जौनपुर: हुसैन ने अज़ीम कुर्बानी देकर बचाया दीने इस्लाम:बेलाल | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
दो मुहर्रम को जिले के कई स्थानों पर निकला जुलूस
अंजुमनों ने की नौहाखानी और सीनाज़नी
जौनपुर। मुहर्रम का महीना शुरू होते ही नगर से लेकर ग्रामीण इलाकों में मजलिस व मातम का दौर शुरू हो गया है। शिया समुदाय के घरों व इमामबाड़ों से हाय हुसैन हाय हुसैन की सदाएं बुलंद हो रही हैं। दिन रात लोग मजलिस मातम कर अपने इमाम हुसैन अ.स. व उनके 71 साथियों की शहादत को याद कर पुरसा दे रहे हैं। इसी क्रम में गुरूवार की रात मजलिस के बाद जुलूस निकाला गया। करंजकला ब्लॉक के करंजाखुर्द गांव में आज़म ज़ैदी के मकान में मरहूम सिब्ते हैदर के इमामबाड़े से मजलिस के बाद दुल्दुल का जुलूस बरामद हुआ, जिसमें नजफ बाबरखा ने सोज़ख्वनी की और मजलिस को बेलाल काज़मी ने खेताब करते हुए कहा दुनिया में नवासे रसूल स.व. बीबी फातमा ज़हरा के लाल के जैसी शाहदत न हुई है और न होगी।
इस शहादत ने एक अलग ही जि़ंदगी जीने का मतलब सिखा दिया। मजलिस में क़र्बला के शहीद हज़रत इमाम हुसैन की याद में अलम दुल्दुल व 6 माह के नन्हे शहीद हज़रत असगर का शबीह ए झूला बरामद हुआ। जुलूस गांव के सदर इमामबारगाह से गश्त करते हुए वापस मरहूम सिब्ते हैदर इमामबारगाह पहुँचा। यहाँ तकरीर ज़ीशान आज़मी ने किया और कहा की इमाम हुसैन ने एक ज़ालिम बादशाह और उसके साथियों के द्वारा आतंक करने वालों के खिलाफ क़र्बला में अपने 71 साथियों के साथ एक अज़ीम शाहदत पेश की जिससे आज इंसानियत की एक अलग मिसाल क़ायम है। जुलूस में सिब्ते अब्बास, असलम, शीराज़ हैदर, एजाज़ हैदर, मो अब्बास ,कल्बे हैदर, फैज़ी अब्बास, आज़म ज़ैदी , आरिफ हुसैनी अहसन एहतेशाम, आदि सैकड़ो लोग मौजूद रहे। वही पहली मुहर्रम पर मुफ्ती मोहल्ला, में क़दीम अंगारों पर मातम के जुलूस का इनक़ाद हुआ। जिसमें सबसे पहले मरहूम नवाब हसन खान के मकान पर मजलिस हुई जिसमें सोज़-ओ-सलाम अमन और उनके हमनवां ने पेश किया। शहरयार और हसरत ने मंज़ूम नज़राना पेश किया और मोहम्मद फ़ज़ल अब्बास ने मर्सिया पढ़ा। मजलिस को डाक्टर सैय्यद क़मर अब्बास ने ख़्ोताब किया। उसके बाद शबीहे अलम, जुलजनाह , झूला बरामद हुआ जिसके हमराह अंजुमन ज़ुल्फि़क़ारिया, मस्जिद तला और अंजुमन सज्जादिया, मुफ़्ती मोहल्ला ने नौहा-मातम और अंगारों पर मातम किया। इमामबाड़ा शेख़्ा अब्दुल मजीद में तक़रीर हैदर अली जौन ने किया। जुलूस इमामबाड़ा मेहंदी हसन में जाकर समाप्त हो गया।
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