बोल देता हूं गया ज़माना गुलाबी का | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
बोल देता हूं गया ज़माना गुलाबी का
टेबल पर दिन भर काम करता हूं
शासकीय कर्मचारी हूं जनता सेवा करता हूं
किसी को बताना मत हरे केसरी लेता हूं
बोल देता हूं गया ज़माना गुलाबी का
मिनटों के काम को घंटो लगाता हूं
टेबल छोड़कर व्हाट्सएप पर बिजी रहता हूं
नहीं देने वालों को चकरे खिलाता हूं
बोल देता हूं गया ज़माना गुलाबी का
ऊपर से हिस्सेदारी का डंडा खाता हूं
नहीं दिया तो ट्रांसफर की सज़ा पाता हूं
वसूली में मोटी मलाई खाता हूं
बोल देता हूं गया ज़माना गुलाबी का
जनता कुछ नहीं करेगी पता रखता हूं
नीचे से ऊपर तक सेटिंग है जानता हूं
जनता को गाजर मूली समझता हूं
बोल देता हूं गया ज़माना गुलाबी का
वोट की ताकत से मुझे फर्कनहीं पड़ता जानताहूं
टॉपअप को फर्क पड़ेगा पहचानता हूं
मुझे तो भ्रष्टाचार से मतलब है खाता हूं
बोल देता हूं गया ज़माना गुलाबी का
लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार कानूनी लेखक चिंतक कवि एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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