वाराणसी: स्व. श्री बहादुर साह की प्रथम पुण्यतिथि पर किया गया याद | #NayaSaveraNetwork

नया सवेरा नेटवर्क

वाराणसी। काशी के प्रसिद्ध लोकतंत्र सेनानी व वरिष्ठ स्वयंसेवक (राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ) की पहली पुण्यतिथि पर उन्हें याद किया गया। सेनपुरा पार्क में हुए कार्यक्रम में काशी के वरिष्ठ साहित्यकार, समाजसेवी, भाजपा व संघ से स्वयंसेवक मौजूद रहे। श्रद्धांजलि सभा में वक्ताओं ने श्री बहादुर साह की जीवनी समाज और राष्ट्र के लिए उनके योगदान पर चर्चा की। 

कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलित किया एवं चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। गोष्ठी में वक्ताओं ने बहादुर साह जी के आपातकाल के संघर्षों व उनके योगदान को याद किया। अध्यक्षता करते हुए राजेन्द्र गुप्त ने बताया कि उन्होंने हिंदुत्व से जुड़े मुद्दे,राष्ट्रहित में कार्य करने हेतु मार्गदर्शन हो एवं चारित्रिक पतन को रोकने की दिशा में कार्य किया। 

सन् 1956 में अखिल भारतीय जनसंघ के कार्यकारिणी की बैठक में शामिल होने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी बाजपेई जी बनारस आए हुए थे, उस समय उनके साथ में जगन्नाथ राव जोशी, भारतीय जन संघ के नेता स्व. नानाजी देशमुख, मानवता के उपासक व सिद्धांत वादी स्व. जगन्नाथ राव जोशी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक, जम्मू कश्मीर प्रजा परिषद के संस्थापक और मंत्री, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संस्थापक, भारतीय जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष स्व. बलराज मधोक व समाजसेवी पीतांबर दास समेत संघ के सैकड़ों दिग्गज कार्यकर्ता उपस्थित थे और उस समय श्री बहादुर शाह जनसंघ में मुख्य शिक्षक की भूमिका में मौजूद थे। जंक्शन की कार्यकारिणी को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ जमा हुई थी। 1956 में अखिल भारतीय जनसंघ के कार्यकारिणी में देश-दुनिया से लगभग ढाई सौ कार्यकर्ता शामिल हुए थे। 

उस समय आप कार्यकारिणी में मुख्य शिक्षक की भूमिका अदा कर रहे थे। उसी समय उनकी मुलाकात पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री अटल बिहारी बाजपेई जी से हुई थी। सामाजिक कार्य से जोड़कर उन्होंने सैकड़ों लोगों को नया जीवन, नया रोजगार, घर इत्यादि में पूर्ण सहयोग दिया।

  • चिन्मय चटर्जी ने कहा कि उन्होंने

सादा-जीवन, उच्च-विचार को जीवन का मूल मंत्र माना और इन्हें आत्मसात करके उन्होंने अपना पूरा जीवन संघ और राष्ट्र को समर्पित किया, आपने कई विद्यालयों के लिए जमीन दान की, सैकड़ों मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया, व कई अनाथ बच्चों को शिक्षित कर सैकड़ो कन्याओं के विवाह में आर्थिक सहायता की। 

आप की प्रेरणा से हजारों युवाओं में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रति निष्ठा एवं समर्पण की भावना जागृत हुई और वे संघ से जुड़े। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के विशाल सम्मेलनों में आपका विशेष योगदान रहा। आपातकाल में सहयोगी रहे हीरालाल ने बताया कि भारतीय शिशु मंदिर के सन 1976-1977 के अखिल भारतीय सम्मेलन में बरसात के कारण सारी व्यवस्था जब ध्वस्त हो गई थी, तब आपने अपने सहयोगियों के साथ पूरे बनारस के जलपानगृहों से पूड़ी-सब्जी, जलेबी लाकर सम्मेलन में शामिल लोगों को जलपान व भोजन कराया। 

आपातकाल की अवधि में युवाओं को सत्याग्रह के लिए तैयार किया एवं सैकड़ों युवाओं जिनकी गिरफ्तारी हुई थी उन सभी के परिवारजनों का भरण-पोषण का कार्य किया एवं वह स्वयं 60 से 70 दिनों तक जेल में रहे और उन्हें इलेक्ट्रिक शॉक भी दिया गया, इस घटना का विवरण 'राष्ट्रधर्म पत्रिका' के यातना अंक के द्वितीय संस्करण में उनके चित्र के साथ विशेष रूप से प्रकाशित किया गया।सन् 1976 में आपातकाल के दौरान जब इन्हें पकड़ा गया इन्हें थाना में 3 घंटे तक लगातार इलेक्ट्रिक शॉक दिया गया। 

यह शॉक बिना कुछ पूछे ही दिया गया, फिर बाद में जेल में ले जाकर बंद कर दिया गया। ना केस होता था ना अपील और नाहीं दलील दे सकते थे बस पुलिस पकड़ कर ले जाती थी, जेल में डाल देती थी,कई-कई माह तक जेल में रहना पड़ता था, यह सब होता था' मेंटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट (मीसा) के तहत। वहीं डिफेंस ऑफ इंडिया रूल्स (1971) डी.आर.आर. के तहत बंदी बनाए जाने पर जेल में पुलिस रिमांड पर कठोर यातनाएं दी जाती थी। इन्हें काफी समय तक जेल में बंद रखा गया और जमानत पर बाहर आए।

जेल में रहने पर पुलिस जमकर शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित करती थी, खाने में सुखी रोटी दी जाती थी और दिन भर प्यासा रखा जाता था। वे सदैव निःस्वार्थ भाव से जीवन भर समाज के कार्य करते रहें। इन्हें जीवनभर राजकीय पदों का आग्रह किया गया परंतु वे उसे अस्वीकार करते रहे वरन अपने सहयोगियों को भी नि:स्वार्थ भाव से सेवा की घुट्टी पिलाकर समाज सेवा का कार्य करने की प्रेरणा देते रहें। कार्यक्रम का संचालन पायल लक्ष्मी सोनी ने किया।

इस मौके पर शिव शंकर, नरोत्तम शिल्पी, सिद्धनाथ शर्मा, अजय कुमार, कृष्ण कुमार आर्य, राजेश, प्रहलाद, राजेश आज़ाद, रवि शर्मा, अवधेश कुमार, शिवम अग्रहरि, अजय साहू, रवि कुमार, राधेश्याम इत्यादि कई गणमान्य लोगों की उपस्थिति रहे।

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