भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र में अब आकाश पर अभूतपूर्व आगाज़ | #NayaSaveraNetwork

नया सवेरा नेटवर्क

  • भारत की सफ़ल प्रौद्योगिकी पर ज़ावां वारी - चांद सूरज के बाद अब सारे आकाश की बारी 
  • भारत की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सहित सभी क्षेत्रों में अभूतपूर्व सफ़लता ने दुनियां को आश्चर्यचकित कर दिया है - एडवोकेट किशन भावनानी गोंदिया 

गोंदिया- वैश्विक स्तरपर बीते कुछ वर्षों से भारत जिस तेजी के साथ स्पेस, प्रौद्योगिकी, विज्ञान, स्वास्थ्य, परिवहन सहित अनेक क्षेत्रों में आगे बढ़कर विकास के नए-नए आयाम स्थापित कर रहा है, उससे दुनियां अचंभित है और कहने पर मजबूर हो गई है कि, भारतीय बौद्धिक क्षमता के बारे में सुना था लेकिन अब उसे प्रैक्टिकली महसूस भी कर रहे हैं और शीघ्र विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने से कोई रोक नहीं सकता है। विज़न 2047 के बहुत पहले ही भारत अपने सभी लक्षों सहित नंबर वन की वैश्विक अर्थव्यवस्था होगा मेरा भारत देश। आज भारत और भारतीयों की प्रतिष्ठा बढ़ी है और यह परिवर्तन भारत में ही नहीं विदेशों में भी देखा जा सकता है। किसी के इशारे पर गुजरात के तत्कालीन सीएम को अमेरिका ने 9 बार वीजा देने से मना किया, किंतु आज वही अमेरिका उस सीएम से वर्तमान में पीएम बने व्यक्तित्व को एक आदर्श के रूप में देख रहा है। आज पूरी दुनियां उनको विश्व का सबसे बड़ा राजनेता समझती है। आज देश के युवाओं एवं उद्यमियों के लिए एक नया प्रभात आया है। अभी दो वर्ष पूर्व तक देश के युवा को ऐसा लगता था कि अगर उसे सफलता का गगन चूमना है तो पश्चिम का रुख करना होगा पर आज की स्टार्टअप योजना, डिजिटल इंडिया एवं मुद्रा योजना के चलते युवा एक नई विकास क्रांति का अनुभव कर रहे हैं। चूंकि भारत 2023 से 2025 तक पूरे सौर्य मंडल पर गगनयान से तेजी से आगे बढ़ रहा है और भारत की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सहित सभी क्षेत्रों में अभूतपूर्व सफलता ने दुनियां को अचंभित कर दिया है। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, भारत का वर्तमान में अंतरिक्ष क्षेत्र मेंसफ़लता का अभूतपूर्व आगाज़ हो रहा है और हर भारतवासी कह रहा है भारत की प्रौद्योगिकी पर ज़ावां वारी, चंद्र सूरज के बाद अब सारे आकाश की बारी। 

साथियों बात अगर हम चंद्रमा सूरज के बाद अब सारे आकाश की बारी की करें तो, चंद्रयान 3 के बाद, इसरो भारत की सूर्य की पहली यात्रा से दुनियां को आश्चर्यचकित कर दिया है। आदित्य-एल1 सौर मिशन श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से 2 सितंबर को लॉन्च हो चुका है। इसरो ने 124 अंतरिक्ष यान मिशनों को अंजाम दिया है। 93 मिशन भी लॉन्च किए गए हैं और विभिन्न मिशनों की योजना बनाई गई है। अगले 3 वर्षों के लिए इसरो के प्रमुख मिशनों के बारे में बताते हैं। गगनयान-1- यह गगनयान एक भारतीय चालक दल वाला कक्षीय अंतरिक्ष यान है। इसका उद्देश्य भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम का आधार बनना है। यह अंतरिक्ष यान केवल तीन लोगों के लिए बनाया जा रहा है। एक उन्नत संस्करण मिलन स्थल और डॉकिंग क्षमता से सुसज्जित होगा। इस वर्ष के अंत में एक मानव रहित अंतरिक्ष यान उड़ान परीक्षण निर्धारित हैगगनयान-2- यह एक मानव रहित अंतरिक्ष यान उड़ान परीक्षण होगा। यह उद्घाटन क्रू मिशन से पहले दो उड़ान परीक्षणों में से दूसरा होगा। गगनयान 3-2025 में इसरो एक चालक दल अंतरिक्ष यान लॉन्च करने की योजना बना रहा है। सफल होने पर, भारत स्वतंत्र रूप से मनुष्यों को अंतरिक्ष में भेजने वाला दुनियां का चौथा देश (अमेरिका, रूस और चीन के बाद) बन जाएगा। शुक्रयान-1- चंद्रयान-3 मिशन पर आधारित शुक्र ऑर्बिटर 2024 के अंत में लॉन्च होने वाला है। यान शुक्र के वातावरण का अध्ययन करेगा। मंगलयान 2- मार्स ऑर्बिटर मिशन 2 (एमओएम 2) मंगल ग्रह की परिक्रमा करने वाला भारत का दूसरा मिशन होगा।

साथियों बात अगर हम गगनयान मिशन को जानने की करें तो, केंद्र सरकार ने पिछले साल ही गगनयान प्रोजेक्ट के लिए 10 हजार करोड़ रुपए जारी किए थे। यह भारत का इकलौता अंतरिक्ष मिशन है। गगनयान स्पेस फ्लाइट मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस में भेजा जाएगा।गगनयान मिशन के तहत इसरो अंतरिक्षयात्रियों को पृथ्वी से 400 किमी ऊपर अंतरिक्ष में यात्रा कराएगा। इस मिशन के लिए इसरो ने भारतीय वायुसेना से अंतरिक्षयात्री चुनने के लिए कहा था। गगनयान की लॉन्चिंग में मानवरहित यान को रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। सारे सिस्टम्स की जांच की जाएगी। रिकवरी सिस्टम और टीम की तैयारियों की जांच होगी। इस मिशन में भारतीय नौसेना और कोस्ट गार्ड भी शामिल हैं। अगले साल के शुरुआती महीनों में गगनयान के जरिए व्योममित्र रोबोट को भेजा जाएगा। इसरो ने व्योममित्र महिला ह्यूमेनॉयड रोबोट को 24 जनवरी 2020 को पेश किया था। इस रोबोट को बनाने का मकसद देश के पहले मानव मिशन गगनयान के क्रू मॉड्यूल में भेजकर अंतरिक्ष में इंसानी शरीर की हरकतों को समझना। यह फिलहाल बेंगलुरु में है, इसे दुनिया की बेस्ट स्पेस एक्सप्लोरर ह्यूमेनॉयड रोबोट का खिताब मिल चुका है। व्योममित्र रोबोट इंसानों की तरह काम करती है, वह गगनयान के क्रू मॉड्यूल में लगे रीडिंग पैनल को पढ़ेगी। साथ ही ग्राउंड स्टेशन पर मौजूद वैज्ञानिकों से बातचीत करती रहेगी, इस मानवरहित मिशन के जो परिणाम आएंगे, इसके बाद एक और मानवरहित लॉन्च होगा, तीसरी लॉन्चिंग में भारतीय एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष की यात्रा पर भेजा जाएगा। गगनयान इसरो की पहले योजना थी कि वो अपने ह्यूमन स्पेसफ्लाइट मिशन के दौरान गगनयान से भारतीय अंतरिक्षयात्रियों को धरती के चारों तरफ सात दिन चक्कर लगवाएंगे, लेकिन अब स्थितियों के मुताबिक गगनयान को सिर्फ एक या तीन दिन के लिए धरती के चारों तरफ चक्कर लगाने के लिए लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन में डेवलपमेंट हो रहे हैं। कई बार कमियां भी मिलती हैं, उन्हें ठीक किया जाता है. ये भी हो सकता है कि इस मिशन में तीन के बजाय दो या एक ही अंतरिक्षयात्री जाए। गगनयान के क्रू मॉड्यूल को धरती से 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित लोअरअर्थ ऑर्बिटमें चक्करलगाने के लिए भेजा जाएगा। 

साथियों बात अगर हम माननीय केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री के 2 सितंबर 2023 को दिए गए बयान की करें तो, आदित्य-एल1 के सफल प्रक्षेपण की सराहना की और बताया कि गगनयान का अगला परीक्षण अक्टूबर में हो सकता है। आदित्य एल1 के लॉन्च को भारत के लिए एक सुखद क्षण बताते हुए उन्होंने कहा कि यह इसलिए संभव हो पाया है क्योंकि पीएम ने श्रीहरिकोटा के दरवाजे खोल दिए हैं।गगनयान की परीक्षण उड़ान अक्टूबर मेंउन्होंने कहा, यह भारत के लिए एक सुखद क्षण है। और दूसरी बात, चंद्रयान की तरह, यहां भी पूरा देश शामिल था और यह संभव हो पाया है क्योंकि पीएम ने यहां भी श्रीहरिकोटा के द्वार खोल दिए हैं। वह इन सभी हितधारकों को एक साथ लाए हैं और उन्हें एहसास कराया कि यह मिशन पूरे भारत का है। मुझे लगता है कि अगली गगनयान की पहली परीक्षण उड़ान होगी, जो अक्टूबर महीने में हो सकती है। यानें अगले महीने ही और 2024 तक भेजा जाएगा चालक दल। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री नें इसी साल लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया था, पहला परीक्षण यान मिशन 2023 में योजनाबद्ध है। इसके बाद दूसरा परीक्षण यान  मिशन और 2024 की पहली तिमाही में होगा, जो गगनयान का पहला मानव रहित मिशन है।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र में अब आकाश पर अभूतपूर्व आगाज़।भारत की सफ़ल प्रौद्योगिकी पर ज़ावां वारी - चांद सूरज के बाद अब सारे आकाश की बारी।भारत की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सहित सभी क्षेत्रों में अभूतपूर्व सफ़लता ने दुनियां को आश्चर्यचकित कर दिया है।

-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र


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