जौनपुर: इमाम हुसैन की दयालुता व उदारता सभी के लिए आदर्श:मासूम | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
पांचवी मुहर्रम पर निकला जुलूस, हुआ नौहा व मातम
जौनपुर। ऐतिहासिक शहर शीराजे़ हिन्द में माहे मुहर्रम का चाँद होते ही चांद रात से ही सवा दो महीने हज़रत इमाम हुसैन अ.स के चाहने वाले उनका ग़म मनाते हैं और अपने इमाम व उनके 71 साथियों की शहादत पे आंसू बहाते हैं। नगर से लेकर गांव तक सभी अजाखानों में प्रत्येक दिन मजलिसों का आयोजन किया जाता है जिसमे सभी धर्म के लोग मिल जुलकर के कर्बला के शहीदों को याद करते हैं और इंसानियत का पैगाम देने वाले नवासा ऐ रसूल इमाम हुसैन और कर्बला के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। मजलिस के बाद जुलूस ऐ अज़ा बरामद होता है जिसमें कर्बला की निशानियों अलम, ताजि़या, तुर्बत, ज़ुल्जिनाह के साथ अंजुमनें नौहा मातम करती हैं। कवि मुंशी लछमण नारायण सखा लिखते हैं नज़र आ जाती है बज़्म ऐ अज़ा से राह जन्नत की, शहीद ए कर्बला के ग़म में जब रो कर निकलते हैं। सोमवार को मुहर्रम की पांचवी तारिख पर नगर के इमामबारगाह बड़े इमाम से बाद मजलिस जुलूस ऐ अज़ा बरामद हुआ। मजलिस को ज़ाकिर ऐ अहलेबैत सैयद मोहम्मद मासूम ने खिताब करते हुए कहा कि इमाम हुसैन अ.स और उनके साथी जिन्होंने कर्बला में शहादत दी थी वोह आज भी हमारे लिए आदशर््ा हैं, जिनके चरित्र और उनकी दयालुुता की हमें प्रशंसा करनी चाहिए और उनके जैसा बनने की आकांक्षा करनी चाहिए। इमाम हुसैन अ.स की दयालुता और उदारता का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है की दुश्मन के लश्कर को गर्म रेगिस्तान में जब प्यासा देखा तो उन्हें और उनके जानवरों को भी पानी पिलाने का हुक्म दिया। जब इमाम हुसैन अ.स का एक गुलाम जौन शहीद हुआ जो की रंग में काला भी था तो इमाम हुसैन ने जंग में उसके गाल पर अपना गाल रखकर उससे प्रेम किया और मानव जाती को अत्यंत श्रद्धा और समानता का पैगाम दिया। कर्बला में इमाम हुसैन (अ.स) का परिवार शहीद होता रहा जवान बेटा मारा गया जवान भाई मारा गया, दोस्त मारे गए ,6 महीने के बेटे अली असगर को भी ज़ालिमों ने शहीद कर दिया लेकिन इमाम हुसैन ने धैर्य का साथ नहीं छोड़ा और ज़ालिम यज़ीद की बादशाहत की नीव को हिलाते हुए ज़ुल्म से लोगों को बचाते हुए अंत में खुद भी शहीद हो गए। हमें कर्बला के सबक को आत्मसात करते हुए अच्छाई की तरफ इंसानियत की तरफ लोगों को बुलाते हुए समाज में बुराइयों के खिलाफ, ज़ुल्म के खिलाफ आतंकवाद के खिलाफ इमाम हुसैन के मिशन को आगे बढ़ाते रहना चाहिए क्यों की यही मार्ग शांति, संतुष्टि, सफलता और मोक्ष का मार्ग है। जुलूस में हजारों की तादात में अज़ादारों की भीड़ जुटी रही। जुलुस इमाम बाड़ा बड़े इमाम से निकल कर शाही पुल,चहारसू, कोतवाली से होता हुआ कल्लू के इमामबाड़े में पहुंचकर खत्म हुआ।
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