विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष
नया सवेरा नेटवर्क
5 जून 1973 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया इस उद्देश्य से जिसकी वजह से पूरे विश्व में प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है इस प्रकार प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुंचना पर्यावरण के लिए खतरा है |2024 का थीम" हमारी भूमि ,हमारा भविष्य ",है ,यह थीम भूमि व इकोसिस्टम को बहाल करने ,जैव विविधता की रक्षा करने,और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए आवश्यक सामूहिक प्रयास पर जोर देती है,इस वर्ष का विषय भूमि पुनर्स्थापन ,मरुस्थलीकरण, और सूखा लचीलापन है,। मरुस्थलीकरण तब होता है जब उपजाऊ भूमि रेगिस्तान या अर्ध शुष्क क्षेत्र में बदल जाती है।ऐसा प्राकृतिक और मानव प्रेरित कारकों के संयोजन के कारण होता है जैसे सूखा ,वनों की कटाई,अतिचारण,और बदलती पर्यावर्णीय,परिस्थितिया आदि शामिल है। हमारे भोजन व शरीर से लेकर प्राकृतिक सम्पदा को विषाक्त करते माइक्रोप्लास्टिक के खतरे से जूझते व इसे रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने विगत वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस के दिन प्लास्टिक प्रदूषण के लिए समाधान तलाशने की थीम दी थी। जंतुओं व मानव जीवन पर इसका बुरा प्रभाव पड़ा है,पर्यावरण हमें प्रकृति द्वारा मिला अमूल्य उपहार है परिऔर आवरण दोनों को मिलाकर पर्यावरण बना है ।पर्यावरण के बिना धरती पर जीवन का अस्तित्व ही नहीं है ,मनुष्य के स्वस्थ जीवन में पर्यावरण की महत्वपूर्ण भूमिका होती है पर्यावरण एकमात्र आवास है जो मनुष्य के पास है और यह हवा भोजन और अन्यआवश्यकताएं प्रदान करता है ।पर्यावरण वायु व जलवायुको विनियमित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ।विश्व पर्यावरण दिवस का महत्व इस धरती पर रहने वाले सभी जीवित व अजीवित चीजे पर्यावरण के अंतर्गत आती हैं। पर्यावरण में ये चाहे जहां मौजूद हो यह पर्यावरण के हिस्सा होते हैं ।पर्यावरण में हवा ,पानी ,सूर्य की रोशनी पौधे ,जीव जंतु सभी शामिल हैं ।पृथ्वी हमारे सौर परिवार का एकमात्र ग्रह है जिस पर जीवन पाया जाता है ।पर्यावरण जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है ।पर्यावरण में जीवित जीवो को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ।यह पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखता है जो पृथ्वी पर जीवन को बचाए रखता है ।इसके अलावा मनुष्य का संपूर्ण जीवन पर्यावरणीय कारकों पर पूरी तरह निर्भर करता है ।पृथ्वी पर विभिन्न जीवन चक्रो को बनाए रखने में भी मदद करता है ।पर्यावरण दिवस 2023 की थीम बीट प्लास्टिक प्रदूषण" "प्रकृति में प्लास्टिक प्रदूषण पर समाधान पर चर्चा व उपाय मुख्यबिन्दु था।इस बार 2024 विश्व पर्यावरण दिवस की मेजबानी सऊदी अरब कर रहा है।संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम में इसका अहम दिन होगा। मानवता की संपूर्ण जीवन समर्थन प्रणाली पृथ्वी पर रहने वाली सभी प्रजातियों की भलाई पर निर्भर करती है इसे आमतौर पर बायोस्फियर कहा जाता है ।बायोस्फीयर एक वैश्विक पारिस्थितिक तंत्र को संदर्भित करता है ।पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर वर्षावन ,महासागर ,रेगिस्तान, और टुंड्रा जैसे छोटे पारिस्थितिक तंत्र हैं ।पारिस्थितिकी तंत्र सजीव व निर्जीव भागों से बना होता है चाहे वह स्थलीय हो या जलीय हो ।निर्जीव भाग से जल वायु और पोषक तत्व है। जीवित तत्व पौधे जानवर, सूक्ष्म जीव व मनुष्य हैं ।विभिन्न प्रकार की मानवीय गतिविधियां जो सीधे पर्यावरणीय आपदाओं के लिए जिम्मेदार होते हैं जिसके कारण अम्ल वर्षा ,महासागरों का अम्लीकरण ,जलवायु में परिवर्तन ओजोन परत का ह्रास, ग्लोबल वार्मिंग, प्रदूषण आदि समस्याएं हैं दीर्घकालिक परिणामों को समझे बिना लोग लगातार ऐसे तकनीकी का उपयोग कर रहे हैं जो हमारी प्रकृति पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। पेड़ों की कमी ,बढ़ते प्रदूषण इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उपयोग के कारण विभिन्न जानवर विलुप्त होने के कगार पर है। गांव से शहरी क्षेत्रों में प्रवास करने वाले पक्षी हानिकारक तरंगों के कारण विलुप्त प्राय हो गए हैं ।वृक्ष ही भूमि की उर्वरता से लेकर कृषिकार्य को सफल बनाने में अपना उल्लेखनीय योगदान देते हैं। इनके साथ जहां बंजर भूमि उपजाऊ हो जाती है तो वही रेगिस्तान के प्रसार पर नियंत्रण हो जाता है ।और भूमि के जलस्तर में भी वृद्धि होती है ।इसके साथ ही बृक्षों से उपलब्ध फल फूल, आहार एवं औषधियां जीवन का आधार है। इंसान ही नहीं हर प्राणी इनसे पोषण पाता है मानव को जहां इनसे नाना प्रकार के फल एवं जीवनदायिनी औषधियां मिलती हैं वही प्रकृति की गोद में विचरण कर रहे जीव जंतु पूर्णतया इन्हीं पर निर्भर होते हैं इसलिए इनके आश्रय में रहकर जीवन यापन करते हैं ।बिना बृक्षों के प्रकृति की इस आश्रय दाई व्यवस्था की कल्पना भी नहीं की जा सकती जहां वनों का बेतहाशा कटाव हो रहा है। प्रकृति का निर्बाध रूप से दोहन और शोषण हो रहा है ।अधिकाधिक वृक्षों के रोपण और वनों के संरक्षण के आधार पर ही मानव सभ्यता को इस त्रासदी से बचाया जा सकता है ।हमें अपने पूर्वजों से यह धरती विरासत में नहीं मिली है हमने इसे अपने बच्चों से उधार लिया है आज जब हम प्रकृति और देखते हैं तो लगता है कि यह कह रही हो कि मुझे इस प्रकार ने इस्तेमाल करो कि आने वाले समय में मैं प्राणियों को जीवन देने में असमर्थ हो जाऊं । प्राकृतिक वातावरण द्वारा प्रदान किए गए उपहार मानव जाति के साथ-साथ अन्य जीवो के लिए भी आनंदित है वायु,सूर्य के प्रकाश,जीवाश्म,ईंधन आदि सहित ये प्राकृतिक संसाधन इतने महत्वपूर्ण है कि इनके बिना जीवन कभी संभव नहीं हो सकता। हालांकि बड़ी आबादी द्वारा भौतिक वस्तुओं के लालच में वृद्धि के साथ इन संसाधनों का उपयोग और उनकी सीमाओं से परे दुरुपयोग किया जा रहा है यह आर्थिक विकास की बजाय मानव स्वास्थ्य के लिए अधिक खतरनाक साबित हो सकता है। समय आ गया है कि हम पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक हो प्रदूषण के विरोध में आवाज भी उठाई जाए, इस अभियान में सक्रिय रूप से सबको भाग लेना चाहिए ,वृक्षारोपण को बढ़ावा देना चाहिए ,जितने भी जल संसाधन हैं उन्हें स्वच्छ रखना चाहिए प्लास्टिक जैसे वस्तुओं को जल में प्रवाहित न किया जाए ,प्लास्टिक की जगह मिट्टी के बर्तनों को बढ़ावा देना चाहिए,अवांछित प्रदूषण को फैलाने पर रोक लगानी चाहिए और वर्षा जल संचयन के अभियान को बढ़ावा भी देना बहुत ही आवश्यक है, इन सब के प्रति लोगों में जागरूकता लानी होगी तभी हम स्वच्छ पर्यावरण में स्वस्थ जीवन बिता सकेंगे। मानव जीवन पंचतत्वों से बना है इन पंच तत्वों के नियमों को मानते हुए यदि उसके गुणों को अपनाएंगे तो अवश्य ही पर्यावरण के संरक्षक हम कहलायेंगे।अब हम हिमालयी क्षेत्र की पारिस्थितिकी विषमता की वजहों के हल तलाशे और ऐसे विकास को तरजीह दे जिससे पर्यावरण की बुनियाद मजबूत हो और उसे व्यापक बनाने की दिशा में अनवरत प्रयास किये जाते रहे।
डॉ. सन्तोष कुमार तिवारी
अकादमिक रिसोर्स पर्सन 'विज्ञान'
जौनपुर, उत्तर प्रदेश।
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