वाराणसी: आजादी के पहले और बाद के भारत की सीमाओं पर चर्चा | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
वाराणसी। बीएचयू स्थित महिला महाविद्यालय में मंगलवार को तीसरे दक्षिण एशियाई सीमा अध्ययन सम्मेलन के दूसरे दिन के सत्र आयोजित हुए। दुनियाभर से जुड़े विशेषज्ञों ने आजादी के पहले और बाद के भारत की सीमाओं और पड़ोसी देशों पर चर्चा की।
विज्ञान संस्थान के सेमिनार हॉल में आयोजित सम्मेलन के दूसरे दिन तीन समानांतर तकनीकी सत्रों का आयोजन हुआ। ऑफलाइन और ऑनलाइन मोड में जुड़े प्रतिभागियों ने 67 शोधपत्र पेश किए। ‘भारत की आंतरिक सीमाओं की पुनर्कल्पना पर सत्र के अध्यक्ष और पूर्वी विश्वविद्यालय फिनलैंड के डॉ. पॉल फ्रायर ने सेवानिवृत्त आईएएस संजीव चोपड़ा के साथ चर्चा की।
उन्होंने अपनी पुस्तक ‘वी द पीपल ऑफ द स्टेट्स ऑफ भारत - द मेकिंग एंड रिमेकिंग ऑफ इंडियाज इंटरनल बाउंड्रीज का उल्लेख करते हुए बताया कि कैसे भारत की राष्ट्रीय सीमाएं अस्तित्व में आईं और विकसित हुईं।
अगले सत्र में एमएमवी की डॉ. सीमा तिवारी ने ‘नक्शानामा पुस्तक पर लेखक डॉ. सरफराज आलम के साथ चर्चा की। इस दौरान सीमा अध्ययन के क्षेत्र में असाधारण उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रो. पाउला बनर्जी को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रदान किया गया। संयोजिका डॉ. वैशाली रघुवंशी ने सम्मेलन की रिपोर्ट प्रस्तुत की।
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