जौनपुर: आखिर कहां लापता हो गये तीस फर्जी शिक्षक | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
2008 में दर्ज था मुकदमा,ईओडब्लू ने जांच में पाया था दोषी
जौनपुर। फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे शिक्षक की नौकरी हासिल करके शासन को करोड़ो चूना लगाकर फ़रार हुए 30 जालसाज़ों तक कानून का लम्बा हाथ भी नहीं पहुंच पाया है। इन आरोपियों का सुराग लगाने के लिए आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन ने मीडिया का सहारा लिया है। आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन वाराणसी के एसपी ने जनता को भरोसा दिलाया है कि आरोपियों की सूचना देने वालो का नाम पता गोपनीय रखा जायेगा तथा नगद इनाम भी दिया जायेगा। आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन के पुलिस अधीक्षक ने बताया कि जौनपुर जिले में 30 लोग फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे बेसिक शिक्षा विभाग में नौकरी हासिल करके अलग अलग स्कूलों में पढ़ा रहे थे। करीब तीन से चार वर्षो तक विभाग की आँखों में धूल झोककर तनख्वाह उठा रहे थे। विभागीय जाँच में इन लोगो के प्रमाण पत्र फर्जी मिलने के बाद सभी भूमिगत हो गए। सभी के विरु द्ध 28 मई 2008 को लाइन बाजार थाने में धारा-419, 420, 467, 468, 471 भादवि के तहत मुकदमा दर्ज किया गया तथा विवेचना की जा रही थी। वर्ष 2009 में उक्त अभियोग की विवेचना उप्र शासन के आदेशानुसार आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन, सेक्टर वाराणसी को स्थानान्तरित हुई। उक्त अभियोग से सम्बन्धित फर्जी 30 अध्यापको द्वारा जनपद के विभिन्न प्राथमिक विद्यालयों में लगभग 3-4 वर्ष अध्यापन कार्य किया गया। तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी विनोद कुमार राय द्वारा कराये गये जाँच में फर्जी पाये जाने पर उक्त सभी आध्यापक, अध्यापन कार्य छोड़कर फरार हो गये। विवेचना के दौरान इन फर्जी अध्यापको का कोई अता पता नहीं चला। ऐसे में अब विभाग अन्य संसाधनों से इनकी तलाश में जुट गया है। सूचना देने वालों को ईनाम देने की भी घोषणा की गई है। विभिन्न माध्यमों से खोजबीन/तलाश किये जाने पर भी कोई पता नहीं चल सका है।
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