चुनावी दंगल- 40-85 परसेंट भ्रष्टाचार से लेकर करप्शन परसेंट रेट कार्ड तक | #NayaSaveraNetwork

नया सवेरा नेटवर्क

  • करप्शन परसेंट मामलों पर हर राजनीतिक दल द्वारा स्वतः संज्ञान लेकर, भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई करने में गंभीरता दिखानी होगी
  • बड़े बुजुर्गों की कहावत, धुआं वहीं से उठता है जहां आग लगती है, इसकी गंभीरता से गहराई तक जाकर भ्रष्टाचारियों को सजा देना ज़रूरी: एडवोकेट किशन भावनानी 

गोंदिया। भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करने के लिए करीब करीब हर राजनीतिक दल गंभीरता से जनता जनार्दन से हर जनसभा में दावा करते हैं कि, उनकी सरकार आई तो भ्रष्टाचार को पूरी तरह समाप्त कर जीरो टॉलरेंस कर देंगे। परंतु मेरा मानना है कि उन दलों को अपने दल की सरकार जिन राज्यों में है वहां भी अति गंभीर कढ़ाई बरतना चाहिए, ताकि प्रतिशत या परसेंट या फिर कमीशन रिपोर्ट कार्ड की नौबत ही पैदा ना हो। 

भारत में 10 मई 2023 को एक राज्य में चुनाव है जिसके नतीजे 13 मई 2023 को आने हैं वहां चुनावी दंगल में 40 परसेंट बनाम 85 परसेंट का जिक्र हर जनसभा में वक्ताओं द्वारा किया जाता है और एक विपक्षी पार्टी द्वारा मीडिया में विज्ञापन से कमीशन रेट कार्ड भी छपाया है, जिसका संज्ञान लेकर पक्ष पार्टी ने चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज की थी। 

चूंकि चुनाव आयोग द्वारा विज्ञापन देने वाली पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष को नोटिस जारी कर 7 मई 2023 को शाम 7 बजे तक जवाब दाखिल करने की ताकीद की गई है, अन्यथा कार्यवाही की बात कही है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, चुनावी दंगल- 40 - 85 परसेंट से लेकर करप्शन रेट कार्ड तक हर राजनीतिक दल द्वारा स्वतः संज्ञान लेकर भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई करने में गंभीरता दिखानी होगी। 

साथियों बात अगर हम 6 मई 2023 को देर शाम चुनाव आयोग द्वारा नोटिस जारी करने और 7 मई को शाम 7 बजे तक जवाब मांगने की करें तो, विपक्षी पार्टी ने पक्ष सरकार को निशाना बनाते हुए अखबारों में करप्शन रेट कार्ड नाम से विज्ञापन प्रकाशित करवाया था, इस मामले में चुनाव आयोग ने पार्टी को नोटिस जारी किया है और रविवार शाम तक आरोपों को साबित करने के लिए साक्ष्य मांगे हैं। 

बात यह है कि10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले, विपक्षी पार्टी ने 2019 और 2023 के बीच राज्य में भ्रष्टाचार दर को सूचीबद्ध करते हुए पोस्टर और विज्ञापन जारी किए और पक्ष सरकार को ट्रबल इंजन करार दिया। 

निर्वाचन आयोग ने अपने नोटिस में कहा, यह एक उचित धारणा है कि पार्टी के पास सामग्री/अनुभवजन्य/सत्यापन योग्य साक्ष्य हैं, जिसके आधार पर ये विशिष्ट/स्पष्ट तथ्य प्रकाशित किए गए हैं, एक ऐसी कार्रवाई जिसका लेखक के ज्ञान, इच्छा और ऐसा करने के पीछे की मंशा का पता लगाने के लिए निष्पक्ष रूप से मूल्यांकन किया जा सकता है। 

निर्वाचन आयोगन ने पार्टी (केपीसीसी) के अध्यक्ष से कहा कि सात मई 2023 को शाम सात बजे तक साक्ष्य उपलब्ध कराए जाएं, उदाहरण के लिए विज्ञापन में उल्लिखित नियुक्तियों और स्थानांतरण, नौकरियों के प्रकार और कमीशन के प्रकारों के लिए दरों का प्रमाण, और यदि कोई स्पष्टीकरण हो तो साथ में वह भी दिया जाए। 

इसे सार्वजनिक मंच पर भी रखा जाए। पार्टी यदि सात मई को शाम सात बजे तक साक्ष्य साझा करने में विफल रहती है, तो उसे कारण बताना होगा कि आदर्श आचार संहिता और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम तथा भादंसं के तहत प्रासंगिक कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन करने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों शुरू नहीं की जानी चाहिए। 

निर्वाचन आयोग ने कहा कि विरोधी दलों की नीति एवं शासन की आलोचना संविधान के तहत गारंटीकृत अधिकार के साथ-साथ भारतीय चुनावी प्रक्रिया के तहत विभिन्न राजनीतिक अदाकारों का एक आवश्यक कार्य है। 

आचार संहिता के प्रावधान 2 अंश 1 के मुताबिक चुनाव प्रचार के दौरान विरोधी पार्टी की वर्तमान और पूर्व नीतियों और मुद्दों की बात की जा सकती है, ना कि निजी जिंदगी की, जिसका जनता से कोई लेना-देना ना हो, यानि अपुष्ट और आधारहीन आरोपों पर कोई बात कहनी, करनी, प्रकाशित या प्रसारित करना आचार संहिता का उल्लंघन होगा। 

साथियों बात अगर हम इन चुनावी राज्य में 40 परसेंट के जोरदार दंगल की करें तो, एक ठेकेदार ने पिछले साल एक होटल में फांसी लगा ली थी, सुसाइड नोट में उसने पक्ष विधायक और ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज मंत्री के पर आरोप लगाया था कि वे सरकारी ठेके में 40 प्रतिशत कमीशन की मांग कर रहे थे। स्टेट कॉन्ट्रैक्टर एसोसिएशन ने पीएम तक से इसकी शिकायत कर डाली थी। सरकार जब पर घिरने लगी तो मंत्री को  पद से इस्तीफा देना पड़ा था। 

एसोसिएशन ने जुलाई 2021 में भी इन्हीं आरोपों को लेकर पीएम को पत्र लिखा था। जनवरी 2022 में एसोसिएशन के अध्यक्ष ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया था कि पक्ष सरकार के कई मंत्री और विधायक रिश्वत मांगते हैं। पिछले साल लिंगायत समुदाय से जुड़े मठ के संत ने भी आरोप लगाया था कि किसी संत तक अनुदान की राशि 30 प्रतिशत कमीशन के बाद ही पहुंचती है। 

संत के आरोपों के बाद सीएम को जांच का आश्वासन देना पड़ा था। लिंगायत समुदाय की आबादी राज्य में करीब 17 फीसदी है, जिनकी प्रदेश के चुनावों में अहम भूमिका रहती है। ऐसे में पक्ष पार्टी इस समुदाय को नाराज नहीं करना चाहती। राज्य की स्कूल एसोसिएशन ने पीएम को पत्र लिखकर राज्य सरकार में भ्रष्टाचार की शिकायत की थी।13 हजार स्कूल इस एसोसिएशन के जुड़े हैं। 

उन्होंने आरोप लगाया था कि शैक्षणिक संस्थानों को मान्यता देने के लिए विभाग से रिश्वत मांगी जा रही है। बिना किसी लॉजिक के तर्कहीन, भेदभावपूर्ण और गैर-अनुपालन मानदंड केवल गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों पर लागू किए जा रहे हैं, इस कारण बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है। इस लेटर में उन्होंने पक्ष पार्टी के दो मंत्रियों पर शिक्षा का व्यवसायीकरण करने का भी आरोप लगाया था। 

साथियों बात अगर हम 85 परसेंट के आरोप की करें तो विपक्षी पार्टी के एक पूर्व प्रधानमंत्री के एक बयान एक रुपया निकलता है और हितधारकों तक 15 पैसे पहुंचता है इस वाक्यात वाली बात को टीवी चैनलों के माध्यम से हम रोज देख रहे हैं कि माननीय पीएम सहित हर स्टार प्रचारक और अन्य प्रचारकों द्वारा इस मामले को जोर-शोर से उठाया जा रहा है।

शनिवार दिनांक 6 मई 2023 को भी अनेक जनसभाओं में माननीय पीएम द्वारा इस मुद्दे को उठाया जिसे आम जनता द्वारा जनसभाओं में उपस्थित होकर तथा टीवी चैनलों के माध्यम से भी सुना, इसलिए मेरा मानना है कि हर राजनीतिक दलों द्वारा ऐसी स्थिति उत्पन्न ही नहीं होने देने के लिए सुशासन के पहिए की रफ्तार काफी तेज करनी होगी। 

अतः अगर हम उपरोक्त बोले और उनका अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि चुनावी दंगल - 40 - 85 परसेंट भ्रष्टाचार से लेकर करप्शन परसेंट रेट कार्ड तक करप्शन परसेंट मामलों पर हर राजनीतिक दल द्वारा स्वतः संज्ञान लेकर, भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई करने में गंभीरता दिखानी होगी। बड़े बुजुर्गों की कहावत, धुआं वहीं से उठता है जहां आग लगती है, इसकी गंभीरता से गहराई तक जाकर भ्रष्टाचारियों को सजा देना ज़रूरी है।

-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया, महाराष्ट्र।


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