इतिहास के पन्नों में दर्ज है हसनपुर रियासत के जंग की कहानी | #NayaSaveraNetwork
जौनपुर। मध्यकाल में नरवलगढ़ के नाम से मशहूर रही हसनपुर रियासत ने फिरंगियों के खिलाफ सन् 1857 की जंग में हिस्सा लेकर अपना नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज करा चुका है सुलतानपुर जिले की हसनपुर स्टेट के वारिस राजा कुंवर मसूद अली जो कि जनपद जौनपुर में अपने निजी कार्य से आए हुए थे, यह बात कही।
आगे राजा हसनपुर ने कहा कि उनके पूर्वज क्षत्रिय थे, जिन्होंने बाद में इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया और मुसलमान बन गये। आगे कुंवर मसूद कहते हैं कि हमारे पूर्वजों ने बिहार प्रदेश के गया जिले को भी 200 बीघे जमीन दी थी। उनके ही पूर्वजों की सम्पूर्ण अयोध्या है। इस बात के मेरे पास सारे प्रमाण हैं।
- बिहार तक फैला था हसनपुर स्टेट का साम्राज्य
सुलतानपुर जिले की हसनपुर स्टेट का साम्राज्य कभी सुलतानपुर से गया (बिहार) तक था। शेरशाह सूरी के जमाने में हसनपुर स्टेट को सेकंड किंग ऑफ इंडिया का खिताब भी मिला था। इतिहास के पन्नों को पलटें तो पता चलता है कि बाबर के जमाने में त्रिलोकचंद्र ने इस्लाम धर्म स्वीकार किया था और त्रिलोकचंद्र से तातार खां बन गए थे। हसनपुर रियासत के बारे में एक ये भी कहावत है कि गुजरे जमाने में यहां के राजा पैर के अंगूठे से जिसका तिलक कर देते थे वो राजा मान लिया जाता था।
बहरहाल, गर्दिश में चल रही इस रियासत की कमान अब राजा कुंवर मसूद अली के हाथों में है जो खुद को भगवान राम का वंशज मानते हैं। कुंवर मसूद अली ने यह भी बताया की पूर्वजों के जमाने में जौनपुर से लौटते समय शेरशाह सूरी मेरे यहां सुल्तानपुर में रुके थे और जाते जाते जौनपुर की सैकड़ों एकड़ जमीन देकर गए थे।
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