नया सवेरा नेटवर्क
मुम्बई। हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. रामदरश मिश्र अपनी उम्र के १०० वें वर्ष में प्रवेश कर चुके हैं। इस उपलक्ष्य में मुंबई के प्रमुख समाजसेवियों द्वारा उनका सारस्वत सम्मान किया गया। उत्तर मुंबई के सांसद गोपाल शेट्टी, पूर्व राज्यमंत्री अमरजीत मिश्र व महाराष्ट्र हिंदी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष डॉ. शीतलाप्रसाद दुबे ने गुरुवार को नई दिल्ली के द्वारका स्थित ब्रह्मा अपार्टमेंट में डॉ. रामदरश मिश्र को माँ सरस्वती की प्रतिमा देकर व शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया।
उल्लेखनीय है कि डॉ. मिश्र ने पिछले 15 अगस्त को ही निन्यानवे वर्ष पूरा कर के सौवें वर्ष में प्रवेश किया है। डॉ. मिश्र का जन्म गोरखपर जिले के कछार अंचल के गाँव डुमरी में हुआ था।
कविता, लंबी कविता, गीत, नई कविता अनेक शैली में लिखनेवाले मिश्र ने उपन्यास, कहानी, ग़ज़ल, यात्रा वृतांत, निबंध, डायरी, संस्मरण आदि विधाओं में उनका साहित्यिक योगदान बहुमूल्य है।
महाराष्ट्र में फ़िल्मसिटी के उपाध्यक्ष रह चुके अमरजीत मिश्र ने कहा कि अपने परिवेशगत अनुभवों एवं सोच को सृजन में उतारते हुए, उन्होंने गाँव की मिट्टी, सादगी और मूल्यधर्मिता को अपनी रचनाओं में व्याप्त होने दिया जो उनके व्यक्तित्व की पहचान भी है। सांसद गोपाल शेट्टी ने डॉ. रामदरश मिश्र के दीर्घायु होने व स्वस्थ जीवन की ईश्वर से प्रार्थना की और कहा कि एक भारत श्रेष्ठ भारत का इससे बड़ा दृष्टांत और क्या होगा कि एक दक्षिण भारतीय गोपाल शेट्टी को हिंदी के पुजारी रामदरश मिश्र के जीवन के सौवें वर्ष में प्रवेश करने पर उनका सम्मान करने का अवसर प्राप्त हुआ। महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष डॉ शीतलाप्रसाद दुबे ने कहा कि हिंदी साहित्य का सौभाग्य है कि इस उम्र में भी आज भी डॉ. मिश्र की रचनाधर्मिता पूरे उफान पर है।
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