नया सवेरा नेटवर्क
- ऐतिहासिक मोती पार्क को हरा भरा कराएं प्रदेश के वन मंत्री
- लखनऊ जनपथ की तर्ज पर सब्जी मंडी में बने मल्टी स्टोरी दुकानें एवं वाहन पार्किंग
निर्भय सक्सेना
बरेली। बरेली के कुतुबखाना स्थित सब्जी मंडी एवं ऐतिहासिक मोती पार्क का कायाकल्प हुए बिना बरेली शहर में स्मार्ट सिटी की कल्पना बेमानी ही है कुतुबखाना पुल के बनने से बेदखल हुए लोगों को कुतुबखाना सब्जी मंडी में नीचे वहां पार्किंग ऊपर मल्टी स्टोरी दुकान बनाकर उन्हें निगम बसा दे तो कुतुबखाना का मोती पार्क हरा भरा हरियाणा वाला कायाकल्प हो सकता है।
जरूरी है कि बरेली के वन मंत्री जनप्रतिनिधि एवं स्मार्ट सिटी के आला अधिकारी अगर वास्तव में जनता को सुविधाएं देने की इच्छाशक्ति रखते हो तो इसके लिए सब्जी मंडी में यहां उपलब्ध जमीन पर स्मार्ट सिटी या पीपी मोड में लखनऊ के हजरतगंज के जनपथ मार्केट या दिल्ली के कनॉट प्लेस पार्क के भूमिगत मार्केट की तर्ज पर उसी प्रकार की योजना बनानी ही होगी। इसके अलावा कुतुबखाना से वर्ष 1980 में डेलापीर स्थानांतरित को चुकी कुतुबखाना होलसेल सब्जीमंडी के स्थल एवं ऐतिहासिक मोती पार्क के अवैध अतिक्रमण हटाकर अब उसे हरा भरा कराया जाना भी जनहित में अब जरूरी ही है। क्योंकि यहां उपरिगामी पुल भी निर्माणाधीन है।
स्मरण रहे बरेली में सड़क चौड़ीकरण में पेड़ों की कटाई के बाद अब शहर में हरियाली निरंतर कम हो रही है। इस संबंध में पत्रकार निर्भय सक्सेना ने भी मुख्यमंत्री एवं वन मंत्री, मंडल आयुक्त को ज्ञापन देकर अपना यह सुझाव भी भेजा है। इसके लिए स्मार्ट सिटी के आला अधिकारियों या किसी आर्किटेक्ट एजेंट को कुतुबखाना सब्जी मंडी का स्थलीय निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार करें ताकि उस क्षेत्र के नीचे वाहन पार्किंग एवं प्रभावित व्यापारियों को उसी की संख्या में मल्टीस्टोरी दुकान एवं कार्यालय भी लखनऊ के हजरतगंज जनपथ मार्केट की तर्ज पर पीपी मोड/ वीडियो द्वारा बनाई जा सकें। कुतुबखाना एरिया में यहां मार्केट बनने से आलमगिरी गंज एवं बांस मंडी रोड पर भी सुगम यातायात को मार्ग मिल सकेगा।
इसके साथ ही ऐतिहासिक मोती पार्क, जहां देश के बड़े नेताओं राजेंद्र प्रसाद, महात्मा गांधी, अटल बिहारी वाजपेई, राजमाता विजयाराजे सिंधिया, चौधरी चरण सिंह, हेमवती नंदन बहुगुणा, नारायण दत्त तिवारी, आर्य समाज के विद्वानों आदि की जनसभाएं हुआ करती थीं, को भी हरा भरा करके कायाकल्प कर पार्क में बदलने की जरूरत है ताकि कुतुबखाना एरिया में आम जन हरियाली के बीच कुछ समय बिता सकें। उत्तर प्रदेश में विधानसभा 2022 के चुनाव के परिणाम ने दिखा दिया की आम नागरिक जाति धर्म से ऊपर उठकर विकास कार्य को ही अब अधिक महत्व दे रहे है। बरेली में लाइट मेट्रो सेवा देने पर भी उत्तर प्रदेश सरकार अब गंभीर है और जनप्रतिनिधियों से सुझाव भी मांगे गए हैं। अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 2 की नई सरकार में बरेली में किला पर बाई शेप एवं डेलापीर के वाई शेप पुल बनने पर ही जाम की समस्या की राह कुछ आसान होने की जनता को आशा है।
बरेली शहर में 2022 में तीसरी बार बीजेपी के डॉ. अरुण कुमार ने भारी मतों से अपनी जीत दर्ज कराई थी और वन मंत्री भी बने हैं। विधानसभा चुनाव में बरेली शहर सीट पर पुल विरोधी ताकतों ने नोटा का विज्ञापन दिया और नोटा का बटन दबाने की अपील की थी। परंतु मात्र 1167 लोगो ने ही गुमराह होकर नोटा का बटन दबाया। पूर्व मेयर डॉ. आई इस तोमर ने पूर्व में पत्रकारों से कहा था कि कुतुबखाना पुल की जब तक जिला परिषद रोड पर एक रोड नहीं उतरेगी यह कुतुबखाना पुल बेमानी ही साबित होगा।
कोहाड़ापीर से कोतवाली के आसपास पुल की विंग उतरने से कोहाड़ापीर की और से आने वाला यातायात जिला हॉस्पिटल कोतवाली के सामने से अपने गंतव्य पर जायेगा। उसी प्रकार कुतुबखाना की दिशा में जाने वाला यातायात नावेल्टी चौराहे से उपजा प्रेस क्लब के पास से मुड़कर इस्लामिया स्कूल होकर जिला परिषद रोड से होता हुआ पुल की विंग पर चढ़कर कुतुबखाना होकर कोहाड़ापीर पर निकाल दिया जाएगा। भारत की ड्राइविंग भी इसी के अनुकूल है। इससे आमने सामने का टकराव भी बचेगा। इसलिए जरूरी है की जिला परिषद रोड पर भी कुतुबखाना पुल की एक विंग उतारी जानी चाहिए। इससे यह होगा कि कुतुबखाना पुल जाम कम करने में सफल होगा ।
जहां तक बरेली में लाइट मेट्रो चलाने की बात है इसके लिए इस बात पर भी मंथन हो की श्यामगंज से कलेक्टर बक गंज तक पड़ी रेलवे की बाबू लाइन पर भी लाइट मेट्रो का एक मार्ग हो सकताहै। इसका दूसरा मार्ग बरेली रामपुर रोड, इज्जतनगर के साथ विश्वविद्यालय रोड, रामगंगा नगर योजना, एयरपोर्ट से इनवार्टीज होकर रेलवे जंक्शन को भी इससे जोड़ा जाए।
इसके साथ ही बरेली स्मार्ट सिटी में कुतुब खाना सब्जी मंडी, श्याम जी सब्जी मंडी, किला, तहसील परिसर में कचहरी में वाहन पार्किंग की भी आज नितांत जरूरत है। स्मार्ट सिटी बरेली में अब तक जनहित का कोई भी कार्य धरातल पर भी नही उतरा है।जो भी काम हुए हैं वह हाई फाई ही है। हाल में हुई वर्षा ने भी सीवरेज की पोल खोलनी शुरू कर दी है। डी एम कार्यालय के सामने, तहसील के आस पास अतिक्रमण पर बाबा के बुलडोजर का इंतजार है। अब त्योहारी मौसम भी प्रारंभ होगा। स्मरण रहे बरेली स्मार्ट सिटी घोषित हुए कई वर्ष बीत गए पर बरेली में हाल यह है कि अधिकतर आला प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों ने पिछली बार जनप्रतिनिधियों की बात कम ही सुनी थी। ऐसा उनका आरोप था ।
इसका दर्द पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष कुमार गंगवार भी व्यक्त कर चुके थे। हाल यह कि बरेली मंडल ही में हुए विधानसभा चुनाव 2022 में भी भाजपा ने देश प्रदेश के सत्ताशीर्ष की प्रथम द्वितीय लाइन तो छोड़ उसके अगली लाइन में भी किसी पुराने भाजपा नेता को स्थान नहीं मिल सका था । वर्तमान में बरेली जिले के सभी सांसद, 7 विधायक, एम एल सी, जिला पंचायत अध्यक्ष, मेयर तक कि सीट जनता ने बीजेपी की वर्तमान सीट भाजपा को ही दीं थी। 2022 के विधान सभा चुनाव में बीजेपी को बरेली में सात सीटें इस बार मिल गईं।
भाजपा से 8 बार के सांसद संतोष कुमार गंगवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटा के संसद की फाइनेंशियल कमेटी का चैयरमेन, राजेश अग्रवाल को उत्तर प्रदेश मंत्री मंडल से हटाकर बीजेपी का दोबारा राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष पद पर सरका दिया। बरेली में स्मार्ट सिटी के काम तो अभी धरातल तक पर नहीं आये हैं। स्मार्ट सिटी का दर्जा पाया बरेली शहर आज भी बदहाल गड्ढादार सड़कों, चोक नाले नालियो, हर सड़क चोराहे पर जाम, हवा हवाई कूड़ा निस्तारण प्लांट की योजना वाली घोषणाओ के प्रोजेक्ट बनने का ही अभी इंतजार ही कर रहा है। जबकि बरेली कैंट में कूड़ा निस्तारण प्लांट लग गया था वह भी ठप है।
शहर में कोई भी वाहन पार्किंग की जगह अभी तक चिन्हित नहीं होने से जिला अधिकारी कार्यालय, कचहरी, जेल रोड, कुतुबखाना, कोहाड़ापीर, सिविल लाइन, श्यामगंज, किला, बड़ा बाजार आदि में भयंकर जाम जैसी स्थिति दिन भर बनी रहती है। स्मार्ट सिटी में अभी वहां पार्किंग की कोई जगह या योजना भी नही बनी है। सब चुप्पी साधे हैं। कोहाड़ापीर, चाहवाई, बजरिया पूरन मल, पटवागली के निवासी साफ पेयजल नहीं मिलने से भी परेशान है। ऐतिहासिक मोती पार्क का भी बेड़ागर्क हो रहा है। शाहजहांपुर बदायूं के जनप्रतिनिधि अपने सजातीय के कंधो पर बैठ कर बरेली की राजनीतिक पिच पर बैटिंग कर स्थानीय नेताओं को सबक सिखा रहे हैं।
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