जौनपुर:....और इस तरह तिल के सहारे ताड़ तक पहुंच गये विवेचक | #NayaSaveraNetwork

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नया सवेरा नेटवर्क

आसान नहीं था असली गुनहगारों तक पहुंचना,कोर्ट ने सुनाई सजा

श्रमजीवी विस्फोट कांड में जीआरपी की विवेचना लाई रंग

सै.हसनैन कमर दीपू

जौनपुर। 28 जुलाई 2005 को जिले के हरपालगंज रेलवे स्टेशन के पास राजगीर से नई दिल्ली जा रही श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन में शाम को करीब पांच बजे जब विस्फोट हुआ तो हर तरफ चीख पुकार व हाहाकार मचा हुआ था। जिला प्रशासन ने घायलों को इलाज के लिए अस्पताल पहुंचवाया तो वहीं इस घटना में 14 यात्रियों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी और 62 यात्री घायल हुए थे। इस कांड को अंजाम देने का दारोमदार किसी बड़ी जांच एजेंसी को नहीं सौंपा गया था। जीआरपी में इसका मुकदमा ट्रेन के गार्ड जफर अली ने दर्ज कराया था और जीआरपी ने इसकी जांच शुरू की और धीरे धीरे तिल के सहारे ताड़ तक पहुंचते हुए आखिरकार न सिर्फ असली गुनहगारों को पकड़ने का काम किया बल्कि उन्हें उनके अंजाम तक भी पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

जिसका नतीजा रहा कि बुधवार को अदालत ने उन्हें पांच पांच लाख रूपये के जुर्माने के साथ मौत की सजा सुनाई। इस मामले में सभी चारों आतंकियों को फांसी की सजा विवेचना के दौरान पाये गये सबूतों और गवाहों के चलते ही मुमकिन हुई। घटनाक्रम के बाद विवेचना की जिम्मेदारी जब जीआरपी वाराणसी के तीसरे विवेचक शेषनाथ यादव को 29 अक्टूबर 2005 को मिली तो उन्होंने छोट छोटे बिंदुओं पर अपनी निगाह दौड़ानी शुरू की और समकालीन कई घटनाओं पर अपना ध्यान केंद्रित करते हुए मामले की तह तक पहुंचने का काम किया।

सितंबर 2005 में बिहार में हुए बम विस्फोट के बाद उन्होंने बिहार शरीफ जाकर पता लगाया तो पता चला कि वहां प्रतिबंधित सुन्नी संगठन, लश्करे तैय्यबा, हूजी व अलकायदा से संबंधित आतंकवादी समय-समय पर आते हैं। उनका आतंक है और वे आतंकवादी घटना करते हैं तथा विस्फोटक आदि बनाते हैं। 5 फरवरी 2006 को खुसरूपुर के मियां टोला के विस्फोटक से संबंधित विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट उन्हें मिली जिसमें नाइट्रेट, पोटेशियम तथा एल्यूमिनियम पाए गए थे जो श्रमजीवी विस्फोट कांड के पदार्थ से मेल खाते थे। विवेचक को यही आधार मिला कि दोनों विस्फोटों का आपस में कोई संबंध होगा।

इसके बाद 2006 में ही जब सूचना पर कलकत्ता डिटेक्टिव एजेंसी जाकर गिरफ्तार अब्दुल्ला निवासी वाराणसी से पूछताछ किए तो आतंकी ओबैदुर्रहमान का नाम विस्फोट कांड में आया। मुर्शिदाबाद की जेल में बंद ओबैदुर्रहमान से विवेचक ने पूछताछ किया तो उसने आलमगीर उर्फ  रोनी,हिलाल, नफीकुल व अन्य आरोपियों के नाम का खुलासा किया। इसके अलावा विस्फोट कांड में घायल  दो गवाह राजेश कुमार निवासी नेवादा, बिहार व रणजीत के बताने के आधार पर विस्फोट से पूर्व ट्रेन में चेनपुलिंग करने वाले आरोपितों की स्केच बनाया। इन्होंने बताया कि विस्फोट के पूर्व विस्फोट वाले डिब्बे में दो आदमी घबराए हुए आगे पीछे आ जा रहे थे। उनका हुलिया व कद काठी बताया था। रोनी जब 16 अक्टूबर 2006 को दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार हुआ तब अनीसुल व मुहीबुल बांग्लादेशी जुड़वा भाई 28 फरवरी 2006 को गिरफ्तार हुए थे। दोनों ने रोनी व अन्य आरोपियों के विस्फोट कांड में शामिल होने का बयान दिया था। आखिरकार सभी साक्ष्यों व गवाहों के बयान के बाद जिला न्यायालय ने दोषी करार देते हुए सभी चारों अभियुक्तों को अब तक फांसी की सजा सुना दी है। अब दोषी आतंकी हाईकोर्ट में अपील कर सकेगें। हलांकि दो आतंकी उबैदुर्रहमान व आलमगीर उर्फ रोनी ने इलहाबाद हाईकोर्ट मे पहले से ही सजा के खिलाफ अपील कर रखी है जो अभी न्यायालय में विचाराधीन है। 

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