक के बारे में जानकारी देते हुए केन्द्रीय राज्य मंत्री डीओपीटी प्रभारी ने कहा था सार्वजनिक परीक्षा विधेयक, जो संभवतः भारत की संसद के इतिहास में अपनी तरह का पहला विधेयक है, भारत के युवाओं को समर्पित है। अनुचित साधन निवारण कानून, 2024 में संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, रेलवे, बैंकिंग भर्ती परीक्षाएं और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी द्वारा आयोजित सभी कंप्यूटर-आधारित परीक्षाएं शामिल होंगी।यूपीएससी, एसएससी आदि भर्ती परीक्षाओं और नीट, जेईई और सीयूईटी जैसी प्रवेश परीक्षाओं में पेपर लीक, कर्तव्य की उपेक्षा के साथ-साथ संगठित होकर गलत तरीके अपनाने पर अंकुश लगाने के लिए सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) कानून, 2024 पारित किया गया हैं। चूंकि सरकारी भर्ती परीक्षा में पेपर लीक पर एक करोड़ का जुर्माना 10 साल की जेल है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे पेपर लीक चीटिंग में लिप्त संदिग्धों को बिना वारंट गिरफ्तारी व जमानत नहीं मिलने की सख़्ती से उनके हौसले पस्त होंगे।
साथियों बात अगर कर हम पिछले दो दिनों से नीट मामले पर चल रही गहमागहमी की करें तो, मेडिकल में दाखिले से जुड़ी नीट (नेशनल एलिजविलिटी कम एंट्रेस एक्जाम) परीक्षा में गड़बड़ी के लग रहे आरोपों के तूल पकड़ने और उसे लेकर तेज हुई सियासत को थामने के लिए सरकार में मोर्चा संभाला है। शिक्षा मंत्रालय और सूचना प्रसारण मंत्रालय के सचिवों के साथ नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के महानिदेशक ने शनिवार को पूरे मामले पर नए सिरे से स्थिति स्पष्ट की और कहा कि नीट परीक्षा में कहीं कोई गड़बड़ी नहीं है। उन्होंने कहा कि विवाद सिर्फ छह केंद्रों के करीब 16 सौ छात्रों को ग्रेस मार्क्स देने का है, जिन्हें यह मार्क्स परीक्षा में कम समय दिए जाने के एवज में दिए गए थे। ऐसे में पूरे मामले की नए सिरे से जांच के लिए संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के पूर्व अध्यक्ष की अध्यक्षता में चार सदस्यीय कमेटी के गठित की गई है। जो एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट देगी। माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट के बाद ही एनटीए उन्हें ग्रेस मार्क्स जारी रखने या फिर इन सभी छात्रों को फिर से परीक्षा देने जैसा विकल्प दे सकता है।
साथियों बात अगर हम सरकारी नौकरियों व्यवस्थाओं में गड़बड़ी और पेपर लीक पर नकेल कसने की करें तो सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024 का खंड II, सार्वजनिक परीक्षाओं के संचालन से संबंधित अनुचित साधनों और अपराधों के बारे में विस्तार से बताता है, परीक्षा प्रक्रिया की अखंडता को बनाए रखने के लिए एक व्यापक कानूनी ढांचा स्थापित करता है।सरकारी परीक्षाओं में गड़बड़ी और पेपर लीक पर नकेल कसने के लिए सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है। राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में भी कहा था कि हमारी सरकार पेपर लीक रोकने के लिए बिल लेकर आएगी। प्रस्तावित विधेयक का उद्देश्य उन व्यक्तियों, संगठित समूहों या संस्थानों को प्रभावी और कानूनी रूप से रोकना है, जो विभिन्न अनुचित साधनों में शामिल होते हैं। मौद्रिक या गलत लाभ के लिए सार्वजनिक परीक्षा प्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले पर सख्त कार्रवाई किए जाने का फैसला किया गया है। इस कानून के दायरे में यूपीएससी, एसएसबी, आरआरबी, बैंकिंग, नीट, जेईई, सीयूएटी जैसे एग्जाम आएंगे। रिपोर्ट के अनुसार, तय अभ्यर्थी के स्थान पर किसी और को परीक्षा दिलाने, पेपर सॉल्व कराने, केंद्र के अलावा कहीं और परीक्षा आयोजित करने या परीक्षा से जुड़ी धोखेबाजी की जानकारी नहीं देने वालों पर कार्रवाई होगी। वर्तमान में पेपर लीक रोकने के लिए अपराधी के लिए तीन लाख से 5 लाख जुर्माना और एक से तीन सालकी सजा या दोनोंका प्रावधान है, लेकिन नई न्याय संहिता के तहत इस अपराध में जुर्माना एक करोड़ रुपये तक हो सकता है और सजा दस साल तक की हो सकती है। कंप्यूटर आधारित परीक्षा करा रहा सर्विस प्रोवाइडर अगर गलत कामों में शामिल पकड़ा जाता है, तो 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लग सकता है। साथ ही, 4 सालों के लिए परीक्षा आयोजित कराने पर भी रोक लग सकती है यदि धांधली के कारण परीक्षा रद्द हुई, तो उस पूरी परीक्षा का खर्चा दोषी पाए गए सेवा प्रदाताओं व संस्थाओं को देना होगा। प्रस्तावित विधेयक में विद्यार्थियों को निशाना नहीं बनाया जाएगा, बल्कि इसमें संगठित अपराध, माफिया और साठगांठ में शामिल पाए गए लोगों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है। विधेयक में एक उच्च-स्तरीय तकनीकी समिति का भी प्रस्ताव है, जो कम्प्यूटर के माध्यम से परीक्षा प्रक्रिया को और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए सिफारिशें करेगी। शीर्ष प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए राष्ट्रीय मानक भी तैयार किए जाएंगे। सूत्र ने कहा कि सरकार ने वर्षों से भर्ती के साथ-साथ उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए परीक्षाओं में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए कई सुधार पेश किए हैं और उस दिशा में प्रस्तावित कानून है।
साथियों बात अगर हम सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधन की रोकथाम) कानून 2024 को विस्तार से जानने की करें तोखंड III का विश्लेषण: अपराधों के लिएसजा-सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024 सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) कानून, 2024 का खंड III, सार्वजनिक परीक्षाओं में कदाचार के खिलाफ कानून की निवारक रणनीति के एक महत्वपूर्ण घटक को चिह्नित करते हुए, अधिनियम के तहत अपराधों के लिए दंड की रूपरेखा तैयार करता है। इस खंड के प्रावधान सार्वजनिक परीक्षाओं के संचालन में अनुचित साधनों में शामिल होने या उन्हें बढ़ावा देने के दोषी पाए जाने वालों के लिए गंभीर परिणामों को रेखांकित करते हैं।धारा 9: अपराधों की प्रकृतियह धारा स्पष्ट रूप से कहती है कि अधिनियम के तहत सभी अपराधों को संज्ञेय, गैर-जमानती और गैर-शमनीय माना जाएगा, जो परीक्षा कदाचार की गंभीर प्रकृति को उजागर करता है। इस तरीके से अपराधों को वर्गीकृत करके, अधिनियम यह सुनिश्चित करता है कि ऐसे अपराधों के आरोपियों को बिना वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है, वे जमानत के अधिकार के रूप में पात्र नहीं हैं, और आपराधिक मुकदमे से बचने के लिए कोई समझौता नहीं कर सकते हैं। यह सार्वजनिक परीक्षाओं की अखंडता को कमजोर करने में शामिल व्यक्तियों पर सख्ती से कार्रवाई करने और दंडित करने के कानून के इरादे को प्रदर्शित करता है।धारा 10: व्यक्तियों और सेवा प्रदाताओं के लिए दंड।व्यक्ति: अनुचित साधनों और अपराधों का सहारा लेते हुए पाए जाने पर न्यूनतम तीन साल की कैद, जिसे पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है, के साथ-साथ दस लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। यह खंड जुर्माना न चुकाने की स्थिति में अतिरिक्त कारावास के लिए भारतीय न्याय संहिता, 2023 का भी संदर्भ देता है, जो दंड के लिए कड़े दृष्टिकोण का संकेत देता है।सेवा प्रदाता: अधिनियम अनुचित प्रथाओं में शामिल सेवा प्रदाताओं पर गंभीर जुर्माना लगाता है, जिसमें एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना, परीक्षा की लागत की वसूली और सार्वजनिक परीक्षा गतिविधियों में भाग लेने से चार साल का प्रतिबंध शामिल है। इस प्रावधान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि परीक्षा आयोजित करने के लिए जिम्मेदार संस्थाएं सत्यनिष्ठा के उच्चतम मानकों को बनाए रखें।वरिष्ठ प्रबंधन दायित्व: निदेशकों, वरिष्ठ प्रबंधन, या सेवा प्रदाता फर्मों के प्रभारी व्यक्तियों को अपराधों में संलिप्त पाए जाने पर तीन से दस साल की कैद और एक करोड़ रुपये का जुर्माना हो सकता है। यह वरिष्ठ व्यक्तियों को अपने संगठनों के कार्यों के लिए जवाबदेह बनाता है, निरीक्षण और नैतिक शासन के महत्व पर जोर देता है।धारा 11: संगठित अपराध के लिए सज़ायह धारा परीक्षा में कदाचार से संबंधित संगठित अपराध में शामिल होने पर पांच से दस साल की कैद और न्यूनतम एक करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रावधान करती है। ऐसे अपराधों में शामिल संस्थानों के लिए, अधिनियम संपत्ति की कुर्की और जब्ती और परीक्षा लागत की वसूली की अनुमति देता है, जो व्यवस्थित परीक्षा धोखाधड़ी में शामिल नेटवर्क को खत्म करने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण को दर्शाता है। खंड III के निहितार्थविधेयक का खंड III सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित प्रथाओं के खतरे से निपटने और रोकने के लिए डिज़ाइन किए गए एक मजबूत कानूनी ढांचे को दर्शाता है। निर्धारित दंड उस गंभीरता का संकेत है जिसके साथ कानून इस मुद्दे पर विचार करताहै,जिसका उद्देश्य परीक्षा कदाचार के प्रति शून्य-सहिष्णुता नीति स्थापित करना है। महत्वपूर्ण जुर्माना, कारावास और संस्थागत प्रतिबंध सहित गंभीर दंड लगाकर, यह अधिनियम परीक्षा प्रक्रिया की पवित्रता की रक्षा करना चाहता है।वरिष्ठ प्रबंधन की प्रत्यक्ष जवाबदेही के प्रावधानों का समावेश और सेवा प्रदाताओं के खिलाफ दंडात्मक उपाय अनुचित साधनों में संभावित मिलीभगत के सभी स्तरों को संबोधित करने के लिए अधिनियम के व्यापक दृष्टिकोण को रेखांकित करते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि व्यक्तियों और संगठनों दोनों को कदाचार में शामिल होने या उसे बढ़ावा देने से रोका जाए, जिससे सार्वजनिक परीक्षाओं की विश्वसनीयता और निष्पक्षता मजबूत हो।खंड III के प्रावधान ऐसे माहौल को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण हैं जहां योग्यता और अखंडता को बरकरार रखा जाता है, यह सुनिश्चित किया जाता है कि सार्वजनिक परीक्षाओं के माध्यम से प्राप्त योग्यताएं सम्मानित और मूल्यवान बनी रहें। इसलिए, यह खंड भारत में शैक्षिक और व्यावसायिक प्रमाणन प्रक्रियाओं की गुणवत्ता और विश्वसनीयता बढ़ाने के व्यापक प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।खंड IV के निहितार्थ।यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि जांच अनुभवी और उच्च पदस्थ अधिकारियों द्वारा की जाए, जो परीक्षा कदाचार की गंभीरता को दर्शाता है। संभावित रूप से केंद्रीय जांच एजेंसियों को शामिल करके, यह अधिनियम उन अपराधों की जटिलता और पैमाने को स्वीकार करता है जिनका समाधान करना चाहता है, जो स्थानीय या राज्य के अधिकार क्षेत्र से परे हो सकते हैं।खंड V: विविध धारा 13: लोक सेवक के रूप में सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरण के अध्यक्ष, सदस्यों, अधिकारियों और कर्मचारियों की कानूनी स्थिति को परिभाषित करता है, उन्हें भारतीय न्याय संहिता, 2023, या भारतीय दंड संहिता के तहत कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है, जब तक कि पूर्व अधिनियमित न हो जाए। यह पदनाम इन व्यक्तियों को अनुचित कानूनी नतीजों के डर के बिना अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए आवश्यक अधिकार और सुरक्षा प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि मेडिकल में दाखिले सेजुड़ी नीट 2024 परीक्षा में गड़बड़ी मामला-चार सदस्यीय कमेटी गठित-एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट देगी।सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) कानून 2024,10 साल की जेल अपनी ताक़त दिखाएगा।पेपर लीक,चीटिंग में लिफ्त संदिग्धों की बिना वारंट गिरफ्तारी व जमानत नहीं मिलने की सख़्ती से माफियायों के हौसले पस्त होंगे।
-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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