जौनपुर: पति-पत्नी को एक-दूसरे पर होना चाहिए भरोसा:शांतनु महाराज | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
बीआरपी इंटर कालेज में चल रही श्रीराम कथा में जुटे श्रद्धालु
जौनपुर। बीआरपी इंटर कालेज के मैदान में भाजपा के वरिष्ठ नेता ज्ञान प्रकाश सिंह द्वारा आयोजित श्रीराम कथा के पहले दिन कथा वाचक शांतनु महाराज ने माता सती और भगवान शंकर के संवाद का इतने विस्तार से बताया कि श्रोतागण मंत्रमुग्ध हो गए। उन्होंने कहा कि इस संसार में कोई किसी का सुनने वाला नहीं है। पति, पत्नी का नहीं सुनती है और पत्नी, पति का। नौकर, मालिक का मालिक, नौकर का। पिता, पुत्र का पुत्र, पिता का। जबकि लोगों को एक दूसरे पर भरोसा करना चाहिए। कथा के दौरान उन्होंने कहा कि भगवान शंकर ने माता सती से राम कथा में चलने के लिए, तो वह राम कथा में गर्इं लेकिन भगवान शंकर से पूछने लगी कि किससे राम कथा सुनेंगे? भगवान शंकर ने अपने इष्टदेव भगवान राम को प्रणाम किया तो माता सती ने पूछा कि किसको प्रणाम कर रहे हैं स्वामी जब भगवान शंकर ने उन्हें बताया तो माता सती का वि·ाास नहीं हुआ।
भगवान शंकर के मना करने के बावजूद माता सती ने भगवान राम की परीक्षा लेने के लिए सीता को वेष बनाकर गई तो भगवान राम ने माता सम्बोधन करके उनको प्रणाम किया। यह देखते ही माता सती अचंभित हो गई और भगवान शिव के पास वापस चली गई। वापस आने पर माता सती से भगवान शिव ने पूछा तो उन्होंने भगवान शिव से झूठा बोला कि उन्होंने भगवान राम की कोई परीक्षा नहीं ली, लेकिन भगवान शिव तो अंतर्यामी हैं, वो तो सबकुछ जानते हैं। झूठ बोलने पर भगवान शिव ने माता सती का त्याग कर दिया। कथा वाचक शांतनु महाराज ने यह भी प्रसंग बहुत ही मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया कि किसी भी बड़े आयोजन में बिना बुलाए नहीं जाना चाहिए, क्योंकि बिना बुलाए जाने पर उस तरह का आदर सत्कार नहीं मिलता जो मिलना चाहिए।
उन्होंने कहा कि माता सती के पिता राजा दक्ष द्वारा यज्ञ का आयोजन किया गया था, सभी देवताओं को आमंत्रित किया गया था लेकिन भगवान शिव को निमंत्रण नहीं मिला था। जब सभी देवताओं का विमान कैलाश पर्वत से होकर जा रहा था तो माता सती ने भगवान भोलेनाथ से पूछा कि हे प्रभु! ये देवतागण कहां जा रहे हैं? इस पर भगवान भोलेनाथ ने कहा कि आपके पिता राजा दक्ष ने सभी देवताओं को यज्ञ के लिए निमंत्रित किया है और हम लोगों को नहीं बुलाया गया है। इस पर माता सती ने कहा कि वे मेरे पिता हैं और हम लोगों को भी कार्यक्रम में चलना चाहिए। इस पर भोलेनाथ ने माता सती को बहुत समझाया लेकिन माता सती भोलेनाथ के गणों के साथ यज्ञ स्थल पर पहुंच गई, लेकिन उनके पिता ने यज्ञकर्ताओं को पहले ही बता दिया कि अगर सती और भोलेनाथ आए तो उनका सम्मान नहीं किया जाए, लेकिन माता माता होती है।
किसी ने नहीं पूछा लेकिन माता सती की माता प्रसूति का सत्कार किया। कुशलक्षेम पूछने के बाद सती ने अपने पति का तिरस्कार किए जाने पर माता से यज्ञस्थल पर चलने के लिए कहा। यज्ञस्थल पर पहुंचने के बाद वहां बनाई गई वेदी की कई बार परिक्रमा की और अपने पति के तिरस्कार के क्रोध में माता सती अग्नि कुंड में कूद गई, जिससे यज्ञ भंग हो गया।श्रीराम कथा के दौरान उन्होंने सनातन धर्म के लोगों को जागरूक करने की पहल की। कहा कि अगर हिंदू समाज के लोग अपने सनातन धर्म के प्रति जागरूक नहीं होंगे तो संकट और बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि निर्मल मन से जो भगवान को याद करता है, उसकी सारा बेड़ा पार हो जाता है। इस मौके पर काशी प्रांत के मुरलीपाल सिंह, विधान परिषद सदस्य विद्या सागर सोनकर, शाहगंज विधायक रमेश सिंह, महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्य मंत्री कृपाशंकर सिंह, बीआरपी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. सुभाष सिंह, प्रधानाचार्य जंग बहादुर सिंह, प्रधानाचार्य डॉ. राकेश सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत सिंह, कांग्रेस नेता राजेश सिंह, प्रखर जी, अरविंद सिंह, अमित सिंह, पूर्व सभासद विनय सिंह, बृजेश सिंह, भाजपा प्रवक्ता ओम प्रकाश सिंह, प्रीति गुप्ता, डॉ. रंजना सिंह समेत हजारों की संख्या में भक्त मौजूद रहे।
![]() |
Advt. |
![]() |
Advt. |