#LokSabhaElections2024 : हैदराबाद लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र | #NayaSaveraNetwork

  • 40 साल से ओवैसी परिवार का कब्जा
  • किला ढहाने भाजपा ने माधवी लता को उतारा

अजीत कुमार राय/जागरूक टाइम्स

मुंबई। हैदराबाद लोकसभा सीट तेलंगाना राज्य के 17 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। यह तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की संयुक्त राजधानी भी है। इस सीट पर सिर्फ और सिर्फ ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) का ही सिक्का चलता है। हैदराबाद में लोकसभा के हुए कुल 17 चुनावों में दस बार ओवैसी परिवार की जीत हुई है। इस सीट पर पिछले 40 साल से ओवैसी परिवार का कब्जा है। हैदराबाद को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी के परिवार की परंपरागत सीट माना जाता है। हैदराबाद लोकसभा सीट के इतिहास की बात करें तो यहां पहली बार 1952 आम चुनाव में वोटिंग हुई थी। उस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार अहमद मोहिउद्दीन ने जीत हासिल की थी। लेकिन साल 1957 आम चुनाव में कांग्रेस ने उम्मीदवार बदल दिया। 

कांग्रेस ने विनायकराव कोरटकर को मैदान में उतारा और उन्होंने जीत हासिल की। साल 1962 आम चुनाव में कांग्रेस के गोपालैया सुब्बु कृष्ण मेलकोटे ने जीत दर्ज की। मेलकोटे साल 1971 आम चुनाव में भी सांसद चुने गए। लेकिन इस बार मेलकोटे ने कांग्रेस की बजाय तेलंगाना प्रजा समिति के टिकट पर चुनाव लड़ा था। साल 1977 आम चुनाव में कांग्रेस के केएस नारायण को जीत मिली। जबकि साल 1980 आम चुनाव में कांग्रेस (आई) के टिकट पर केएस नारायण फिर से सांसद चुने गए। 

सन 1984 के चुनाव में इस सीट पर एक नए इतिहास की शुरुआत हुई, जब स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में असदुद्दीन ओवैसी के पिता सलाहुद्दीन ओवैसी ने ये जीत हासिल की थी। अगला चुनाव इन्होंने सन 1927 स्थापित मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एमआईएम) तथा सन 1958 में अपने पिता अब्दुल वाहिद ओवैसी द्वारा पुनर्जीवित किए गए संगठन ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के बैनर तले लड़ा और 1989, 1991, 1996, 1998 और 1999 के लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज कर छठी बार सांसद बने। इसके बाद 2004 में हुए लोकसभी चुनाव में इस सीट से उनके पुत्र तथा वर्तमान सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने चुनाव लड़ा और उसके बाद हुए सभी लोकसभा चुनावों में जीत दर्ज की। यहां से ओवैसी 6वीं बार सांसद बनने के लिए मैदान में हैं। हालांकि इस बार यह आसान नहीं लग रहा है। 

क्योंकि ओवैसी को टक्कर देने के लिए भाजपा ने इस बार फायर ब्रांड माधवी लता को मैदान में उतारा है। जिनको लेकर जन समर्थन सड़क से सभा तक दिखता है। भाजपा प्रत्याशी माधवी लता के पक्ष में हो रही चुनावी रैली और रोड शो में उमड़ी भीड़ बता रही है कि इस बार मामला टक्कर का है। माधवी लता हर रोज ओवैसी के सामने अपने तर्कसंगत सवालों के लेकर खड़ी हो जाती हैं।

 

  • पांचवीं बार सांसद बनना चाहेंगे ओवैसी

ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी हैदराबाद से लोकसभा सीट से मैदान में हैं। ओवैसी को उन्हें सियासत अपने पिता से विरासत में मिली है। शुरुआती पढ़ाई हैदराबाद पब्लिक स्कूल से करने के बाद वे उस्मानिया यूनिवर्सिटी से BA एवं लंदन के लिंकन इन से बैचलर ऑफ लॉज और बैरिस्टर-एट-लॉ की पढ़ाई की है। ओवैसी के राजनीतिक सफर की शुरुआत 1994 में हुई। उन्होंने पहला चुनाव हैदरबाद की चारमीनार विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा। 1967 से ये सीट एआईएमआईएम के कब्जे में थी। यहां से ओवैसी ने करीब 40 हजार वोटों के मार्जिन से चुनाव जीता। फिर ओवैसी ने 1999 के चुनाव में तेलुगु देशम पार्टी के सैयद शाह नुरुल हक कादरी को 93 हजार वोटों के भारी अंतर से हराया। 

ओवैसी ने पहला लोकसभा चुनाव 2004 में लड़ा। उनके पिता सलाहुद्दीन ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए हैदराबाद सीट से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। इसके बाद असदुद्दीन ओवैसी ने यहां से चुनाव लड़ा और जीते। वे 2009 में फिर से चुनाव जीते। 2014 के लोकसभा चुनाव में जबरदस्त मोदी लहर थी। फिर भी ओवैसी 2 लाख वोटों से चुनाव जीते। ओवैसी ने 2019 में भी 2.83 लाख वोटों से चुनाव जीता था। हालांकि इस बार उनके लिए परिस्थितियां अनुकूल नहीं दिखाई दे रहीं हैं। अब देखना यह है उनका यह किला ढह जाता है या वे इसे बचाने में सफल रहते हैं।

 

  • भाजपा की माधवी लता दे रहीं कड़ी टक्कर

सनातन की पैरोकार माधवी लता हिंदुत्ववाद का बड़ा चेहरा हैं। वे खुलकर ओवैसी के खिलाफ बोलती हैं और मुस्लिम महिलाओं में भी इनकी पैठ है। पिछले दो चुनाव से भाजपा हैदराबाद में पूरे दमखम से लड़ रही है। माधवी नया चेहरा है, लेकिन पहचान पुरानी है। स्थानीय लोग उन्हें प्रखर हिंदू नेता के साथ सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जानते हैं। 49 साल की माधवी लता पेशे से कारोबारी होने के साथ-साथ समाजसेवी भी हैं और लंबे समय से मुस्लिम-बहुल पुराने शहर में सक्रिय हैं। कोई विशेष राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं होने के बावजूद माधवी लता अपना सियासी वजूद साबित करने के लिए पूरा जोर लगा रही हैं। पेशेवर भरतनाट्यम नृत्यांगना माधवी लता ने तेलुगु और तमिल फिल्मों में अभिनय भी किया है। 

वह 2018 में भाजपा में शामिल हो गईं और 2019 में आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में गुंटूर पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतरीं। हालांकि इस चुनाव में उन्हें हार मिली। माधवी लता को उम्मीदवार बनाये जाने का एक कारण यह रहा कि वह मुस्लिम महिलाओं के उत्थान के लिए काम करती हैं और उनके बीच काफी लोकप्रिय हैं। साथ ही प्रखर वक्ता होना भी उनके पक्ष में है। माधवी लता निराश्रित मुस्लिम महिलाओं की आर्थिक मदद भी करती रही हैं। उन्होंने तीन तलाक के खिलाफ अभियान भी चलाया था। खुद माधवी लता दावा करती हैं कि उन्हें चुनाव में मुस्लिम महिलाओं का सहयोग मिलेगा। 

 

  • कांग्रेस ने बढ़ाई ओवैसी की मुश्किल

हैदराबाद से असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ कांग्रेस ने भी अपना उम्मीदवार उतार दिया है। कांग्रेस ने यहां मोहम्मद वलीउल्लाह समीर को अपना उम्मीदवार घोषित किया है, जिससे अब इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया माना जा रहा है कि मोहम्मद वलीउल्लाह समीर हैदराबाद में अगर ओवैसी को मजबूत टक्कर दे पाए तो मुस्लिम वोटों में बंटवारा हो सकता है। ऐसी स्थिति में भाजपा उम्मीदवार माधवी लता के लिए जीत की राह आसान हो सकती है। यदि पूर्व के चुनावों के देखें तो ऐसे लग रहा है, जैसे कांग्रेस ने ओवैसी द्वारा पूर्व में किए गए नुकसान का बदला लेने के लिए यह दांव खेला है। अब देखना यह है कि कांग्रेस के इस दांव का फायदा किसे और कितना होता है? फिलहाल तो कांग्रेस के प्रत्याशी उतारने से भाजपा को फायदा होता दिख रहा है। 

  • सात में छह विधानसभाओं पर एआईएमआईएम का कब्जा

हैदराबाद लोकसभा सीट के तहत 7 विधानसभा सीटें आती हैं। उनमें से 6 विधानसभा सीटों पर एआईएमआईएम का कब्जा है। जबकि एक सीट में भाजपा के उम्मीदवार की जीत हुई है। गोशमहल विधानसभा से भाजपा के टी राजा सिंह ने जीत हासिल की है। मालकपेट से अहमद बिन अब्दुल्ली बलाला, करवान से कौसर मोहिउद्दीन, चारमीनार से मीर जुल्फेकार अली, चंद्रायणगुट्टा से अकबरुद्दीन ओवैसी, याकूतपुरा से जाफर हुसैन मेहराज और बहादुरपुरा से मोहम्मद मुबीन विधायक चुने गए हैं। 

 

221 करोड़ की मालकिन हैं माधवी लता

हैदराबाद लोकसभा सीट से भाजपा की उम्मीदवार माधवी लता के पास 221.37 करोड़ रुपये की पारिवारिक संपत्ति है, जो उन्हें तेलंगाना के सबसे अमीर उम्मीदवारों में से एक बनाती है। वह, उनके पति कोम्पेला विश्वनाथ, (दोनों व्यवसायी) और उनके तीन आश्रित बच्चों के पास 165.46 करोड़ रुपये की चल संपत्ति है और दंपति के पास 55.91 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति है। उनके पास सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध कंपनियों में 25.20 करोड़ रुपये के निवेश सहित 31.31 करोड़ रुपये की चल संपत्ति है। विरिंची लिमिटेड में उनका 7.80 करोड़ रुपये का निवेश है। उनके पास 3.78 करोड़ रुपये के सोने के आभूषण भी हैं। उनके पति के पास 88.31 करोड़ रुपये की चल संपत्ति है, जिसमें विरिंची लिमिटेड में 52.36 करोड़ रुपये के शेयर शामिल हैं। उनके तीन आश्रित बच्चों के पास भी 45 करोड़ रुपये से अधिक की कुल चल संपत्ति है। संपत्तियों में हैदराबाद और उसके आसपास गैर-कृषि भूमि और वाणिज्यिक और आवासीय भवन शामिल हैं। माधवी लता पर 90 लाख रुपये की देनदारी है जबकि उनके पति पर 26.13 करोड़ रुपये की देनदारी है।



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