हँसी आ रही है आज के विपक्ष पर... | #NayaSaveraNetwork

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@ नया सवेरा नेटवर्क

अभी अभी विगत दिनों सुप्रीम कोर्ट के आदेश से चुनाव आयोग ने चुनावी चंदा इलेक्टोरल बांड को जारी किया है|यह बांड राजनीतिक पार्टियाँ चुनाव लड़ने के लिए बेंचती हैं|और उद्योगपति व्यापारी खरीदते हैं|जिससे राजनीतिक पार्टियाँ अकूत पैसा पाती हैं|कुछ चुनाव में खर्च करती हैं|कुछ तिजोरी में रख लेती हैं|यह चुनावी बांड संसद के दोनो सदनो से पास होकर बाकायदा कानूनी है|फिर भी विपक्ष इसको सुप्रीमकोर्ट में चैलेंज किया|जिसका परिणाम ये आया कि सुप्रीमकोर्ट आनन फानन में इस पर अपना हंटर चलाया|चुनाव आयोग को फटकारते हुए आदेश दिया कि फौरन डेटा जारी किया जाय|अदालत की तत्परता काबिलेतारीफ है|चुनाव आयोग ने इलेक्ट्रोरल बांड का डेटा जारी कर दिया|विपक्षियों के खुशी का पारावार नहीं|ऐसा लग रहा है जैसे अंधे के हाँथ बटेर लग गया है|सभी खुशी से झूम रहे हैं|और सत्तापक्ष को घोटालेबाज कह रहे हैं|कई नेता तो इतने उत्साहित दिख रहे हैं जैसे कुबेर की निधि पा गये हैं|और यह बताने में बिल्कुल गुरेज नहीं कर रहे कि यह अब तक का सबसे बड़ा घोटाला है|

 हँसी बस इसी बात पर आ रही है|जब सभी पार्टियाँ इलेक्टोरल बांड बेचकर उद्योगपति व व्यापारी से चंदा ली हैं,तो,सत्तापक्ष घोटाले बाज कैसे हो गया|क्योंकि उसने अधिक प्राप्त कर लिया इसलिए|जब सभी ने लिया है तो केवल सत्तापक्ष ही घोटालेबाज कैसे? यह जनता अब जानना चाहती है|मगर विपक्ष के पास रटे रटाये शब्दों के अलावाँ कुछ है नहीं|विपक्ष आज भी वही 19वीं सदी में जी रहा है|वह सोंच रहा है जो हम जनता को बतायेंगे,जनता वही मानेगी|बबूल को यदि हम आम कहेंगे तो जनता आम ही कहेगी|ये इस कदर अन्हराये हैं कि इनको मूल मुद्दे दिखाई ही नहीं दे रहे|ये वह मुद्दे लेकर जनता के पास जा रहे हैं|जिसमें स्वत:आकंठ डूबे हैं|विपक्ष को चुनावी बांड से तकलीफ नहीं है|न जनता की तकलीफों से तकलीफ है|तकलीफ इस बात की है कि भाजपा को अधिक क्यों मिला|हमें कम क्यों? यहाँ यह कहावत विपक्ष पूरी तरह चरितार्थ कर रहा कि,चोर मचाये शोर|अब भी ये लोग जनता को मूर्ख ही समझ रहे हैं|यदि सत्तापक्ष और विपक्ष का शासन देखने जायेंगे और चुनावी चंदा पर नजर दौड़ायेगे तो उस लिहाज से विपक्ष भाजपा से अधिक वसूली की है|17 राज्यों पर भाजपा का शासन है|उद्योगपति व्यापारियों का झुकाव सदैव सत्तापक्ष की तरफ ही अधिक होता है|फिर भी चुनावी चंदा लेने में भाजपा पीछे है|अन्य पार्टियाँ आगे हैं जिसमें टीएमसी पहले नम्बर पर है|और कांग्रेस दूसरे नम्बर पर भाजपा का नम्बर तीसरे पर है जबकी आधे से अधिक राज्यों पर भाजपा शासन कर रही है|

अब जिस विषय को लेकर विपक्ष हो हल्ला मचाया है|वह सर्वविदित है|कि चुनाव लड़ने के लिए सभी पार्टियाँ अवैध तरीके से उद्यमियों व व्यापारियों को आँख दिखाकर धन उगाही करती थीं|जिसमें कांग्रेस सदैव नम्बर वन पर बनी रहती थी|क्योंकि आजादी के बाद से नहीं उसके पहले भी कांग्रेस सदैव व्यापारियों उद्यमियों से अंग्रेजों का भय दिखाकर धन उगाही करती थी|आजादी के बाद सत्ता कांग्रेस ने चमचई से हथिया ली|और 2013 तक इस मामले में प्रथम स्थान पर बनी रही|2014  में सत्ता बदली नियम बदला और कांग्रेस की हालत बदली|जो कांग्रेस पूर देश पर राज्य करती थी आज सीमित हो गई|बस दो एक राज्य तक|इसलिए अब उसे कोई भाव नहीं दे रहा|अब सभी भाजपा को भाव दे रहे हैं|भाजपा ने सत्ता में आते चुनावी चंदा को वैधानिक दर्जा दिलवा दिया|इससे अब पता चल गया|कि कौन कितना वसूली कर रहा है|जनता भी देख सुन और समझ रही है|

मगर आज का विपक्ष समझने को तैयार नहीं है कि जनता 21वीं सदी में जी रही है|अब वन जी टूजी  फाईव जी नहीं सिक्स जी की तरफ अग्रसर है|जनता अब प्रवुद्ध हो चुकी है|बस चमचों दल्लों को छोड़कर|जनता अब अपनी मूलभूत आवश्यकताओं को समझने लगी है|मगर आज का विपक्ष नहीं समझ पा रहा है कि जनता को क्या चाहिए|वहीं सत्तापक्ष बखूबी समझ गया है कि जनता किस तरह से खुश होगी|जनता की आवश्यकतायें क्या है|उन आवश्यकताओं को बहुत हद तक पूरा कर रही है|जिससे जनता सत्तापक्ष की तरफ इस उम्मीद से आकर्षित है कि आज नहीं तो कल हमारी भी समस्या ये सरकार हल कर देगी|इसलिए बार बार इसी पर अपना भरोसा जता रही है|जो भरोसा जनता में सत्तापक्ष ने जगाया है|वह भरोसा विपक्ष जनता में जगाने में पूरी तरह विफल है|और अंट संट मुद्दे लेकर जनता को गुमराह करने में लिप्त है|

आज का विपक्ष जिस तरह से अपने को हारा और लाचार पा रहा है|वैसा तो इमरजेंसी व 1984 में भी नहीं था|जब इंदिरागाँधी की हनक चला करती थी|और उनकी मृत्यु पश्चात उनकी लहर में सभी पार्टियाँ हवा में उड़ गई थी|फिर भी उस समय का विपक्ष इतना कमजोर नहीं दिखा|जितना कि आज मोदी लहर कहें कि चक्रवात कहें या सुनामी में बह रहा है|मुद्दे कई हैं,फिर भी विपक्ष को दिख नहीं रहा या विपक्ष देखना नहीं चाहता|विपक्ष को विगत दस वर्षों से मंहगाई और बेरोजगारी पर मजबूती से लड़ते नहीं देखा|यदा कदा अनमने भाव से जरूर मैदान में आया,मगर बस दिखावे भर के लिए|जबकी यह मुद्दा सत्ता उखाड़ने के लिए काफी है|यही मुद्दा लेकर आज का सत्तापक्ष कल के सत्तापक्ष को उखाड़ के आज सत्तासीन है|कहीं इस विषय को विपक्ष इसलिए तो नहीं उठा पा रहा कि यह बहुत जटिल है|और सत्ता में आने के बाद इस पर न हम रोंक लगा पायेंगे न रोजगार ही दे पायेंगे|इसलिए इन मुद्दो से विपक्ष पूरी तरह किनारा किए हुए है|हताश लाचार विवश गठबंधन करके सत्तापक्ष को उखाड़ने में लगा है|मगर वह भी ढाँक के तीन पात ही साबित हो रहा है|क्योंकि जितनी पार्टियाँ गठबंधन करने के लिए आतुर हैं,सबकी अपनी महत्वाकांक्षा है|सभी प्रधानमत्री बनना चाह रहे हैं|सभी गठबंधन तो करना चाह रहे हैं|मगर टाँग खिचाई में भी शिद्दत से लगे हैं|उसी चक्कर में इनके कई साथी सत्तापक्ष की तरफ हो लिए|जो इंडी 26 दलों का बन रहा था वह अब 20 दलों का रह गया है|वह भी रहेगा आगे बढ़ेगा कि नहीं|इसकी भी सम्भावना कम ही दिख रही है|जल्द ही चुनाव की घोषणा हो जायेगी और विपक्ष गठबंधन की घोषणा ही नहीं कर पा रहा|ऐसी उहापोह की स्थिति में फायदा सत्तापक्ष का हो रहा है|जहाँ सत्तापक्ष अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है|एक लक्ष्य 400 पार को लेकर आगे बढ़ रहा है,वही विपक्ष चुनाव से पहले ही शून्य की तरफ अधोमुखी बना हुआ है|

 हँसी इसलिए भी आ रही है कि विपक्ष उन मुद्दों पर लड़ रहा है,जिसका जनता से कुछ लेना देना नहीं है|जनता जानती है कि बिना चुनावी चंदा के कोई पार्टी चुनाव नहीं लड़ सकती|विगत में तो सांसद विधायक आदि भी पार्टी में फंड के नाम पर करोड़ो करोड़ों रूपया देकर टिकट खरीदते थे|शायद वह आज भी हो रहा हो कह नहीं सकते|तो ये जनता के लिए कोई मुद्दा है ही नहीं|जनता तो अपनी मूल भूत सुविधाओं को और देश के गौरव को ढूँढ़ रही है|और कमोवेश सत्तापक्ष कुछ हद तक पूरा करते दिख रहा है|वहीं विपक्ष अभूतपूर्व तरीके फेल दिख रहा है|एक तरफ सत्तापक्ष एक देश एक चुनाव की बात कर देश का अरबों रूपये बरवाद होने से बचाते दिख रहा है तो वहीं विपक्ष स्वहित की बात करते उसी का विरोध कर रहा है|एक तरफ सत्तापक्ष एक निशान एक विधान की बात कर रहा है तो,वहीं विपक्ष अलगाववादी और जातिगत जनगणना की बात कर रहा है|इसलिए जनता सत्तापक्ष की तरफ अधिक है|और विपक्ष की तरफ कम|जनता भी सोंच रही है ऐसे को क्यों वोट दूँ,जो न हमारे लिए लड़ रहा है न देश के लिए|

पं.जमदग्निपुरी


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