प्रतिमा मिश्रा
नया सवेरा नेटवर्क
टेढ़ा-पेड़
असीमित भविष्य लिए,
बाग में नये पौधे का आगमन।
ले आये और लगा दिया
बड़े-बड़े लता लगे पेड़ के नीचे
भला छाया में पौधा कैसे उगे?
कैसे बनायें अपना अस्तित्व?
सोचा तो होता कभी
खाद भी चाहिए होगा, पानी भी
माली ही गैरजिम्मेदार हो!
तो नन्हें पौधे का क्या भविष्य?
लगते ही जड़े फैली,
काटना चाहते या
फैलने से रोक लेते,
कोई बोनसुई तो नहीं!
ये पौधा है, बड़े काम का
छाया देने वाला घना-भरा
घोंसलों की लड़ियाँ लगती!
फल भी और फूल भी होते।
जहां बच्चे झूला डालते,
ऐसे मजबूत टहनियां होती
अन्तर्मन के द्वंद से बाहर निकल,
संघर्षों के अनवरत प्रयास।
पौधे ने हार न मानी छाया को दरकिनार कर
बनाया अपना वज़ूद
अब ठान ली पनपने की
गर्दन को थोड़ी टेढ़ी की और सबसे अलग
हुआ नव प्रवेश,नव जीवन में
बढ़ता गया पत्तियां निकली
हरा-भरा छायादार।
सबकी आंखों में चुभता,
अब वो टेढ़ा पेड़!
संभला और संवर भी गया।
लेकिन, लगा दिया प्रश्न चिन्ह बेचारे बागवान पर।
टेढ़ा पेड़! दिया ही क्यों?
सब देखते नयापन।
किसी ने न देखी उसकी पीड़ा,
उसकी तपस्या, उसका दुस्साहस,
फिर उठ आगे बढ़ने की।
✍️✍️ प्रतिमा मिश्रा (स0अ0)
प्राथमिक विद्यालय गयासपुर
विकास खंड सिरकोनी, जनपद जौनपुर
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