उम्मीदें | #NayaSaveraNetwork
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उम्मीदें:-
दर बदर भटकती रहती है उम्मीदें
नींद तो आती है, मगर जागती रहती है उम्मीदें
इन्हें कोई काम नहीं बस दिन रात सताती है उम्मीदें
सोचते सोचते रास्ते बनाती है उम्मीदें
बिना कभी थके चलती रहती हैं उम्मीदें
चलते चलते कभी कभी हार जाती हैं उम्मीदें
जीवन में कुछ करने को प्रेरित करती है उम्मीदें
कभी कभी कर्तव्य मार्ग को दिशा देती है उम्मीदें
किसी के काम आने की हसरत रखती हैं उम्मीदें
जब कभी रूकने के लिए सोचता है दिल
फिर सामने आकर खड़ी हो जाती हैं उम्मीदें
नींद तो आती है मगर जागती रहती हैं उम्मीदें
युवा साहित्यकार
पं. आशीष मिश्र उर्वर
कादीपुर, सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश
मो. 9043669462
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