नया सवेरा नेटवर्क
- डीजी जेल एसएन साबत ने प्रशिक्षण कार्यशाला का किया उद्धाटन
लखनऊ। प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों को एचआईवी, टीबी, हेपेटाइटिस बी व सी तथा सिफलिस से सुरक्षित बनाने पर सोमवार को गहन मंथन किया गया। यूपी स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी की अगुवाई में यूपीएनपी प्लस संस्था के सहयोग से राजधानी के एक निजी होटल में आयोजित एक कार्यशाला में प्रदेश की सभी जेलों के चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ को तकनीकी और व्यावहारिक रूप से प्रशिक्षित किया गया।
कार्यशाला का उद्घाटन डीजी जेल एसएन साबत ने किया। उन्होंने कहा कि कैदियों को बीमारियों से सुरक्षित बनाना उनकी प्राथमिकता में शामिल है। इसके लिए हर कैदी के स्वास्थ्य की समय-समय पर जांच की जाती है। जांच के लिए संसाधनों को भी बेहतर बनाया जा रहा है। यूपीएनपी प्लस संस्था की राज्य समन्वयक अमृता सोनी ने जेल चिकित्सकों और पैरा मेडिकल स्टाफ की समस्याओं को सुना और उसके समाधान का भरोसा दिलाया।
- चलेगा एक माह का विशेष अभियान
यूपी स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी के संयुक्त निदेशक रमेश श्रीवास्तव ने सभी जेलों के चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ को कैदियों की गुणवत्तापूर्ण जांच और बेहतर इलाज के बारे में प्रशिक्षित किया जा रहा है। दो बैच में करीब 168 कर्मचारियों को दो दिवसीय प्रशिक्षण दिया जाएगा।
मई के दूसरे हफ्ते से जून के दूसरे हफ्ते तक एक महीने का विशेष अभियान चलाकर कैदियों की स्क्रीनिंग और जांच की जाएगी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2022-23 में करीब 3.12 लाख कैदियों तक पहुंच बनी, जिनमें से करीब 2.67 लाख कैदियों की स्क्रीनिंग और जांच की गई। इनमें 1104 कैदी एचआईवी पाजिटिव पाए गए।
इसी प्रकार करीब 2.72 लाख कैदियों की टीबी की स्क्रीनिंग की गई, जिनमें से 9012 कैदियों की टीबी की जांच हुई। इनमें 279 कैदियों में टीबी की पुष्टि हुई। कुल 2988 कैदियों की हेपेटाइटिस-सी की जांच की गई, जिसमें से 125 पॉजिटिव पाए गए।
संयुक्त निदेशक ने बताया कि कैदियों की जांच और इलाज को सुचारू बनाने के लिए 18 प्रिजनर पीयर मोबलाइजर की नियुक्ति की गई है। इनके माध्यम से कैदियों के बीच में से ही प्रिजन पीयर वालंटियर्स चुने गए हैं, जिनको प्रशिक्षित किया जा रहा है। साथ ही कम्युनिटी रेडियो का भी सहारा लिया जा रहा है।
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