Author: Vandana |
नया सवेरा नेटवर्क
गीत भी ये आख़िरी है
आख़िरी क्षण है विदा का गीत भी ये आख़िरी है
निभ नहीं पायी जो हमसे रीत भी ये आख़िरी है
चल रहे हैं चाँद सूरज तुम ज़रा आराम कर लो
कौन आकर के कहेगा तुम ज़रा विश्राम कर लो
कौन समझेगा थकन मन की जो पूरा थक गया है
था वही मधुमास आखिर शीत भी वह आख़िरी है
आख़िरी क्षण है विदा का गीत भी ये आख़िरी है
निभ नहीं पायी जो हमसे रीत भी ये आख़िरी है
मौन भावों की रही है जो दबी सी प्रतिक्रिया
जल रहा हृद में अभी भी नेह का वो ही दिया
स्नेह का आधार क्यों टूटा भला विश्वास लेकर
जग को निर्ममता से कह दूँ प्रीत भी ये आख़िरी है
आख़िरी क्षण है विदा का गीत भी ये आख़िरी है
निभ नहीं पायी जो हमसे रीत भी ये आख़िरी है
संकुचित होते हुए ये कर रहा विस्तार भी है
छूटता दिखने लगा हमको यहाँ संसार भी है
वेदना को प्राण में अपने बसाकर अश्रु से
हारकर सर्वस्व कहती जीत भी यह आख़िरी है
आख़िरी क्षण है विदा का गीत भी ये आख़िरी है
निभ नहीं पायी जो हमसे रीत भी ये आखिरी है
वंदना , अहमदाबाद
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