उत्तर पूर्व लोकसभा क्षेत्र | #NayaSaveraNetwork



  • लगेगी हैट्रिक या फिर कायम होगी रीति
  • मिहिर ने किया महाविजय का दावा

अजीत कुमार राय 

मुंबई। लोक सभा चुनाव 2024 का चुनावी बिगुल बज चुका है। हर एक सीट पर जीत दर्ज करने के लिए सभी दल अपनी पूरी ताकत झोंक रहें हैं। लेकिन कुछ संसदीय क्षेत्र ऐसे भी हैं, जिनका अपना एक अलग इतिहास रहा है। यदि हम बात करें उत्तर-पूर्व (ईशान्य) मुम्बई लोकसभा सीट की तो 1971 से लोकसभा सीट पर सिर्फ सुब्रमण्यम स्वामी ने लगातार दो बार तथा विगत दो चुनावों में भाजपा ने विजय पताका फहराई है। अन्य चुनावों पर नज़र डाले तो इस क्षेत्र के मतदाताओं ने जीते हुए प्रत्याशियों को दुबारा मौका देने में रुचि नहीं दिखाई है। वैसे तो इस सीट पर कांग्रेस से गुरुदास कामत ने 4 बार, जनता दल से सुब्रमण्यम स्वामी ने 2 बार तथा भाजपा के टिकट पर किरीट सोमैया ने 2 बार जीत दर्ज की है। अब देखना यह है कि मतदाता फिर से विपक्षी दल पर विश्वास जताते हैं या मिहिर को मौका दे भाजपा की हैट्रिक लगाते हैं।

बात यदि लोकसभा चुनाव 2024 के प्रत्याशियों की करें तो भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट से वर्तमान सांसद मनोज कोटक की जगह पर मिहिर कोटेचा को टिकट दिया है। वहीं महाविकास अघाड़ी की तरफ से इस सीट पर उम्मीदवार कौन होगा यह स्पष्ट नहीं है। हालांकि अटकलों के मुताबिक शिवसेना (यूबीटी) नेता एवं पूर्व सांसद संजय दीना पाटिल के नाम की संभावनाएं सबसे प्रबल हैं। वहीं टिकट की घोषणा होते ही मिहिर कोटेचा पूरी तरह चुनावी मूड में आ गये हैं। एक न्यूज चैनल से बात करते हुए अपनी उम्मीदवारी और चुनाव परिणाम के संबंध में पूछे गए प्रश्न पर उन्होंने कहा कि "बीजेपी की एक खासियत रही है कि वह हमेशा नए चेहरे को मौका देती है उन पर विश्वास जताती है। मानोज कोटक (वर्तमान सांसद) और किरीट सोमैया (पूर्व सांसद) दोनों का आशीर्वाद मेरे साथ है।" कोटेचा ने आगे कहा, 400 पार के आंकड़े को सच में तब्दील करने के लिए बीजेपी ने मुझ जैसे कार्यकर्ता पर विश्वास जताया है। मैं कोशिश करूंगा कि उनकी उम्मीदों पर खरा उतरूं। 400 पार बीजेपी का सपना नहीं बल्कि जनता का सपना है। जनता चाहती है कि हम 400 पार के आंकड़े को हासिल करें, ताकि आनेवाले समय में देश में एनआरसी और यूसीसी लागू किया जा सके।


  • मुद्दे उठाने में माहिर कोटेचा


मिहिर कोटेचा 14वीं महाराष्ट्र विधान सभा के सदस्य हैं। वह मुलुंड विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं और महाराष्ट्र की राजनीति में बीजेपी के जाने-माने नेता हैं। वह महाराष्ट्र राज्य भाजपा के कोषाध्यक्ष भी हैं. इससे पहले उन्होंने भाजपा मुंबई के उपाध्यक्ष और युवा विंग के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है। वह मुंबई में सामाजिक-राजनीतिक गतिविधियों के विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय हैं। कोटेचा ने अपने वर्तमान कार्यकाल में पूर्ववर्ती उद्धव सरकार के भायखला में उर्दू भवन बनाने के के निर्णय को "तुष्टिकरण की राजनीति" बताकर पुरजोर विरोध किया था। वहीं कोरोना कॉल में उद्धव सरकार द्वारा अधिकारियों को फाइव स्टार होटलों में ठहराने पर किये गए करोड़ों रुपये के खर्च में भ्रष्टाचार तथा देवनार कत्लखाने के टेंडर में घोटाले का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की है। बात यदि जनसंपर्क की करें तो उन्होंने विगत दिनों "आमदार आपल्या दारी" अभियान की शुरुवात की, जिसका उद्घाटन उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने किया था। वहीं उनके पास एक समर्पित सोशल मीडिया टीम है, जो विभिन्न तरीकों से अधिकाधिक लोगों के सीधे संपर्क में रहती है। अब देखना यह कि पार्टी के विश्वास को कायम रखते हुए एवं अपने दोनों पूर्ववर्ती सांसदों की रिकॉर्ड विजय की परंपरा को कायम रखते हुए उत्तर- पूर्व मुम्बई में कितना बड़ा कीर्तिमान स्थापित करते हैं।




  • संजय के कर कमलों में मविआ की मशाल!


उत्तर पूर्व लोकसभा सीट पर वर्ष 2009 में पहली बार मैदान में उतरे संजय दीना पाटिल ने भाजपा उम्मीदवार किरीट सौमैया को 2933 वोटों से पराजित कर संसद की सदस्यता प्राप्त की थी, वैसे इनकी विजय का श्रेय अधिकांश विश्लेषकों ने मनसे प्रत्याशी शिशिर शिंदे को दिया था; जिन्होंने इस चुनाव में लगभग 2 लाख वोट प्राप्त कर, भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी थी। लेकिन उसके बाद हुए 2014 लोकसभा चुनाव में पाटिल को किरीट सोमैया से ही 3 लाख 17 हजार वोटों से तथा 2019 में भाजपा प्रत्याशी मनोज कोटक से 2 लाख 26 हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा। पिछले तीन लोकसभा चुनावों में राकांपा के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरने वाले संजय दीना पाटिल विगत दिनों शिवसेना (यूबीटी) का हाथ थाम लिया था। बदली परिस्थितियों में ऐसी संभावना है कि एक बार फिर से संजय दीन पाटिल उत्तर पूर्व संसदीय क्षेत्र से चुनावी मैदान में नज़र आएं। हाँ इस बार इतना अंतर जरूर रहेगा कि पिछले तीन चुनाव में घड़ी चुनाव चिह्न पर लड़ने वाले पाटिल शिवसेना की मशाल लिए मत मांगते दिखेंगे। अब देखना यह है कि पिछले दो चुनावों में लाखों के अंतर से मिली हार से उबर कर वो कितनी मजबूती के साथ भाजपा प्रत्याशी मिहिर कोटेचा को चुनौती देते हैं। उस पर से पाटिल के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि 2009 में मिली उनकी विजय की परोक्ष सहयोगी साबित हुई मनसे भी इस बार एनडीए में जाती हुई दिख रही है। लेखक जागरूक टाइम्स के एसोसिएट एडिटर हैं।

जागरूक टाइम्स से साभार




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