अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव नवंबर 2024-जो बाइडेन और डोनाल्ड ट्रंप में महामुकाबला होना तय | #NayaSaveraNetwork
- भारतीय मूल की निक्की हेली सुपर ट्यूजडे में हार कर राष्ट्रपति चुनाव की भिड़ंत से बाहर हुई-जो बाइडेन और डोनाल्ड ट्रंप में भिड़ंत तय
- अमेरिकी राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने की होड़ में एक साथ तीन भारतवंशियों में एक निक्की हेली नें मजबूत प्रतिद्वंद्वी बनकर इतिहास रचा-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया
@ नया सवेरा नेटवर्क
साथियों बात अगर हम नवंबर 2024 में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के फाइनल उम्मीदवारी की करें तो अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में एक बार फिर से डोनाल्ड ट्रंप और जो बाइडन के बीच सीधा मुकाबला होगा। बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी 52 वर्षीय निक्की हेली को चुनावी दौड़ से बाहर कर दिया है, लेकिन वह किसी भी अन्य रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी की तुलना में लंबे समय तक 77 वर्षीय ट्रंप के सामने टिकी रहीं। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में एक बार फिर से डोनाल्ड ट्रंप और जो बाइडन के बीच सीधा मुकाबला होगा। बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी 52 वर्षीय निक्की हेली को चुनावी दौड़ से बाहर कर दिया है, लेकिन वह किसी भी अन्य रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी की तुलना में लंबे समय तक 77 वर्षीय ट्रंप के सामने टिकी रहीं।वहीं, जो बाइडन को प्राइमरी चुनाव में किसी भी चुनौती का सामना नहीं करना पड़ा और उन्होंने अभी तक सभी डेमोक्रेट प्राइमरी चुनावों में कामयाबी हासिल की। जिसका मतलब साफ है कि डेमोक्रेटिक नामांकन के लिए बाइडन के सामने अन्य नेता मैदान में नहीं है। ऐसे में नवंबर 2024 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में बाइडन के सामने ट्रंप एक बार फिर से देखे जा सकेंगे।डेमोक्रेटिक पार्टी में राष्ट्रपति बाइडन के सामने चुनौती न होने से उन्होंने सुपर ट्यूजडे में लगभग सभी नामांकन हासिल किए। लेकिन मिनेसोटा में 19 प्रतिशत मतदाताओं ने इजरायल के समर्थन पर बाइडन के विरोध में अप्रतिबद्ध वोट दिया। इसके अलावा अलबामा, कोलोराडो, आयोवा, मैसाच्युसेट्स, उत्तरी कैरोलिना और टेनेसी राज्यों में भी मतदाताओं ने अप्रतिबद्ध श्रेणी में वोट देकर अपना विरोध दर्ज कराया है। सुपर ट्यूजडे के चुनाव बाद ट्रंप के पास 893 डेलीगेट हो गए हैं, जबकि हेली को 66 डेलीगेट का समर्थन है। पार्टी उम्मीदवारी के लिए कम से कम 1215 डेलीगेट की जरूरत होती है। हेली की वाशिंगटन डीसी के बाद यह दूसरी प्राइमरी जीत है।
साथियों बात अगर हम भारतवंशी निक्की हेली के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में पब्लिक उम्मीदवार की दौड़ में बाहर होने की करें तो, अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार बनने की होड़ में शामिल रही भारतीय मूल की पूर्व गवर्नर निक्की हेली ने खुद को अब ह्वाइट हाउस की रेस से बाहर कर लिया। निक्की हेली ने रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए अपना प्रचार अभियान बुधवार को रोक दिया। उन्होंने यह निर्णय ‘lसुपर ट्यूजडे को 15 राज्यों की पार्टी प्राइमरी में हार के बाद लिया है। हेली के इस फैसले के साथ ही पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी हासिल करने की दौड़ में एकमात्र प्रमुख उम्मीदवार रह जाएंगे। इस तरह नवंबर में होने वाले चुनाव में ट्रंप के सामने मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन एक बार फिर 2024 चुनाव में होंगे। ऐसा तीसरी बार होने जा रहा है, जब लगातार तीसरी बार रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनेंगे। बता दें कि ‘सुपर ट्यूजडे’ की प्राइमरी के बाद ट्रंप (77) ने अपने एकमात्र रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी हेली (52) पर मजबूत बढ़त बना ली, जिन्होंने वर्मोंट प्रांत में जीत हासिल करके उन्हें पूर्ण बहुमत से वंचित कर दिया था। साउथ कैरोलाइना की पूर्व गवर्नर हेली ने बुधवार को कहा, अब मेरा प्रचार अभियान रोकने का समय आ गया है। उन्होंने कहा,मैं चाहती हूं कि अमेरिकियों की आवाज सुनी जाए। मैंने वही किया है। मुझे कोई पछतावा नहीं है। मैं अब उम्मीदवार नहीं रहूंगी, लेकिन मैं उन चीजों के लिए अपनी आवाज का इस्तेमाल करना बंद नहीं करूंगी जिनमें मैं विश्वास करती हूं। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की पूर्व राजदूत हेली तब ट्रंप की पहली मजबूत प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभरी जब फरवरी 2023 में उन्होंने राष्ट्रपति पद के चुनावी दौड़ में शामिल होने की घोषणा की। हेली ने इस बारे में अंतिम निर्णय नहीं लिया है कि वह ट्रंप का समर्थन करेंगी या नहीं। हेली के करीबी लोगों की अलग-अलग राय है। कुछ लोगों का मानना है कि ट्रंप का समर्थन करना उनके लिए अच्छा होगा क्योंकि उन्हें एक टीम के रूप में देखा जाएगा। अन्य लोग उसका समर्थन करने का तीव्र विरोध करते हैं। अपने अभियान के दौरान, हेली ने रिपब्लिकन प्रेसिडेंशियल प्राइमरी जीतने वाली पहली महिला बनकर इतिहास रचा। वह डेमोक्रेटिक या रिपब्लिकन प्राइमरी में जीत हासिल करने वाली पहली भारतीय-अमेरिकी भी हैं। पिछले तीन अन्य भारतवंशी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार 2016 में बॉबी जिंदल, 2020 में कमला हैरिस और 2024 में विवेक रामास्वामी एक भी प्राइमरी जीतने में असफल रहे थे।
साथियों बात अगर हम डोनाल्ड ट्रंप के जीतने की करें तो, भारतवंशी निक्की हेली को हराकर डोनाल्ड ट्रम्प ने खुशी जाहिर की है। उन्होंने मार-ए-लागो में अपने रिसॉर्ट में सुपर ट्यूजडे को अमेरिका के लिए ऐतिहासिक दिन बताया। ट्रम्प ने अपनी जीत पर रिसॉर्ट में एक पार्टी भी रखी। उन्होंने बाइडेन पर निशाना साधते हुए कहा कि देश को बचाने के लिए उन्हें ये चुनाव हर हाल में जीतना होगा।वहीं, बाइडेन ने ट्रम्प की जीत पर कहा कि अगर उन्हें एक और टर्म के लिए राष्ट्रपति चुना गया तो वो अमेरिका को अंधकार और हिंसा में धकेल देंगे। चार साल पहले जब मैं चुनाव लड़ा तो मेरा मकसद ट्रम्प से देश के अस्तित्व को बचाना था। ट्रम्प को अमेरिका के लोगों से मतलब नहीं है वो सिर्फ बदले के लिए सत्ता में आना चाहते हैं। 24 राज्यों में प्राइमरी चुनाव हो चुके हैं। रिपब्लिकन पार्टी से ट्रम्प को टक्कर देने वाली निक्की हेली दो जगहों- वर्मोंट और वॉशिंगटन से जीतीं। अमेरिकी मीडिया के मुताबिक, हेली को वर्मोंट में 92 प्रतिशत वोट मिले।वहीं, वॉशिंगटन में उन्हें 63 प्रतिशत वोट मिले थे और ट्रम्प को 33 प्रतिशत वोट मिले थे। इसी के साथ निक्की हेली अमेरिकी इतिहास में रिपब्लिकन प्राइमरी जीतने वाली पहली महिला बनीं। ट्रम्प 2016 में भी वॉशिंगटन से प्राइमरी इलेक्शन हार गए थे। आखिरकार निक्की ने बुधवार देर रात अपना नाम रेस से वापस ले लिया।
साथियों बात अगर हम भारतवंशियों द्वारा अमेरिकी राष्ट्रपति उम्मीदवारी का चुनाव लड़ने की करें तो, अमेरिका में राष्ट्रपति पद की रेस में भारतीय मूल के तीन लोग शामिल हो गए थे, तीनों ही दावेदार रिपब्लिकन पार्टी से हैंउद्योगपति विवेक रामास्वामी और कैरोलाइना की पूर्व गवर्नर निक्की हेली ने पहले से ही अपनी दावेदारी की घोषणाकी थी। फिर अमेरिका में भारतीय मूल के इंजीनियर हर्षवर्धन सिंह ने राष्ट्रपति पद के लिए अपनी दावेदारी की घोषणा की थी। वे पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुकाबला करने वाले थे, जो कानूनी चुनौतियों का सामना करने के बावजूद 2024 के लिए रिपब्लिकन पार्टी की ओर से नामांकन की दौड़ में आगे हैं। उनसे से पहले, साउथ कैरोलाइना की पूर्व गवर्नर हेली (51) और करोड़पति उद्यमी रामास्वामी (37) ने इस साल की शुरुआत में शीर्ष अमेरिकी पद के लिए रिपब्लिकन पार्टी से अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की थी। 38 वर्षीय इंजीनियरहर्षवर्धनसिंह ने ट्विटर पर एक वीडियो जारी कर कहा था कि वह आजीवन रिपब्लिकन और अमेरिकी हितों को तवज्जो देने वाला शख्स रहे हैं, जिन्होंने न्यू जर्सी रिपब्लिकन पार्टी के एक रूढ़िवादी विंग को बहाल करने के लिए काम किया। उन्होंने तीन मिनट के एक वीडियो में कहा, पिछले कुछ वर्षों में हुए बदलावों को पलटने और अमेरिकी मूल्यों को बहाल करने के लिए हमें मजबूत नेतृत्व की जरूरत है, इसीलिए मैंने 2024 में अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की ओर से नामांकन की दौड़ में उतरने का फैसला किया था। वे 2017 और 2021 में न्यूजर्सी के गवर्नर के लिए दावेदार रहे थे। रिपोर्ट में कहा गया था कि हर्षवर्धन सिंह 2017 और 2021 में न्यू जर्सी के गवर्नर के लिए, 2018 में प्रतिनिधि सभा की सीट के लिए और 2020 में सीनेट के लिए रिपब्लिकन प्राइमरी में मुकाबले में शामिल रहे, लेकिन रिपब्लिकन पार्टी की ओर से नामांकन पाने में असफल रहे, गवर्नर पद के लिए दावेदारी में हर्षवर्धन सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव नवंबर 2024-जो बाइडेन और डोनाल्ड ट्रंप में महा मुकाबला होना तय।भारतीय मूल की निक्की हेली सुपर ट्यूजडे में हार कर राष्ट्रपति चुनाव की भिड़ंत से बाहर हुई-जो बाइडेन और डोनाल्ड ट्रंप में भिड़ंत तय।अमेरिकी राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने की होड़ में एक साथ तीन भारत वंशियों में एक निक्की हेली नें मजबूत प्रतिद्वंद्वी बनकर इतिहास रचा।
-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र