शासन—प्रशासन, वर्तमान सरकार सहित जनप्रतिनिधि होंगे बहिष्कार के जिम्मेदार: अजीत
नया सवेरा नेटवर्क
केराकत, जौनपुर। देश में लोकसभा चुनाव का विगुल बज चुका है। लोकसभा चुनाव 7 चरणों में होनी है और 4 जून को मतगणना होने के साथ ही 16 जून को सरकार बनेगी। जैसे ही चुनाव आयोग का प्रेस कॉन्फ्रेंस समाप्त हुआ, वैसे ही चुनाव को लेकर एक चौका देने वाला पत्रक सोसल मीडिया पर वायरल हो गया। वायरल पत्रक में साफ लिखा है कि केराकत विधानसभा के 45 प्रतिशत मतदाता लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। वायरल पत्र किसान नेता अजीत सिंह के द्वारा मुख्य निर्वाचन आयोग दिल्ली को सौंपा गया है। वायरल पत्रक से एक तरफ जहां क्षेत्रीय मतदाताओं में चर्चा का विषय बना हुआ है तो वहीं राजनीतिक पार्टियों में खलबली मची हुई है।
अजीत सिंह ने मुख्य निर्वाचन आयोग से शिकायत की कि केराकत विधानसभा के डोभी क्षेत्र के लगभग 4000 किसानों को 12 सालों से भूमि अधिग्रहण मुआवजा न मिलने से किसान परेशान हैं। श्यामा प्रसाद मुखर्जी पुल को खराब बताकर बड़े वाहनों के आवागमन पर रोक लगाने से इलाज के लिए वाराणसी आने जाने में डबल किराए का भुगतान करने के साथ ही एक घंटा से ज्यादा समय लग जाता है। वहीं बड़े बहनों के आवागमन न होने से व्यापारियों के व्यापार पर असर पढ़ रहा है। साथ ही केराकत से खुज्जी मार्ग के टाई नाला का पुल लगभग डेढ़ सालों से खराब होने से पुल के बीचों-बीच लोहे के राड लगने से आए दिन दुर्घटना हो रही है, मगर किसी भी अधिकारी को जनप्रतिनिधि का ध्यान आकृष्ट नहीं हो रहा है।
उन्होंने अपनी शिकायत में कहा कि केराकत क्षेत्र क्रांतिकारियों का क्षेत्र है। बावजूद इसके भी शहीदों और महापुरुषों के सम्मान में राष्ट्रीय ध्वज, सड़क, शहीदी गेट इत्यादि का न होना क्षेत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण बात हैं जबकि मामले को लेकर जिले से प्रदेश तक व प्रदेश से लेकर केंद्र तक गुहार लगाने के बाद भी जमीनी हकीकत ज्यों की त्यों बनी हुई है जिससे व्यथित होकर केराकत विधानसभा की जनता लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। पत्रक में लिखा गया कि लोकसभा चुनाव से पहले क्षेत्रीय जनता की मांग पूरी नहीं होती है तो विधानसभा की 45 प्रतिशत मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं करेंगे जिसका जिम्मेदार शासन प्रशासन व वर्तमान सरकार के साथ साथ जनप्रतिनिधि होंगे। वायरल पत्रक मछलीशहर संसदीय सीट की सियासी पारा को सातवे आसमान पर पहुंचा दी है। अब देखना दिलचस्प होगा कि कैसे नाराज मतदाता को मानने में दावेदार सफल होते हैं? बहरहाल यह जनता है, सब जानती है।
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