जौनपुर: शबे कद्र पर मस्जिदों में पूरी रात हुई इबादत | #NayaSaveraNetwork
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शिया जामा मस्जिद में आमाल करते लोग। |
नया सवेरा नेटवर्क
आमाल व नमाज पढ़कर लोगांे ने मांगी दुआएं
जौनपुर। रमज़ान महीने की आख़्िारी दस रातों में कोई एक रात शबे कद्र है जिसमें क़ुरान नाजि़ल हुआ है। मुसलमान शबे 19 वीं ,21 वीं ,23 वीं,25 वीं, 27 वीं 29 वीं को विशेष नमाज़ का आयोजन करते हैं। शिया मुसलमान 23 वीं रात को जबकि सुन्नी मुसलमान 27 वीं रात को शबे कद्र के तौर पर विशेष नमाज का आयोजन करते हैं। 23वीं शबे कद्र को शिया मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में मस्जिदों में रात भर नमाज़ी इबादत करते रहे आमाले शबे कद्र, विशेष नमाज़ें, दुआओं का सिलसिला जारी रहा। वहीं महिलाओं ने घरों में इबादत की। इसी क्रम में शिया जामा मस्जिद नवाब बाग़ में काफी संख्या में मोमेनीन ने आमाले शबे कद्र अन्जाम दिया। इमामे जुमा मौलाना महफुज़ुल हसन खां एवं मौलाना आग़ा आबिद खान ने आमाले शबे कद्र कराया । शिया जामा मस्जिद नवाब बाग़ इन्तेज़ामिया कमेटी की ओर से सहेरी का भी इन्तेज़ाम था। शिया जामा मस्जिद के मुतवल्ली शेख़्ा अली मंज़र डेज़ी एवं जामा मस्जिद इन्तेज़ामिया कमेटी के अन्य सदस्यों द्वारा सुव्यवस्थित ढंग से शबे कद्र के आयोजन को अन्जाम दिया गया। वहीं नगर की अटाला मस्जिद में भी शबे कद्र पर नमाज पढ़कर पूरी रात अल्लाह की इबादत की गई और दुआएं मांगी गई। रमजान के पवित्र महीने मे अल्लाह ने हमे एक ऐसी रात दी है जिसे लैलतुल क़द्र कहते है। यह बातें मौलाना अहमद नवाज़ इमाम ए जुमा शाही अटाला मस्जिद ने बताते हुए कहा की लैलतुल क़द्र हमे इनाम के तौर पर मिली है लैलतुल अरबी शब्द जिसका मतलब रात होता है जब की क़द्र का मतलब सम्मान, परहेजगारी, तकवा, अदब आदि होता है क्योंकि ये रात अन्य रातों की उपेक्षा बड़ी है इसलिए इस रात को लैलतुल क़द्र कहते है। वैसे तो पवित्र माह रमजान का पूरा महीना आखेरत की कमाई का ज़रिया है फिर भी इस महीने के आखिरी दस दिन और इन दस दिनों मे लैलतुल क़द्र एक विशेष महत्त्व और अलग स्थान रखता है जो कि हजार महीनों से बेहतर है यानि इस रात की इबादत का सवाब एक हजार महीने की इबादत से भी जायदा है। मौलाना अहमद नवाज़ ने कहा की हज़रत मोहम्मद मुस्तफा स.अ.व. का बयान है की जो शख्स लैलतुल क़द्र मे ईमान की हालात म्ंो और सवाब की नियत से कयाम करता है तो उसके सभी गुनाह माफ कर दिए जाते है। वहीं आयशा र.अ. की एक हदीस है जिसमें वो फरमाती हैं की ये दुआ खूब मांगनी चाहिए की या मेरे रब तू बहुत माफ़ करने वाला है और माफ करना तुझे पसंद है तू मुझे माफ कर दे।