@ नया सवेरा नेटवर्क
मुम्बई में परिवहन सेवा भारत की सबसे अच्छी व सस्ती सेवा है|बेस्ट की बसें लोगों को गंतब्य तक 5 रू.में 5 किलोमीटर तक पहुँचा रही हैं|तो लोकल ट्रेन भी 5 रू.में 5 किलोमीटर लोगों को पहुँचा रही है|इसके साथ लोगों की सेवा में रिक्सा टैक्सी भी लगी है|ओला ऊबर जैसी ऐप आधारित टैक्सी रिक्सा भी मुम्बई व उसके आस पास के उपनगरों में बड़ी आसानी से उपलब्ध हो जाता है|मोनो रेल और मैट्रो जैसी सुविधायें भी धीरे धीरे उन्नत हो रही हैं|कुल मिलाकर मुम्बई में हर तबके के लिए यात्रा सुगम व सहज है|लोग 50 किलोमीटर की यात्रा 15 रू.में भी कर रहे हैं,और 15 सौ में भी,अपने अपने हिसाब से|
इसके बावजूद भी रिक्सा टैक्सी वालों से लोगों को शिकायत बनी हुई है|क्योंकि कभी कभार रिक्सा टैक्सी वाले पैसेन्जर लेने से मना कर देते हैं|जिससे लोगों को तकलीफ होती है|जो कि गलत है|कभी कभार जैसे बाहर से आने वाली गाड़ियों के पैसेन्जर से मीटर रहते हुए भी रिक्सा टैक्सी वाले मनमानी भाड़ा वसूलते हैं,जो कि सरासर गलत है|इस पर उचित कार्यवाई अति आवश्यक है|और होनी चाहिए|पब्लिक सेवा में लगे लोग यदि सुचारु रूप से सेवा न दें,और पब्लिक परेशान हो, समय पर अपने गंतब्य तक न पहुँच पाये, तो उस सेवा का कोई मतलब नहीं होता|इसलिए बेलगाम रिक्सा टैक्सी चालकों पर उचित कार्यवाई न्याय संगत है|
अब बात आती है कि रिक्सा टैक्सी चालक कहीं कहीं जाने से मना क्यों करते हैं,प्रशासन को उसके तह में जाकर पता करना चाहिए,और निराकरण करना चाहिए|मुम्बई महानगर में बहुत सारी ऐसी बारदात होती है, रिक्सा टैक्सी वालों के साथ|जब वो अपना पारिश्रमिक नहीं पाते उल्टा जो पास में रहता है वह भी छीन लिया जाता है|कभी कभी गाड़ी भी छीन ली जाती है|और कभी कभी तो जान पर भी बन आती है|और लूटने वाला कोई और नहीं पैसेंजर ही होता है|कुछ एरिया मुम्बई में ऐसी है जहाँ दिन में ही रिक्सा टैक्सी वालों के साथ छिनैती आदि हो जाती है|इस भय से भी कुछ रिक्सा टैक्सी वाले ऐसी जगहों पर जाने से मना करते हैं|और कुछ ऐसे पैसेन्जर भी हैं जो दो मिनट का इंतजार करने को कहके जाते हैं और दो वर्षों बाद भी नजर नहीं आते|ऐसे में रिक्सा टैक्सी वालों की कमाई और समय दोनो प्रभावित होता है|और लुटा हुआ रिक्सा टैक्सी चालक कई दिनों तक सदमें में रहता है|यदि वह पुलिस में शिकायत ले के जाता है तो पुलिस वाले शिकायत लेकर उचित कार्यवाई करने की बजाय,लुटे हुए से सहानुभूति तो दूर,उसको ढंग से सुनते भी नहीं|और दो चार भद्दी भद्दी गालियाँ देकर भगा देते हैं|इस भय से कितने रिक्सा टैक्सी वाले पुलिस के पास जाते ही नहीं|भलाई इसी में समझते हैं कि सोंच समझकर पैसेंजर से ही छुटकारा पाया जाय|इसलिए रिक्सा टैक्सी वाले ऐसी जगहों पर जाने से मना कर देते हैं|उसी में कभी कभार शरीफ पैसेंजर भी दुख पा जाता है|
परिवहन में सरकार ने दुनिया भर के नियम बना रखे हैं|उसी में एक नियम यह भी है कि पैसेन्जर को मना करने पर चालक के ऊपर तगड़ी कार्यवाई,या तो मोटा जुर्माना,या लाइसेंस ही रद्द कर देने का प्रावधान रखा है|लेकिन रिक्सा टैक्सी वाले लूटे गये|उसकी सहायता के लिए कोई प्रावधान नहीं है|क्योंकि लूट दो पाँच सौ की हुई है,इसलिए पुलिस वाले रिक्सा टैक्सी चालकों की सुनते ही नहीं|जिससे अपराधी मनबढ़ हुए हैं और रिक्सा टैक्सी चालक भयभीत|उनके आगे एक तरफ खाईं तो दूसरी तरफ कुँआ वाली बात सदैव बनी रहती है|इसलिए मजबूरन रिक्सा टैक्सी वाले पैसेंजर को मना करते हैं|गरीब रिक्सा टैक्सी चालकों के लिए दो पाँच सौ रू.ही जीविका के लिए बहुत होता है|
यदि वही कोई छीन ले तो उसके और उसके परिवार का भरण पोषण कैसे होगा|क्या कभी इस विषय पर किसी ने विचार किया|सरकार भी लुटे हुए को ही प्रताड़ित करने का विधान बनाती है|उसे ही सताती है जो समय का सताया हुआ है|रिक्सा और टैक्सी वालों से जितनी लूट आज की तारीख में हो रही है,शायद ही किसी के साथ होती होगी|वह भी दिन दहाड़े|कभी पुलिस वाले कभी ईधन वाले कभी मैकिनकल वाले|तो कभी पैसेंजर|लेकिन उनका दुख सुनने वाला कोई नहीं|उनकी परेशानी दूर करने के लिए कोई विधान या तो है नहीं|यदि है तो उस पर काम नहीं होता|उन्हें हर जगह झिड़की मिलती है|आम जन से भी और प्रशासन से भी|उनकी रक्षा के लिए,उनके हितों की रक्षा के लिए तमाम संगठन बने हैं|मगर वो भी उन्हें ही लूट रहे हैं|उनके हितों के लिए कभी लड़ते नहीं दिखे|बार बार रिक्सा टैक्सी वालों को प्रशासन द्वारा भयाक्रांत किया जाता है|युनियन इस पर एक बार भी नहीं बोलती,कि सभी गाईड लाईन सिर्फ रिक्सा टैक्सी वालों पर ही क्यों? पैसेन्जर और पुलिस वालों पर क्यों नहीं|
यदि लुटे हुए रिक्सा टैक्सी चालकों को पुलिस द्वारा न्याय मिले तो रिक्सा टैक्सी वाले जहन्नुम के पैसेन्जर को भी ना न बोलें|यदि उनकी लुटी हुई रकम की भरपाई हो तो वे कहीं भी जाने से मना नहीं करेंगे|यदि सरकार बद्तमीज पुलिस वालों को भी सही ढंग से काम न करने पर प्रताड़ित करने की व्यवस्था करे तो पैसेन्जर और चालक की तू तू मै मै खतम हो जाय|हर पुलिस स्टेशन और चौकी में सीसीटीवी लगाकर पुलिस की चालक के साथ रवैया का पता कर पुलिस को भी सचेत किया जाय कि,आटो टैक्सी चालकों के साथ जो भी लूट या बद्तमीजी करे,पुलिस उस पर त्वरित संज्ञान लेकर उचित कार्यवाई करना शुरू कर दे,आटो टैक्सी वाले पैसेन्जर को मना करना बंद कर देंगे|
पं.जमदग्निपुरी
1 टिप्पणियाँ
धन्यवाद भाई
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