जौनपुर: भगवान भक्तों की नहीं तोड़ते हैं भावना:शांतनु महाराज | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
बच्चियों को गौरी पूजा और बच्चों को गुरू पूजा करने की जरूरत
धनुष टूटते ही सियाराम के जयकारे से गूंजा पंडाल
बीआरपी इंटर कॉलेज के मैदान में चौथे दिन महाराज ने सुनाए कई प्रसंग
जौनपुर। बीआरीप इंटर कॉलेज के मैदान में भाजपा के वरिष्ठ नेता ज्ञान प्रकाश सिंह द्वारा आयोजित श्री रामकथा के चौथे दिन शांतनु महाराज ने राम सीता के मिलन व विवाह का मार्मिक ढंग से वर्णन किया। इसके अलावा अन्य प्रसंगों का भी बड़े ही सुंदर ढंग से गीतों के माध्यम से इस तरह सुनाया कि भक्त भाव विभोर हो गये। शांतनु महाराज ने कहा कि राम लक्ष्मण को लेकर जनकपुर पहुंचे। विश्वामित्र ने राजा जनक से इन दोनों भाईयों का सांसारिक परिचय कराया अध्यात्मिक नहीं। उन्होंने कहा कि ये अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र राम व लक्ष्मण हैं। कहा कि पुष्पवाटिका वह स्थल है जहां पर भगवान और भक्ति का पहली बार मिलन हुआ। महाराज जी ने बताया कि भगवान और जानकी जी दोनों की अवस्था किशोरावस्था है और यह अवस्था जीवन की सबसे महत्वपूर्ण और सबसे खतरनाक होती है।इसके लिए बालकों को गुरु पूजा एवं बालिकाओं को गौरी पूजा करना चाहिए। गुरु यानी शुभ मर्यादा आज्ञाकारीता और गौरी अर्थात गुणों की खान।
वह पत्थर की प्रतिमा नहीं अपितु गौरी रानी गरिमा महिमा वात्सल्य करूना दया आदि। धनुष यज्ञ के प्रसंग में महाराज जी ने कहा बहुत सारे राजाओं ने धनुष को तोड़ने का प्रयत्न किया लेकिन किसी से नहीं टूटा और भगवान धनुष को क्षण भर में तोड़ दिए क्योंकि धनुष अहंकार का प्रतीक होता है और भगवान क्षण भर में तोड़ देते हैं। भगवान के द्वारा धनुष टूटते ही सारे जग में शोर हो गया खुशियां मनाई जाने लगी और मानव धनुष टूटने के साथ ही भगवान का विवाह पूर्ण हो गया।राम जानकी के विवाह होते ही पटाखे छूटे और फूलो की वर्षा के साथ सियाराम के जयकारे से पंडाल गूंज उठा ।पूरा महाराज जनक के आंगन में आज भगवान और भक्ति का मिलन हो गया और सखियों ने मंगल गीत गाकर बधाई दी। महाराज जी ने जानकी जी के विदाई के प्रसंग में कहा कि बेटियां ही घर की लक्ष्मी होती है।जब बेटी विदा होती है तो कठोर से कठोर दिल का बाप भी रो पड़ता है। क्योंकि बाप और बेटी का रिश्ता संसार में सबसे पवित्र है। बाप बेटी से ही अपने मन की बात तथा बेटी बाप से ही अपने मन की बात करती है।बिलखते प्रवचन पर पंडाल में सन्नाटा छा गई और सभी की आंखे डबडबा गई। महाराज जी ने कहा कि धनुष अहंकार का प्रतीक है भगवान भक्तों की भावना को नहीं तोड़ते हैं।
भगवान धनुष को बीच से ही तोड़ा क्योंकि अहंकार बीच में ही होता है। महाराज जी ने कहा कि किशोरा वस्था ही एक ऐसी अवस्था है जिसमें बच्चे व बच्चियां दिग्भ्रमित हो जाते हैं और उनके रास्ते बदल जाते हैं। माता पिता इस अवस्था पर ध्यान दें क्योंकि अगर ये अवस्था उनकी अच्छे से बीत गई तो वह अपने माता पिता और देश का नाम रौशन करेगें। महाराज जी ने कहा कि मंदिर में पत्थर की मूर्ति का दर्शन करने के लिए जाते हैं और उससे अच्छा अच्छा पत्थर घर पर लगा होता है लेकिन मंदिर मंे जाने पर उनके अंदर भगवान के प्रति विश्वास होता है। उन्होने कहा कि जिसकी जैसी भावना रहती है उसी रूप में लोग मंदिर में जाकर देखते हैं। भगवान राम ने गुरू पूजा किया और माता सीता ने गौरी पूजन किया।
आज के बच्चे व बच्चियों को गुरू पूजा और गौरी पूजा करने की प्रेरणा देनी चाहिए। महाराज ने कहा कि अगर कोई अतिथि और साधु संत आये तो उसका सत्कार करना चाहिए। न जाने किस रूप में नारायण मिल जाये किसी को पता नहीं। कण कण में भगवान विराजमान हैं सिर्फ समझने की जरूरत है। इस मौके पर आरएसएस के प्रांत प्रचारक रमेश जी, प्रांत कार्यवाह मुरली पाल, सह संचालक अंगराज सिंह, प्रचार प्रचाकर प्रमुख रामचंद्र, पूर्व एमएलसी सिराज मेंहदी, पूर्व विधायक दिनेश चौधरी, लीना तिवारी, सुषमा पटेल, मा.शि.सं. के प्रदेश अध्यक्ष रमेश सिंह, प्रधानाचार्य डॉ.सुबाष सिंह, पूर्व ब्लॉक प्रमुख सुरेंद्र प्रताप सिंह, आयोग के सदस्य डॉ.आरएन त्रिपाठी, विपिन सिंह, मंत्री मैकेश्वर शरण सिंह, माउंट लिट्रा जी स्कूल के निदेशक अरविंद सिंह, अमित सिंह, पूर्व सभासद विनय सिंह, चेयरमैन मनोरमा मौर्या,कांग्रेस नेता राजेश सिंह, एसपीआरए शैलेंद्र सिंह सहित हजारों भक्तगण मौजूद रहे।
![]() |
विज्ञापन |
![]() |
विज्ञापन |
![]() |
Ad |