- हरे पेड़ों की हो रही अंधाधुन कटाई,जिम्मेदान मौन
नया सवेरा नेटवर्क
सिकरारा। स्थानीय थाना क्षेत्र की धरती पर जिस गति से पृथ्वी के आभूषणों को नष्ट करने का काम किया जा रहा है उसे देखकर यही लग रहा है कि आने वाले समय में पृथ्वी आभूषण विहीन हो जाएगी। वृक्ष धरा का भूषण है करता दूर प्रदूषण है।क्या इस नारे को जिम्मेदार भूल गए हैं। क्षेत्र में जितनी भी आरा मशीने चल रही है सभी आरा मशीनों पर लकडि़यों का ढेर लगा हुआ है वन माफियाओं द्वारा हरि लकड़ियों को कटवा कर सुरक्षित आरामशीनो तक पहुंचने का कार्य किया जाता है एक सर्वे के अनुसार इस समय पृथ्वी को हरा भरा करने के लिए 400 करोड़ से 500 करोड़ तक के वृक्षों को लगाने की आवश्यकता है।
सरकार द्वारा हर वर्ष लाखों रु पए खर्च करके पेड़ लगाए जाते हैं एक पेड़ को तैयार होने में 5-6 साल लग जाते लेकिन तैयार होने के बाद उन्हि हरे भरे पेड़ों को काटकर नष्ट करदिया जाता है आखिर इसका जिम्मेदार कौन है सरकार द्वारा इस कार्य को रोकने के लिए वन विभाग से संबंधित कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है आखिर उक्त कर्मचारियों द्वारा क्या किया जा रहा है हरा पेड़ काटने वाले के ऊपर लगाम क्यों नहीं लगाई जा रही है यह अपने आप में एक अहम सवाल है।
पहले तो पेड़ों को काटने में समय लगता था लेकिन अब इलेक्ट्रिक आरा मशीनों द्वारा धड़ाधड़ विशाल काय वृक्षों को मिनटो में काटकर अलग कर दिया जाता है फिर उसे ट्रैक्टरों पर लाद कर आरा मशीनों तक पहुंचाने का कार्य किया जाता है। क्षेत्र के जितने भी लकड़ी व्यवसाइ हैं पेड़ों को काटकर मालामाल होते जा रहे हैं उनको यह नहीं पता है कि हम अपने ही पैर में कुल्हाड़ी मार रहे हैं। जिम्मेदार भी चंद रु पए के लालच में पेड़ों को काटने में छूट दे रहे है जब कभी मीडिया कर्मियों की नजर पेड़ों को काटते समय या ट्रैक्टर से ले जाते समय नजर पड़ती है तो उल्टा मीडिया कर्मियों को ही धमकाया जाता है। पृथ्वी पर वृक्षों की कमी के कारण अधिक तापमान बढ़ रहा है जिसके कारण जनमानस गर्मी से बेहाल है। हरे भरे पेड़ों की कटाई पर सरकार को अविलंब रोक लगानी चाहिए लेकिन रोक लगाने के लिए कौन कहे पेड़ों को वन माफियाओं की सांठ गांठ पर धुआंधार कटवाया जा रहा है।
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