जौनपुर: पति को पतन से बचा ले वही होती है धर्म पत्नी:शांतनु महाराज | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
रघुकुल परिवार में त्याग करने की रही है प्रतिस्पर्धा
जनक की बेटियों के त्याग के चलते ही मजबूत हुई नींव
अपने कुल की मर्यादाओं के लिए माताओं ने किया त्याग
जौनपुर। बीआरपी इंटर कॉलेज के मैदान में सेवा भारती के नेतृत्व में भाजपा के वरिष्ठ नेता ज्ञान प्रकाश सिंह द्वारा आयोजित श्री राम कथा के छठवें दिन कथावाचक शांतनु महाराज ने वन गमन का चित्रण बड़े ही मार्मिक ढंग से किया। उन्होंने कहा कि राम कथा त्याग की कथा है। जनक की बेटियों के त्याग के चलते ही यह मजबूत नींव पड़ी। उस मां के दर्द को समझिए जिसके बेटे की राज्याभिषेक की तैयारी चल रही हो और उसी दौरान चौदह वर्ष का बनवास की घोषणा हो जाये। राम ने अपनी मां कौशिल्या से कहा कि मां वह पुत्र बहुत भागी होता है जो अपने माता पिता का आज्ञा का पालन करने का अवसर मिले। अपनी मां से राम ने कहा कि पिता जी और मां कैकेई ने चौदह वर्ष का बनवास जाने को कहा है। मां ने कहा कि कैकेई तुम्हारी सौतेली मां नहीं है अगर पिता और मां दोनों ने बन जाने का अनुमति दिया है तो तुम खुशी खुशी वन जाओ। माता सीता को जब यह पता चलती है तो वह भी बन जाने के लिए अपने पति श्री राम से कहती है कि मेरे प्राण पति अगर आप बन जा रहे हैं तो मैं यहां रहकर क्या करूंगी मैं भी आप के साथ चलूंगी। यह घटना शादी के कुछ ही दिन बीतने के बाद ही घटी थी। राम के काफी समझाने के बाद भी माता सीता राज महल में रूकने के लिए तैयार नहीं हुर्इं। माता सीता ने स्पष्ट कहा कि वह जंगल हमारे लिए महल के समान होगा। शांतनु महाराज ने कहा भगवान राम ने माता सीता से कहा कि जब तक मैं नहीं आऊंगा तब तक मेरे प्राणों की रक्षा करना। श्री राम ने लक्ष्मण से कहा कि वन चलना है तो अपनी मां से पूछ लो। लक्ष्मण अपनी मां सुमित्रा से वन जाने के लिए आज्ञा मांगते हैं। मां सुमित्रा ने कहा कि लक्ष्मण तुम्हारे कारण ही राम बन जा रहे हैं। मां की इस बात को सुनकर लक्ष्मण अचम्भित हो गये कि हमारे कारण, मां ने कहा भूमि पाप से भारी हो गई है तुम्हारा भार कम करने के लिए ही राम बन जा रहे हैं क्योंकि तुम शेषाअवतार हो। तुम राम की सेवा में चौदह साल तक कोई कोर कसर न छोड़ना। स्वप्न में भी। लक्ष्मण ने मां सुमित्रा को आश्वस्त किया कि मैं चौदह वर्ष तक सोऊंगा नहीं और भगवान की सेवा में लगा रहूंगा। जाते समय अपनी पत्नी उर्मिला से मिलने गये तो उर्मिला ने आरती उतारी और कहा कि हे मेरे प्राणनाथ जिस दीपक से मैं आपकी आरती कर रही हूं और जब वापस आप चौदह वर्ष बाद आयेगें तो मैं उसी दीपक से आरती करूंगी। चौदह साल तक उर्मिला उस दीपक को जलाती रहीं। अपनी पत्नी से लक्ष्मण ने कहा कि आज उर्मिला तुम मुझे पतन से बचा ली। पति को पतन से बचा ले वही धर्म पत्नी है। शांतनु महाराज ने कहा कि लक्ष्मण बहुत कम बार रोये हैं लेकिन जितने बार रोए हैं वह उनके आंखों से बहुत आंसू गिरे हैं। जब भगवान राम लक्ष्मण से माता सीता को बन छोड़ने के लिए कहा तो लक्ष्मण ने कहा कि पहली बार मैं आपकी आज्ञा का उल्लंघन कर रहा हूं लेकिन आखिर में लक्ष्मण सीता जी को वन में छोड़ने के लिए गये और उनकी आंखों से आश्रुधारा चलती रही। राम कथा के दौरान गुरू गोविंद के परिवार के त्याग का भी उन्होंने मार्मिक चित्रण किया उस दौरान श्रद्धालुओं के नैनों से आंखे भरभरा गर्इं। अपने कुल की मर्यादा के लिए माताओं ने कितना त्याग किया इसकी कल्पना नहीं की जा सकती है। इस मौके पर आरएसएस के रमेश, मुरलीपाल, एमएलसी विद्यासागर सोनकर, पूर्व मंत्री जगदीश सोनकर, टीडीपीजी कॉलेज के प्रबंधक राघवेंद्र प्रताप सिंह, बीआरपी के प्रिंसिपल डॉ.सुभाष सिंह, प्रधानाचार्य डॉ.राकेश सिंह, अरविंद सिंह, प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष अमित सिंह
प्रदेश के लोकनिर्माण राज्य मंत्री कुंवर बृजेश सिंह, सुशील सिंह विधायक सैयदराजा, मीना चौबे जिलाधिकारी अनुज कुमार झा, एसपी अजय पाल शर्मा, जिला जज वाणी रंजन श्रीवास्तव ,अपर जिला जज शरद त्रिपाठी, संदीप सिंह, रागिनी सिंह सहित हजारों महिला व पुरूष श्रद्धालु मौजूद रहे।
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