#LokSabhaElections2024 : सोलापुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र | #NayaSaveraNetwork

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  • कांग्रेस को प्रणीति से पराक्रम की आस

अजीत कुमार राय/जागरूक टाइम्स

मुंबई। सोलापुर लोकसभा सीट महाराष्ट्र की एक प्रमुख लोकसभा सीट है। हालांकि सोलापुर जिले पर  अधिकार को लेकर महाराष्ट्र और कर्नाटक में विवाद है। सोलापुर में मराठी भाषा के साथ तेलुगु और कन्नड भी बोली जाती है। सीमा विवाद सुलझाने को लेकर गठित महाजन आयोग ने सोलापुर को कर्नाटक में शामिल करने का सुझाव दिया था लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने इस सुझाव को नहीं माना जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में है। कभी बहमनी और बीजापुर साम्राज्य का हिस्सा रहा सोलापुर जिला फिलहाल महाराष्ट्र प्रदेश का हिस्सा है। राजनीतिक दृष्टि से देखें तो सोलापुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र उन क्षेत्रों में से एक है, जहाँ से कांग्रेस अपने लिए जीत की उम्मीद कर सकती है। यह उन सीटों में से है जहाँ इमरजेंसी के दौर में भी कांग्रेस को जीत मिली थी। कांग्रेस ने यहाँ अपने वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे की बेटी प्रणीति शिंदे को मैदान में उतारा है। यहां से सुशील कुमार शिंदे 3 बार सांसद चुने गए हैं। 

शिंदे कांग्रेस की मनमोहन सरकार में गृह मंत्री रहे। वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी रहे हैं। सोलापुर सिटी नॉर्थ, सोलापुर सिटी सेंट्रल, अक्कलकोट, सोलापुर दक्षिण, पंढरपुर और मोहोल विधानसभा क्षेत्रों से मिलकर बने सोलापुर लोकसभा सीट पर कभी कांग्रेस का कब्जा रहा करता था। लेकिन मोदी लहर में उनसे यह सीट छिटक गई। इस सीट के चुनावी परिणाम पर नजर डाले तो यहां 1951 और 1957 में दो सदस्य चुने गए। 1962 में इस सीट से कांग्रेस के मडेप्पा कडाडी सांसद बने। 1967, 1971 और 1977 में कांग्रेस के सूरजरतन दमानी यहां से लगातार तीन बार चुनाव जीतने में सफल हुए। साल 1980 और 1984 में कांग्रेस के गंगाधर कुचान सांसद बने। 1989 और 1991 में कांग्रेस के धर्मन्ना सादुल ने इस सीट से चुनाव जीता। साल 1996 में लिंगराज बलैरैया वालयल ने यहां भाजपा का खाता खोला। 


  • तीन बार एमपी रहे पिता, तीन बार एमएलए बनी बेटी बनेगी वारिस!

साल 1998 में इस सीट से कांग्रेस ने अपने दिग्गज नेता सुशील कुमार शिंदे को चुनावी मैदान में उतारा। शिंदे ने 1998 और 1999 का चुनाव जीता और संसद में इस संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। साल 2003 में वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने और उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया। यहां हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी प्रतापसिंह मोहिते-पाटिल ने कांग्रेस के प्रत्याशी को हराते हुए चुनाव जीत लिया। 2004 के चुनाव में भी बीजेपी ने इस सीट पर जीत कायम रखी और सुभाष देशमुख सांसद बने। साल 2009 के चुनाव में कांग्रेस ने फिर से यहां सुशील कुमार शिंदे को चुनाव लड़ाया और उन्होंने जीत दर्ज की। इस बार पार्टी ने उनकी पुत्री तथा इसी लोकसभा क्षेत्र के सोलापुर सिटी सेंट्रल से तीन बार की विधायक प्रणीति शिंदे को टिकट दिया है। प्रणीति प्रदेश कांग्रेस कमेटी में कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं और उनकी गिनती तेज-तर्रार नेताओं में होती है। अब देखना यह है कि क्या वो अपने पिता की विरासत को वापस पाने और विधान सभा की अपनी चुनावी सफलता को लोकसभा चुनाव में भी दोहरा पाने में सफल हो पाती हैं।


  • कांग्रेस के लिए ‘प्रकाश’ न कर दें अंधेरा


इस संसदीय क्षेत्र के संबंध में माना जाता है कि दलित लॉबी जिसके साथ रहती है, वही जीत का परचम लहराता है। चुनाव में दलित लिंगायत मराठा और मुस्लिम समाज के वोट निर्णायक होते हैं। लिंगायत समाज का झुकाव भाजपा की तरफ रहता है। वहीं शिंदे यहां से दलित और मुस्लिम वोटों के गठजोड़ से जीतते रहे हैं। कांग्रेस हाईकमान ने इन्हीं समीकरणों को ध्यान में रखते हुए प्रणीति को टिकट दिया है। जब प्रणीति के टिकट की घोषणा की गई तब वंचित बहुजन अघाड़ी के प्रकाश आंबेडकर महाविकास आघाड़ी के हिस्सा थे। हालांकि बदलते राजनीतिक परिवेश में वे गठबंधन से अलग होते नजर आ रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस के लिए मुश्किल हो सकती है। क्योंकि प्रकाश आंबेडकर के मैदान में आने से दलित- मुस्लिम गठजोड़ कमजोर पड़ गया। जैसा कि पिछले चुनाव में देखने को मिला था। 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रकाश आंबेडकर ने 15 प्रतिशत मत प्राप्त कर शिंदे की हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यदि इस बार भी ओवैसी की एमआईएम और प्रकाश आंबेडकर चुनावी मैदान में आ जाते हैं तो कांग्रेस के लिए इस सीट पर जीत दर्ज कर पाना असंभव-सा हो जाएगा।

  • भाजपा ने बदला प्रत्याशी, नजर हैट्रिक पर 

वर्तमान में इस सीट से भाजपा के डॉ. जयसिद्धेश्वर शिवाचार्य महास्वामी सांसद हैं। लेकिन भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने यहां से प्रत्याशी बदलते हुए इसी जिले के अंतर्गत आने वाली मालशिराज सीट से विधायक राम सातपुते को अपना उम्मीदवार बनाया है। 2014 से यहां भगवा लहरा रहा है। वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के डॉ. जयसिद्धेश्वर स्वामी ने जीत दर्ज की है। डॉ. स्वामी ने कांग्रेस पार्टी के सुशील कुमार शिंदे को 1,49,674 वोटों से हराया था। वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर पर सवार भाजपा ने इस सीट को भी अपनी झोली में डाल लिया था। तब भाजपा उम्मीदवार शरद बंसोड ने सुशील कुमार शिंदे को ही 1,49,674 वोटों से हराया था। जबकि 2009 के लोकसभा चुनाव में बंसोड को शिंदे से ही 99,632 वोटों से शिकस्त मिली थी। विधायक सतपुते पर पार्टी नेतृत्व के निर्णय को सही साबित करते हुए इस सीट पर जीत की हैट्रिक लगाने की जिम्मेदारी है। 


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