महिंद्रा एंड महिंद्रा के पूर्व चेयरमैन उद्योग जगत को कह गए अलविदा | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
- ऐसे खड़ा किया था कारोबार
नई दिल्ली. महिंद्रा एंड महिंद्रा के चेयरमैन एमेरिटस केशब महिंद्रा का आज बुधवार को 99 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए. INSPACe के प्रेसिडेंट पवन के गोयनका ने ट्विटर पर पोस्ट करके उनके निधन की जानकारी दी है. उनकी देहांत की खबर फैलते ही उद्योग जगत में शोक की लहर दौड़ गई. केशब महिंद्रा 1947 में अपने पिता की कंपनी में शामिल हुए थे, जो वाहनों के बनाने और बिक्री का काम करती थी. उन्होंने 1963 से 2012 तक प्रभावशाली कार्यकाल के लिए मुंबई लिस्टेड ग्रुप के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया. अपनी रिटायरमेंट के बाद उन्होंने अपने भतीजे आनंद महिंद्रा को अपना उत्तराधिकारी बना दिया.
व्हार्टन, पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र के रूप में महिंद्रा ने महिंद्रा एंड महिंद्रा को भारत में विलीज जीपों के मात्र असेंबलर से एक ग्रुप में बदलने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उनके नेतृत्व में महिंद्रा ग्रुप ने 19 अरब डॉलर के वैल्यूएशन के साथ, ट्रैक्टर और स्पोर्ट्स वाहनों से परे अपने पोर्टफोलियो का विस्तार किया. सॉफ्टवेयर सर्विसेज और रियल एस्टेट सेक्टर में कारोबार किया.
1987 में केशब महिंद्रा को फ्रांसीसी सरकार द्वारा शेवेलियर डी ल’ऑर्ड्रे नेशनल डे ला लीजन डी’होनूर से सम्मानित किया गया था. केशब महिंद्रा 2004 से 2010 तक प्राइम मिनिस्टर की काउंसिल ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री, नई दिल्ली के सदस्य भी रहे हैं.
- फेडरेशन के रूप में विकसित हुआ महिंद्रा ग्रुप
बता दें कि केशब महिंद्रा 8 अगस्त, 2012 को एमएंडएम की वार्षिक बैठक में कंपनी के बोर्ड से रिटायरमेंट लिया था. वह 1948 में बोर्ड में शामिल हुए थे और 1963 में अध्यक्ष चुने गए थे. उनकी अध्यक्षता के दौरान महिंद्रा ग्रुप ऑटोमोबाइल के एक मेकर से ऑटोमोबाइल, ट्रैक्टर, ऑटो पार्ट्स, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, रियल एस्टेट, फाइनेंशियल सर्विसेज और कारोबारियों की एक चेन में काम करने वाली कंपनियों के एक फेडरेशन के रूप में विकसित हुआ.
- भोपाल की अदालत ने सुनाई थी कैद की सजा
केशब महिंद्रा ने सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में बड़ी संख्या में बोर्ड और काउंसिल में भी काम किया. बता दें कि 2010 में भोपाल की एक अदालत ने भोपाल गैस दुर्घटना के मामले में महिंद्रा सहित सभी 7 आरोपियों को दोषी ठहराया और उन्हें अधिकतम दो साल की कैद की सजा सुनाई थी. उस समय वह यूनियन कार्बाइड के नॉन-एग्जीक्यूटिव प्रेसिडेंट थे.
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