- मोदी है तो मुमकिन है: डॉ. वागीश सारस्वत
नया सवेरा नेटवर्क
मुंबई। साल 2012 का दिसंबर महीना था। तारीख याद नहीं। पर पुख्ता तौर पर पहला सप्ताह था। दिन संभवतः शुक्रवार। मैं और शिशिर शिंदे मुंबई से फ्लाइट लेकर अहमदाबाद पहुंच गए। होटल तक पहुंचते हुए हमें आठ बज गए थे। मौसम में हल्की ठंडक थी। एयरपोर्ट से हमने जो टैक्सी होटल के लिए ली उसका चालक एक मुस्लिम था।
टैक्सी में बैठते ही हमने ड्राइवर से बातचीत शुरू की। हमने पूछा- मुख्यमन्त्री को जानते हो?उसने पट से कहा हाँ !
हमने फिर पूछा!
क्या नाम है उनका?
उसने एक पल भी देर नहीं की। बोला मोदी है।
हमें लगा कि शायद वह बदतमीजी कर रहा है। सिर्फ मोदी बता रहा है। नाम के साथ आदर सूचक जी या साहेब नहीं लगा रहा।
महाराष्ट्र में तो गली मोहल्ले का नेता का नाम भी साहेब या भाई या ऐसे ही किसी भी तरह आदर सूचक उपाधि के साथ लिया जाता है। हमने उसे टोका और फिर पूछ लिया कि मुख्यमंत्री के नाम के साथ जी क्यों नहीं लगाया?
उसने तपाक से कहा कि मोदी को पसंद नहीं। या तो नरेंद्र भाई कहो या फिर सिर्फ मोदी। बातचीत रोचक हो रही थी। हमने कुरेदा तुम तो मुसलमान हो , मोदी तो दुश्मन है तुम्हारा ? उसने कहा- वो हमारे दुश्मन नहीं दोस्त हैं। मैं जिस बस्ती में रहता हूँ वह मुस्लिम बस्ती है। पानी,सड़क,शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए मोदी ने बिना भेदभाव के काम किया है।
यह कहते हुए उसके चेहरे पर चमक थी।
हमने फिर कुरेदा और पूछा-मोदी क्यों लोकप्रिय है।
उसने बिना विलंब बताया कि महिलाओं के लिए बहुत काम किया है!
हमने कहा कोई बड़ा काम बताओ तो उसने कहा गुजरात की महिला टीचर्स के तबादले कर दिए हैं। मोदी ने निर्णय किया है कि कोई भी महिला टीचर अपने घर से 10 किलोमीटर से ज्यादा दूरी के स्कूल में पढ़ाने नहीं जाएगी। हमारी टैक्सी अपनी गति से होटल की दिशा में जितनी स्पीड से चल रही थी वह अधेड़ उम्र का मुसलमान उसी स्पीड से मोदी की प्रशंसा कर रहा था। हमें लग रहा था कि निश्चित ही उसे निजी फायदा हुआ होगा इस लिए मोदी की तारीफ में कसीदे कस रहा है। हमारी मंजिल आ गयी। हम उससे विदा लेकर होटल में दाखिल हो गए। सोफे पर पसरते ही हमें अहमदाबाद आने का मकसद याद आया और हमें चिंता सताने लगी कि क्या करें? मुख्यमंत्री तक कैसे पहुंचें?
थोड़ी मशक्कत के बाद हमने मोदी जी के सरकारी आवास का नम्बर हासिल कर लिया। क्योंकि कि हम वहां सिर्फ गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष श्री राज ठाकरे जी का पत्र व संदेश पहुंचाने गए थे। यानी हम गुजरात में ' राज दूत ' के रूप में उपस्थित थे। हमने फोन लगाया और मोदी जी के निजी सचिव से बात की। उन्हें अपने आने का कारण बताया और मोदी जी से मिलने के लिए समय (अपॉइंटमेंट) मांगा।
उन्होंने कहा कि आधा घंटे का समय दीजिए।
हमने कहा - ठीक है।
हमने ये मान लिया था कि अब उनका फोन नहीं आएगा। अब गयी भैंस पानी में। दूसरा कोई जुगाड़ लगाना पड़ेगा मोदी जी तक पहुंचने का। भूख भी लगने लगी थी। हमने विलंब किए बगैर खाने का ऑर्डर देना उचित समझा।
करीब 15 मिनट का समय बीता था कि हमारे फोन की घंटी घनघना उठी। फोन मुख्यमंत्री मोदी के आवास से आया था। हमें सुबह साढ़े सात बजे गाँधीनगर स्थित आवास पर पंहुचने का निर्देश दिया गया। हम यह सोच कर सुकून से सोने लायक हो गए कि हम जिस मकसद से आए थे वह पूरा हो जाएगा। सुबह के लिए टैक्सी बुक कर दी और मुंबई के मुख्यमंत्री निवास वर्षा बंगले की सुरक्षा व्यवस्था के मुताबिक कल्पना करके पहुंचने की योजना बना ली। अगले दिन सुबह हम निकल पड़े। हमने महाराष्ट्र के एक बड़े पत्रकार प्रकाश आकोलकर को भी साथ ले लिया जो वहां गुजरात विधानसभा का चुनाव कवर करने आये हुए थे। हम तय समय से पहले ही मुख्यमंत्री आवास पहुँच गए। यह देखकर हम आश्चर्य चकित रह गए कि मुख्यमंत्री आवास के अंदर जाते समय हमारा सिर्फ एक पुलिस वाले से सामना हुआ। जिसने हमें देखते ही पूछा कि आप मुंबई से आये हैं?
हमने हाँ कहा… तो उसने अंदर जाने का रास्ता बता दिया। अंदर जाते ही मुख्यमंत्री के निजी सहायक ने हमें रिसीव किया और एक कमरे में ले जाकर बिठा दिया। दो से तीन मिनट का ही समय बीता था मुख्यमंत्री मोदी मुस्कराते हुए कमरे आये। हम खड़े हो गए। उनका सुदर्शन व्यक्तित्व हमें चमत्कृत कर रहा था। मुख्यमंत्री ने अपना हाथ हमारी तरफ बढ़ाया। उनके हाथ से हाथ मिलाते हुए ऐसा लगा जैसे किसी दैवीय शक्ति से हाथ मिला रहा हूँ। जब मोदी जी ने मेरा हाथ पकड़ा तो ऐसा लग रहा था जैसे मेरा हाथ बहुत छोटा है। उनके हाथ के उस स्पर्श को महसूस करके आज भी सिहरन सी होने लगती है। फिर मोदी जी ने हमें बैठने के लिए कहा। हमने अपनी बात शुरू की तब तक मोदी जी ने चाय और नाश्ते का आदेश दे दिया था। तब शिवसेना और भाजपा का गठबंधन था फिर भी उद्धव ठाकरे ने गुजरात में भाजपा उम्मीदवारों के खिलाफ शिवसेना के उम्मीदवार उतार दिए थे।
हम महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे जी का मोदी जी (भाजपा) को समर्थन का पत्र लेकर मोदी जी के पास गए थे। हमारे समर्थन से मोदी जी खुश थे और उद्धव ठाकरे के प्रति नाराजगी व्यक्त कर रहे थे। मोदी जी ने हमसे हमारा विस्तृत परिचय पूछा। नाश्ता खत्म हुआ और हमारी बातचीत के मुद्दे भी समाप्त हो गए। हमने मोदी जी को रात को टैक्सी ड्राइवर से बातचीत का किस्सा भी कह सुनाया। तब उन्होंने अपनी सरकार के उन लोकप्रिय फैसलों के बारे में बताया जो उन्होंने गुजरात की महिलाओं के संदर्भ में लिए थे। मोदी जी से जब हमने 'मोदी संबोधन' के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि 'साहब' या 'जी' लगाने से दूरी बढ़ जाती है। सिर्फ मोदी या नरेंद्र भाई कहने से अपनापन झलकता है।
हम मोदी जी के व्यक्तित्व से हम बेहद प्रभावित थे। हमने उनसे दिन भर की रैलियों और सभाओं की जानकारी ली और उनकी कैंपेन देखने के मकसद से उस दिन की उनकी सभी सभाओं में जाने की इजाजत मांगी। उस दिन रात दस बजे तक उनकी सब सभाएं हमने प्रत्यक्ष मौजूद रहकर देखीं। सभाओं में संवाद के तरीके से लेकर सरकार के उन फैसलों का अध्ययन किया जिसके कारण मोदी जी 'जन नेता' बन गए थे। हमने मोदी जी से विदा ली और उन्हें शुभकामनाएं देकर अगले ही दिन मुंबई वापस आ गए।
मुंबई आकर हमने राज ठाकरे जी के समक्ष अपना विश्लेषण रखा तथा राज ठाकरे जी से मोदी जी की फोन पर वार्ता भी कराई। मोदी जी बहुमत से जीते और फिर से गुजरात के मुख्यमंत्री बने। साल 2013 में राज ठाकरे गुजरात गए। वहां के विकास कार्यों का निरीक्षण किया और वहीं राज ठाकरे जी ने कहा कि 'नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बनने चाहिए।'
और फिर वही हुआ जो होना चाहिए था। हर-हर मोदी, घर-घर मोदी का नारा लगा। देश चमत्कृत हुआ। मोदी जी के सिर पर देश के प्रधानसेवक का ताज रख दिया गया।2014 और 2019 में मोदी जी दो बार प्रधानमंत्री बन चुके हैं। अब वे तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के लिए मैदान में हैं। धारा 370 हटाने, राम मंदिर बनवाने का रास्ता साफ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने, तीन तलाक को रोकने के लिए कानून बनाने, नारी शक्ति वंदन विधेयक लाने तथा सीएए लागू करने जैसे फैसले लेकर मोदी जी देश ही नहीं पूरी दुनिया में छा गए हैं। अब यह आम धारणा बन गयी है कि " मोदी है तो मुमकिन है।"
मोदी जी को हिन्दू वादी नेता कहा जाता है। और भारत को हिन्दू राष्ट्र माना जाने लगा है। सभी जाति और धर्मों के लोग मोदी जी के समर्थक बन गए हैं। मोदी जी की स्वीकृति की रेंज तब और भी गहनता से रेखांकित होने लगती है जब मुस्लिम समुदाय के मुस्तफा यूसुफअली गोम "नरेंद्र मोदी संवाद" नाम से पुस्तक तैयार करते हैं।
मैं डॉ. मुस्तफा यूसुफअली गोम को शुभकामनाएं देता हूँ कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की लोकप्रियता की तरह ही उन पर तैयार की गई पुस्तक लोकप्रियता का आसमान छूए। वैसे मुझे यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि मोदी है तो असंभव समझे जाने वाले फैसले होना भी संभव है।
Ad |
0 टिप्पणियाँ