भावनानी के भाव | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
विश्व बालश्रम निषेध दिवस पर संकल्प लेते हैं
विश्व बालश्रम निषेध दिवस पर संकल्प लेते हैं
बाल श्रम की बेड़ियों से बच्चों को छुड़ाते है
भारतीय ठान लेते हैं तो सफ़लता पाते हैं
संकल्प क्रियान्वयन में रिजल्ट अच्छे आते हैं
बच्चे देश परिवार के सपनों की उड़ान देते हैं
हताश होते हैं जब बच्चे बालश्रम घेरे में फंसते हैं
दुख होता है बच्चे रिस्की फैक्ट्री में काम करते हैं
हम जिम्मेदार नागरिक होकर सब देखते रहते हैं
घर की चौखट चहकती है बच्चे जब हंसते हैं
महकता है घर जिसमें बच्चे बसते हैं
संस्कारवान बच्चे धन सम्मान सेवा के रस्ते हैं
बच्चों में ईश्वर अल्लाह बसते हैं
हर छल कपट दांवपेंच से दूर रहते
अबोध बच्चे खिलखिलाकर हंसते हैं
किसी के ऊपर ताने तंग नहीं कस्ते हैं
क्योंकि बच्चों में ईश्वर अल्लाह बसते हैं
बच्चे न कोई शिकायत गिले-शिकवे करते हैं
वह बेटी या बेटा हूं अनजान रहते हैं
ना किसी की बुराई ना गुणगान करते हैं
क्योंकि बच्चों में ईश्वर अल्लाह बसते हैं
नारी को मां बनने का सम्मान देते हैं
पिता के गौरव और अभिमान होते हैं
मत मारो कोख में वह एक नन्हीं सी जान है
बच्चे में समाए होते ईश्वर अल्लाह हैं
गम खुशी नहीं समझते हमेशा हंसते हैं
दिल जुबां में कुछ नहीं बस हंसते हैं
स्कूल जाते पीठ पर भारी बसते हैं
तकलीफ नहीं बताते बस हंस्तें हैं
-लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार कानूनी लेखक चिंतक कवि एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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