तू मैं और करप्शन- जमकर खाओ- फाइल दबाओ नोटों की गड्डियां पाओ | #NayaSaveraNetwork

  • लोकसभा चुनाव 2024 की अधिसूचना जारी होने के पूर्व ही शाब्दिक बाणों का खेला! 
  • चुनावी मौसम आया-शाब्दिक बाणों से माहौल गरमाया - जनता जनार्दन को चौंकाया-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया 

@ नया सवेरा नेटवर्क

गोंदिया - विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में अनुमानतः  अप्रैल से मई 2024 तक 7-9 चरणों में लोकसभा चुनाव होने की संभावना व्यक्त की जा रही है, मेरा ऐसा मानना इसलिए भी है कि अभी माननीय पीएम 9 दिनों में 12 राज्यों की करीब 341 सीटों पर अपने संबोधन के दौरे पर हैं, वैसे भी पिछले दिनों से उन सीटों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जो हाथ से फिसल गई थी। स्वाभाविक है कि लोकसभा चुनाव की अधिसूचना उसके बाद ही जारी की जाएगी परंतु जिस तरह से पिछले दो दिनों से पक्ष विपक्ष में जोरदार शाब्दिक बाणों का प्रहार हो रहा है उससे सटीक अंदाजा लगाया जा सकता है कि चुनावी मौसम आ गया है और अपने ऊंचाई वाले स्तर पर जा रहा है। चुंकि विपक्ष ने पक्ष के नेता पर परिवार को लेकर तंज कसा है, सो उन्होंने लपक लिया और पूरे भारत को अपना परिवार बता दिया और फिर भ्रष्टाचार को लेकर भी शाब्दिक बाचा-बाची शुरू हो गई है।अभी 2 दिन पहले ही माननीय पीएम ने तो तू मैं और करप्शन एक राज्य के लिए, तो दूसरे के लिए जमकर खाओ की बातें कहीं, तो, 04 मार्च 2024 को एक राज्य में फाइल दबाव नोटों की गड्डियां पांओ की बात कही तो दूसरे दूसरी ओर 4 मार्च 2024 को ही देर शाम जानकारी आई के सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की संवैधानिक बेंच ने सर्वसम्मति से वोट फॉर नोट और सांसद व विधायकों नेताओं को इस मामले में छूट से इनकार करने का ऐतिहासिक फैसला दिया तो, उधर स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने अपने इलेक्ट्रॉन बॉन्ड की जानकारी सुप्रीम कोर्ट में देने की अंतिम तिथि 6 मार्च से बढ़कर 30 जून 2024 की अपील दाखिल की है जिसे विपक्ष ने लपक लिया है और विपक्ष नेता ने कहा दाल में कुछ काला ही नहीं पूरी दाल ही काली है। बता दें कि इस डिजिटल युग में एक क्लिक पर बैंक की सारी जानकारी खाताधारकों व सरकारी एजेंसियों को मिल जाती है तो एसबीआई द्वारा इलेक्ट्रोल बॉन्ड की जानकारी में इतना समय क्यों मांग लिया है, यह बात मेरे खुद की समझ से भी परे है क्योंकि तब तक तो इलेक्शन भी निपट जाएंगे तो जनता को कैसे पता चलेगा कि किस पार्टी ने कितना पैसा एसबीआई इलेक्ट्रॉन बॉन्ड के तहत उठाया है। चूंकि आज दिनांक 5 मार्च 2024 को परिवार, भ्रष्टाचार, इलेक्ट्रॉन बॉन्ड और सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की बेंच का फैसला यह मुद्दे काफी चर्चित रहे,इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, चुनावी मौसम आया, शाब्दिक बाणों से माहौल गरमाया जनता जनार्दन को चौंकाया। 

साथियों बात अगर हम भ्रष्टाचार पर शाब्दिक बाणों की करें तो, पीएम ने बंगाल में भ्रष्टाचार की बात करते हुए कहा कि यहां  नेताओं के घर से नोटों की गड्डियां मिल रही थींनेताओं ने जनता का पैसा लूटा है।अगर अपराध व भ्रष्टाचार की बात कहें तो इन्होंने इसमें नया मॉडल स्थापित किया है। कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां ना हुआ हो। उन्होने  कहा, मेरी गारंटी है. मैं बंगाल के लोगों से वादा करता हूं कि लूटने वालों को लौटाना ही पड़ेगा, ये छोड़ने वाला नहीं है। इनकी गालियों और हमले से डरने वाला नहीं है, झुकने वाला नहीं है।जिसने गरीब को लूटा है,उसको लौटाना ही पड़ेगा उन्होंने इस दौरान जनता को उस पार्टी के नाम का असली मतलब बताया। उन्होंने कहा कि अब इसका मतलब तू, मैं और करप्शन है। उन्होंने कहा कि इनकी सरकार ने राज्य के नाम को खराब किया है। हर तरह की योजना में यहां घोटाले देखने को मिलते हैं। येजनाएं हमारी होती हैं लेकिन वो उनपर अपना स्टीकर लगा देते हैं। गरीबों का हक छीनने से भी वो नहीं हिचकिचाते। 

साथियों बात कर हम इसी से सहलग्न नोट फॉर वोट भ्रष्टाचार के संबंध में 4 मार्च 2024 को देर शाम 7 सदस्यों की बेंच की संवैधानिक पीठ के फैसले की करें तो, सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संविधान पीठ ने 1998 के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें सांसद/विधायक को संसद या राज्य विधानसभा में वोट करने या भाषण देने के लिए रिश्वत लेने पर आपराधिक मुकदमे से छूट दी गई थी। मीडिया के अनुसार , सुप्रीम कोर्ट ने जेएमएम विधायक सीता सोरेन बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि संसद सदस्य (सांसद) और विधानसभा सदस्य (विधायक) रिश्वत लेने का आरोप लगने पर संविधान के अनुच्छेद 105 और 194 के तहत अभियोजन से किसी छूट का दावा नहीं कर सकते हैं। बेंच की अध्यक्षता भारत के मुख्य न्यायाधीश ने की। पीठ ने पिछले साल अक्टूबर में इसपर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (4 मार्च) को 1998 के पीवी नरसिम्हा राव के फैसले को पलट दिया, जिसमें कहा गया था कि संसद और विधानसभा के सदस्य विधायिका में वोट या भाषण के लिएसंविधान के अनुच्छेद 105(2) और 194(2) के तहत छूट का दावा कर सकते हैं। 1998 के अपने फैसले में पी.वी. नरसिम्हा राव बनाम सीबीआई मामले में शीर्ष अदालत ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 105 की पृष्ठभूमि में सांसदों को संसद में कही गई किसी भी बात या दिए गए वोट के संबंध में आपराधिक मुकदमा चलाने से छूट प्राप्त है। इसी तरह की छूट राज्य विधानमंडल के सदस्यों को अनुच्छेद 194(2) द्वारा मिली हुई है। एससी के फैसले को पीएम ने कहा- स्वागतम् पीएम  ने ट्वीट किया, सुप्रीम कोर्ट का एक महान निर्णय जो स्वच्छ राजनीति सुनिश्चित करेगा और सिस्टम में लोगों का विश्वास गहरा करेगा। 

साथियों बात अगर हम परिवार पर शाब्दिक बाणों की करें तो, पीएम ने सोमवार कोएक राज्य  में एक जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान पीएम नेविपक्ष के एक नेता के एक बयान पर जोरदार पलटवार किया ह। उन्होने कहा कि मुझपर परिवार को लेकर निशाना साधा गया है। पीएम ने कहा कि पूरा देश मेरा परिवार है। वहीं पीएम के इस बयान के बाद कई पार्टी नेताओं ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स (ट्विटर) पर अपने नाम के साथउनका परिवार लिख दिया है। इसी कड़ी में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री ने भी अपने नाम के आगे उनका का परिवार लिख दिया है। बता दे विपक्ष के एक बड़े नेता ने कहा था, ये वो क्या है।कोई चीज़ है क्या वो, ये आजकल परिवारवाद पर हमला कर रहे हैं।अरे भाई, तुम बताओ न कि तुमकोपरिवार में कोई संतान क्यों नहीं हुआ? ज़्यादा संतान होने वाले लोगों को बोलता है कि तुम परिवारवाद है, परिवारवाद के लिए लोग लड़ रहे हैं। तुम्हारे पास परिवार नहीं है।तुम हिंदू भी नहीं हो। जब तुम्हारी माता जी का देहावसान हुआ, हर हिंदू शोक में केश बनवाता है। दाढ़ी छिलवाता है, क्यों नहीं छिलवाया बताओ। क्यों नहीं छिलवाया? 

साथियों बात अगर हमएसबीआई इलेक्ट्रोल बॉन्ड पर शाब्दिक बाणों की करें तो, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट से चुनावी बॉन्ड की जानकारी देने के लिए 30 जून तक का समय मांगा है  सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों चुनावी बॉन्ड स्कीम को रद्द कर दिया था। साथ ही कोर्ट ने एसबीआई को चुनावी बॉन्ड की जानकारी चुनाव आयोग को देने को कहा था। दरअसल, एसबीआई ही चुनावी बॉन्ड जारी करता था।सीजेआई की बेंच ने 15 फरवरी 2024 को चुनावी बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक और आरटीआई का उल्लंघन करार देते हुए तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी। सीजेआई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने एसबीआई को अप्रैल 2019 से अब तक मिले चंदे की जानकारी 6 मार्च तक चुनाव आयोग को देने के लिए कहा था। कोर्ट ने चुनाव आयोग से 13 मार्च तक यह जानकारी अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने के लिए कहा था। 

साथियों बात कर हम कई राज्यों में व्याप्त भ्रष्टाचार की करें तो, पीएम ने कहा था तीन बुराइयों से लड़ना समय की मांग है, भ्रष्टाचार परिवारवाद और तुष्टीकरण। भ्रष्टाचार ने दीमक की तरह अर्थव्यवस्था को नोच लिया है। भ्रष्टाचार मुक्ति इसके खिलाफ जंग पीएम के जीवन का कमिटमेंट है। उन्होंने कहा मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ता रहूंगा। इसपर मेरा मानना है कि तीन बुराइयों में सबसे खतरनाक बुराई भ्रष्टाचार है, क्योंकि यह देश के राजनीतिक, आर्थिक सामाजिक, पर्यावरण की लागत और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर प्रभाव डालती है। मेरा मानना है कि उच्च स्तरपर भ्रष्टाचार पर आम जनता पर डायरेक्ट प्रभाव नहीं पड़ता। वह बड़े लोगों, रसूख रखने वाले नेताओं, उद्योगपतियों ब्यूरोक्रेसी के लेवल पर फर्क पड़ता है,जैसे महाराष्ट्र में 100 करोड़ वसूली मुद्दा, एमपी में अनेक ब्यूरोक्रेसी के घर पर छापा चपरासी से लेकर आईएएस तक करोड़ों की तादाद में बरामदगी, नियुक्तियों में भ्रष्टाचार मुद्दा, शिक्षक भर्ती घोटाला,एक राज्य में 40 परसेंट तो अभी दूसरे राज्य में 50 पर्सेंट ठेकेदारी मुद्दे का मामला इत्यादि अनेक ऐसे मामले देश के सामने हैं। परंतु आम जनता जनार्दन का काम पटवारी से लेकर वाया तहसील कार्यालय तक और एसडीओ से लेकर कलेक्टर ऑफिस तक यही उनका जीवन का अधिकतम हिस्सा निपट जाता है और इन्हीं चार पहियों पर आम आदमी का सामर्थ्य दीमक की तरह नोच लिया जाता है जिसका अनुभव मैंने अपने जीवन में कई बार किया है और मेरे पेशे के अनुसार कई बार आम जनता को पीड़ित होते हुए देखा है। 

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि तू मैं और करप्शन- जमकर खाओ- फाइल दबाओ नोटों की गड्डियां पाओ।लोकसभा चुनाव 2024 की अधिसूचना जारी होने के पूर्व ही शाब्दिक बाणों का खेला!चुनावी मौसम आया-शाब्दिक बाणों से माहौल गरमाया - जनता जनार्दन को चौंकाया।


-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र



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