नया सवेरा नेटवर्क
ठाणे। झूठी शान में पश्चिमी सभ्यता का अनुसरण आज की युवा पीढ़ी को धर्म से विमुख कर दिया है, व्यापारिक शिक्षा के अंधी दौड़ में अपनी पुरानी संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं।युवाओं को संस्कारवान बनाने के लिए गुरुकुल शिक्षा बेहद जरूरी है। यह बात अयोध्या के प्रसिद्ध कथावाचक डॉ. कौशलेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने कही। महर्षि वेद विज्ञान विद्या पीठ से उच्च शिक्षा ग्रहण करने वाले डॉ. पाण्डेय ने कहा कि कुछ कर गुजरने की तमन्ना आदमी को सफ़लता की ओर ले जाती है।
बचपन से ही अध्यात्म की तरफ झुकाव
18 पुराण 4 वेद 6 उपनिषद् के प्रकाण्ड विद्वान डॉ. पाण्डेय जी ने बताया कि बचपन से ही अध्यात्म की तरफ मेरा झुकाव था। इसमें मेरे पिता जी का उचित मार्गदर्शन और सहयोग मिला। शास्त्री करने के बाद इस क्षेत्र में फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज अपनी कार्य से लोगों में अपनी एक अलग पहचान बना चुके पाण्डेय जी की चाहत है गौशाला, शिक्षा, सनातन धर्म का उत्थान के साथ हर सनातनी को शिक्षा मिले।
आश्रम में निःशुल्क शिक्षा
डॉ. कौशलेन्द्र जी लोक कल्याण, धर्म प्रचार, बच्चों को संस्कारवान बनाने लखनऊ के चिनहट में आश्रम का निर्माण कराया है। अध्यात्मिक लगाव वाले बच्चे को, जिनकी आयु 8 वर्ष की हो, उन्हें आश्रम में निःशुल्क पढ़ाई व रहने का खर्च आश्रम उठाएगा। इस गुरुकुल की शुरुआत 21 बच्चों से की जाएगी। इसके बाद धीरे-धीरे आगे व्यवस्था बढाई जाएगी। धर्म अध्यात्म से विमुख हो रहे बच्चों को नई धारा में लाने के लिए शास्त्री के अलावा अत्याधुनिक पद्धति से भी पठन पाठन कराया जाएगा। गुरुकुल में पढ़ाई के बाद धर्म गुरु, शास्त्री,आचार्य,पुरोहित आदि बन सकते हैं। जिन बच्चों ने मां बाप को छोड़ दिया है, ऐसे लोगों के लिए वृद्धा आश्रम बनाया जा रहा है जिससे जिनके मां बाप नहीं है ऐसे अनाथ बच्चों को एक परिवार भी मिल जाएगा, संस्था से हजारों लोग जुड़े हैं।
कारागार में भागवत कथा
सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए हर साल श्री मद भगवद् फ़ाउण्डेशन संस्था 12-14 भागवत कथा करवाती है। इसके अलावा 18 पुराण 4 वेद 6 उपनिषद् के बारे में कथा करते हैं। कोरोना में मृत अनाथ लोगों का पिंडदान कराया। पितृपक्ष में श्राद्ध कराया। एक अनोखी पहल करते हुए लखीमपुर खीरी में कैदियों के लिए जून में भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है, जहां 2000 कैदी कृपा के पात्र होंगे। जिनके पिता नहीं हैं जेल में रहने के बाद अपने पिता का अंतिम संस्कार नहीं कर पाए, उनका पिंडदान आदि कराया जाएगा।
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